Tittle- छोटे बच्चे के लिए माँ का दुध अमृत है।
माँ का दुध शिशु के लिए अमृत के समान है। माँ बच्चों के लिए भगवान् का दुसरा रूप है। उसकी तुलना भगवान् के सिवा किसी और से नहीं कर सकते।
छोटे बच्चे के लिए जो मां अपने शिशु को दूध पिलाती हैं उसका मुकाबला संसार में कोई और दूध कर ही नहीं सकता और ना ही कोई आहार कर सकता है।
अन्य दूध आहार द्रव्य पोषक तत्वों से युक्त होते हुए भी मां के दूध का मुकाबला इसलिए नहीं कर सकते एक तो मां के दूध में मां की ममतामई भावना का प्रभाव शामिल रहता है।
वह शुद्धता सुपाच्य और पोषण क्षमता की दृष्टि से भी मां का दूध अन्य दूध की अपेक्षा श्रेष्ठ व गुणकारी होता है। मां का दूध हल्का यानी पचने वाला ,शीतल पाचक ,और पचान शक्ति बढ़ाने वाला है।
नेत्रों की दृष्टि अच्छी बनाने वाला होता है। नवजात शिशु के लिए इतनी खूबियां होना पर्याप्त है। माँ के दूध में प्रोटीन, multi vitamins तथा अन्य रोगो से लडने वाले नाशक तत्व पाए जाते हैं। बच्चों में सहज ही उत्पन्न पोलियो डायरिया आदि रोगों के कीटाणुओं का सबसे बड़ा शत्रु lectropamin ही है.
मां के दूध में यह बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार मां का दूध शिशु के लिए सबसे अधिक पाचक है। यह शिशु के स्वास्थ्य के विकास के लिए किसी अमल से कम नहीं है। स्तनपान कराने से बच्चे के चेहरे ,दांतो और गले में भी ऐसा कोई विकार पैदा नहीं होता जो बोतल के दूध पीने वाले बच्चों में आसानी से हो जाता है।
बच्चे को स्तनपान कराने से स्त्री का भी शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
जब बच्चा भोजन पचाने लायक होता है उसे उसके दांत निकलने शुरू हो जाते हैं यह एक प्रकृतिक का सिग्नल है जो कहता है कि अब बच्चे को हल्का भोजन देना शुरू करना चाहिए। शुरू का पहले दिन निकलने वाला पीला दूध यह रोगों में लड़ने वाले तत्व विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है। यह शिशु को कई तरह के संक्रमण से लड़ने में रक्षा करता है, और शरीर में विटामिन ए और प्रोटीन से भरपूर होता है। और शिशु सभी विटामिन जरूरतो की पूर्ति के लिए पर्याप्त होता है।
छोटे बच्चे को पहले 6 महीने में केवल मां का ही दूध पिलाना चाहिए। मां का दूध शिशु के जीवन के पहले 6 महीने जब शिशु की मांग जरूरतों के लिए समस्त पोषक तत्व प्रदान करता है। जब भी शिशु भूखा प्रतीत होता है ,उसे दूध पिलाना चाहिए।
मां के स्तनों को वह जितना दूध पीता है मां से उतना ही अधिक दूध बनता है। क्योंकि मां दिन भर फल, सब्जियां ,दूध, दही, लस्सी और हर प्रकार का खाना खाती है। जिससे बच्चे में किसी भी प्रकार के कैल्शियम और मल्टी विटामिंनस प्राप्त होते हैं ।यह सिर्फ मां के दूध से ही संभव है।
मां के दूध में कई तरह की बीमारियां व एलर्जी से शिशु की रक्षा करता है। माँ का दुध रोग प्रतिरोधी लाभ ही प्रदान करता है, जो शिशु के जीवन भर के लिए फायदेमंद होता है। यह मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ते को और नजदीक बनाता है। मां का दूध बच्चे को अधिक बुद्धिमान बनाता है। सामान्य प्रसव के बाद 1 घंटे के भीतर ही स्तनपान शुरू करा सकते हैं। सिजेरियन प्रसव के बाद माताएं 4 घंटे के भीतर अपने बच्चे को दूध पिला सकती हैं।
हमेशा दूध गोद में लिटा कर पिलाना चाहिए दिन में कभी भी बिस्तर पर लैटकर दूध बच्चे को ना पिलाएं और ना ही बोतल डालें। ऐसा करने से कई बार शिशु की सांस की नाली में चला जाता है ,और इसके भी भयंकर प्रणाम होते हैं। बोतल से दूध पिलाना हमेशा बच्चे के लिए हानिकारक रहा है। इसलिए हमेशा बच्चे को बोतल का दूध पिलाने से बचना चाहिए।
जितना हो सके मां का दुघ कम से कम 6 महीने तक तो जरूर पिलाएं। मां के दूध में वह सब गुण हैं जो किसी और दूध में कहीं से नहीं मिल सकते। अगर मजबूरी बस दुसरा कोई और दुध पिलाना भी पढ़े तो कोशिश करें कि गाय का दूध ही पिलाएं। गाय का दूध भी छोटे बच्चों के लिए बहुत ही गुणकारी और लाभदायक है। ऐसा माना जाता है गाय का दूध पीने से बच्चे तेज बुद्धि और गुणकारी होते हैं। कयोंकि गाय माता बुद्धि से बहुत ही गुणवान और चालाक होती है।
छोटे बच्चों के लिए पौष्टिक आहार -
छोटे बच्चों के लिए पौष्टिकता की दृष्टि से रिच फूड इस प्रकार हैं जैसे- प्रोटीन के कमी को पूरा करने के लिए दूध, दाले, दलिया , खिचड़ी और केला, सुजी की खीर व विटामिन सी से भरपूर जूस वाले फल सबसे अच्छे माने जाते हैं । जो बच्चे को खाने में और पचाने में बहुत ठीक रहते हैं।
कैल्शियम की पूर्ति के लिए विशेष आहार-
छोटे बच्चों के लिए कैल्शियम को पूरा करने के लिए दूध सबसे उत्तम पदार्थ माना गया है। इसके साथ-साथ हरे पत्ते वाली सब्जियां और दही जरूर भोजन में शामिल करें।
यदि बढ़ते बच्चो को उपरोक्त मात्रा में सही आहार नहीं मिला तो उनमें कई तरह की कमियां और बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं। जैसे उनकी हड्डियों का विकास ना होना, व मंदबुद्धि होना ।
छोटे बच्चों के लिए गाय का दूध सबसे उत्तम माना जाता है जितना हो सके छोटे बच्चे को 1 साल तक तो कम से कम गाय का दूध अवश्य पिलाएं क्योंकि भारत में गाय का दूध किसी औषधि से कम नहीं माना जाता।
आयुर्वेद की दृष्टि से गाय का दूध बहुत महत्वपूर्ण है। यह शरीर के लिए उच्च श्रेणी का खाद पदार्थ है। गाय के दूध मिश्री मिलाकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। गाय के दूध में घी मिलाकर पीने पीने से बच्चों का शरीर हष्ट पुष्ट होता है। गाय का दूध शक्तिवर्धक है। गाय का दूध पीने से आयु में वृद्धि होती है।
जिन बच्चों में खून की कमी होती है उन बच्चों के लिए गाय का दूध रामबाण का काम करता है, क्योंकि गाय के दूध में प्रोटीन, विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स खनिज, वसा, एंन्जाइम तथा आयरन से युक्त होता है।
गाय के दूध में प्रोटीन और कैल्शियम तत्वों का प्रचार होने से यह दूध अद्वितीय तथा पारदर्शी होता है।
गाय का दुध पुरी मानव जाति के लिए है संपूर्ण भोजन है। वैसे तो यह सभी आयु वर्ग के लिए श्रेष्ठ माना जाता है बड़ों के लिए भी गाय के दूध में मिश्री और काली मिर्च मिलाकर पीने से सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है।
गाय के दूध में सबसे कम कोलेस्ट्रॉल होने के कारण मधुमेह के रोगियों को वसा रहित दूध सेवन की सलाह दी जाती है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों को भी प्रतिदिन 200 लीटर मिलीलीटर दूध पीने की सलाह दी जाती है। गाय का दूध पीने से सातवीक विचार, मानसिक शुद्धि एक बौद्धिक विकास भी होता है।
इसलिए जितना हो सके छोटे बच्चों को गाय का दूध जरूर शामिल करें क्योंकि यह गुणों का भंडार है।
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