Tittle - नवरात्रि कैसे मनाये
भारत में धूमधाम से मनाएं जाने वाले नवरात्रि साल में दो बार आते हैं. शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र. चैत्र मास शुक्ल पक्ष की एक से नौ तारीख तक जो नवरात्रि व्रत रखें जाते हैं वे चैत्र नवरात्र कहलाते हैं
शारदीय नवरात्रि- और आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पहली तारीख से जो नवरात्र व्रत किए जाते हैं वे शारदीय नवरात्र कहलाते हैं. शारदीय नवरात्रों के दसवें दिन विजयदशमी मनाई जाती है. आज हम चैत्र नवरात्रों के बारे में बात करेंगे.
चैत्र नवरात्रि-
चैत्र नवरात्रि बिल्कुल शारदीय नवरात्रों की ही तरह धूमधाम से देशभर में मनाएं जाते हैं. कई बार तिथियों के हेर-फेर से पूजा आठ दिन भी होती है. यानी एक ही दिन में दो नवरात्रों की पूजा होती है.
चैत्र नवरात्रि-
हिन्दू धर्म में नवरात्रों को पूरे धूमधाम से पूजा-अर्चना के साथ उपवास करके मनाया जाता है. चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास है क्योंकि हिन्दु कैलेण्डर का ये पहला दिवस होता है. लोग साल के पहले दिन से नौंवे दिन तक पूरी श्रद्धा से चैत्र नवरात्रि का पूजन करते हैं।
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चैत्र नवरात्रि मानाने का कारण
बहुत कम ही लोग ये बात जानते होंगे कि चैत्र नवरात्रों को वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि शारदीय नवरात्रों की पूजा जहां भगवान राम ने आरंभ की थी वहीं चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन भगवान राम के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है.
चैत्र नवरात्रि
शारदीय नवरात्रों में जिस तरह पूरे अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है ठीक वैसे ही चैत्र नवरात्रों में भी होता है. उत्तर भारत में चैत्र नवरात्रि धूमधाम से मनाया जाता है. जबकि महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है. आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादी से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है.
चैत्र नवरात्रि का इतिहास
नौ स्वरूपों वाली मां दुर्गा को जगदम्बा, शेरांवाली और अम्बे मां के नाम से भी पुकारा जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. दरअसल, महिषासुर ने कठोर तपस्या करके देवताओं से अजय होने का वरदान ले लिया था.
चैत्र नवरात्रि का इतिहास
जिसके बाद महिषासुर ने अपनी शक्तियों का गलत उपयोग किया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक ले गया, इससे सभी देवता परेशान हो गए. यहां तक कि महिषासुर ने सभी देवताओं के अधिकार उनसे छीन लिए
इससे क्रोधित होकर देवताओं ने दुर्गा मां की रचना की और देवी मां का सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र दिए. शक्तिशाली दुर्गा मां का महिषासुर से नौ दिन तक संग्राम छिड़ा और आखिरकार महिषासुर का वध हुआ. इसलिए नवरात्रों में नौ देवियों की पूजा होती है और नौंवे दिन नौ कन्याओं की पूजा कर उनका आदर-सत्कार कर उन्हें खाना खिलाया जाता है।
इस प्रकार हमारे भारत में हर साल नवरात्रों को साल में दो बार मनाया जाता है। इन दिनों में ज्यादातर घरों में लहसुन और प्याज खााने का परहेज किया जाता है। नवरात्रों में जितनाा हो अपने घर पर शुद्ध सात्विक भोजन बनाएं और घर के सदस्य एक साथ मिलकर भोजन करें ।अगर संभव हो तो एक समय खाने में मीठा जरूर बनाए और सबसे पहले मां दुर्गा को भोग भोग लगाएं
अगर आपको नवरात्रि कैसे बनाएं और किस प्रकार पू करें इस विधि के बारे मेंं पूरी जानकारी लेनी हो तो इस विषय पर मेरेेे और भी लेेख dilkalfaaz.in पर
शारदीय नवरात्रों में जिस तरह पूरे अनुष्ठान के साथ मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है ठीक वैसे ही चैत्र नवरात्रों में भी होता है. उत्तर भारत में चैत्र नवरात्रि धूमधाम से मनाया जाता है. जबकि महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है. आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादी से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होती है.
चैत्र नवरात्रि का इतिहास
नौ स्वरूपों वाली मां दुर्गा को जगदम्बा, शेरांवाली और अम्बे मां के नाम से भी पुकारा जाता है. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. दरअसल, महिषासुर ने कठोर तपस्या करके देवताओं से अजय होने का वरदान ले लिया था.
चैत्र नवरात्रि का इतिहास
जिसके बाद महिषासुर ने अपनी शक्तियों का गलत उपयोग किया और नरक को स्वर्ग के द्वार तक ले गया, इससे सभी देवता परेशान हो गए. यहां तक कि महिषासुर ने सभी देवताओं के अधिकार उनसे छीन लिए
इससे क्रोधित होकर देवताओं ने दुर्गा मां की रचना की और देवी मां का सभी देवताओं ने अपने अस्त्र-शस्त्र दिए. शक्तिशाली दुर्गा मां का महिषासुर से नौ दिन तक संग्राम छिड़ा और आखिरकार महिषासुर का वध हुआ. इसलिए नवरात्रों में नौ देवियों की पूजा होती है और नौंवे दिन नौ कन्याओं की पूजा कर उनका आदर-सत्कार कर उन्हें खाना खिलाया जाता है।
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