इस लेख में मैं आपको यह बताने जा रही हूं कि घर पर रहकर प्रभु का ध्यान कैसे करें और क्यों करें। अगर आप गृहस्थ जीवन में भी रहते हैं तब भी आप प्रभु का धयान घर में रहकर बहुत आसानी से कर सकते हैं और जिसके करने से हमारे शरीर की कई प्रकार की बीमारियां ठीक होती हैं और जो करना बहुत ही आसान है।
ध्यान कैसे लगाायें-
ध्यान तीन स्थानों में होता है नाभी, हृदय और मस्तक मे। नाभि में क्रियाशक्ति रहती है, वहां ब्रह्मा का ध्यान होता है। हृदय में इच्छाशक्ति प्रेम शक्ति अथवा भावना शक्ति रहती है, वहां विष्णु का ध्यान होता है। मस्तक में ज्ञान के देवता भगवान शिव का ध्यान होता है। प्राणायाम के द्वारा क्रियाशक्ति, इच्छा शक्ति और ज्ञान शक्ति तीनों का ही पूर्ण विकास होता है।ध्यान करने से सच्ची शांति, सच्चा सुख, संतोष, तृप्ति और सफलता मिलती है। सांसारिक विचारों पर तर्क वितर्क तनाव टेंशन पर काबू पाने के लिए मन को शांत एकाग्र करने के लिए प्रारंभ मे ओम का उच्चारण ऊंचे स्वर में करने से दूसरे विचारों से मुक्त हो सकते हैं। शुरू शुरू में अनेक प्रकार की मुश्किलें सामने आएंगी लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत पड़ जाएगी। नैतिक विचार ध्यान में बाधा डालेंगे लेकिन घबराने की कोई बात नहीं विचारों को बलपूर्वक रोकने की कोशिश ना करें।
अभ्यास कैसे शुरू करे-
जैसे जैसे ध्यान का अभ्यास बढ़ता जाएगा वैसे-वैसे विचार धीरे-धीरे ही बंद हो जाएंगे। शुद्ध हवादार कमरे जो मकान के उत्तर या पूर्व में हो उस कमरे के उत्तर पूर्व के कोने में ध्यान लगाने का आसन का श्रेष्ठ माना जाता है। आसन पर बैठकर अपने इष्ट देव की मूर्ति या फोटो को मनपसंद किसी भी फुल में ध्यान का केंद्र मानकर बिना पलक झपकाए दृष्टि में रखते हुए ध्यान का केंद्र को 3 या 4 मिनट तक देखते रहे। फिर आंखों को बंद करके अपने इष्ट देव को मानसिक अवलोकन कोटि के मध्य में दोनों आंखों के बीच में तीसरी नेत्र की जगह देखे या हृदय में देखने की कोशिश करें। थोड़े थोड़े अभ्यास करने से यह संभव हो जाएगा ।अच्छी तरह से वह ध्यान केंद्र आंखों के बंद करने पर आपको दिखने लग जाएगा। यह ध्यान लगाने वाली पहली सीढ़ी है और इसी व्यवस्था में पहुंचकर अपने इष्ट देव को मानसिक जाप कुछ देर तक करते रहने से मन ही एक ध्यान की अवस्था में प्रवेश करेगा। और अनेक प्रकार की नई चमत्कारी रहस्य में नई चीजों का अनुभव होगा। और दिव्य ज्योति मानसिक शांति महसूस होगी।
भगवान् से योग लगाने का समय-
ध्यान करने का उत्तम समय सुबह 4:00 से 6:00 बजे का समय श्रेष्ठ माना जाता है,या फिर रात को जब घर के सभी सदस्य सो जाते हैं ईशान कोण का कमरा हवादार शुद्ध और सव्चछ होना चाहिए और जुते चप्पल वहां नही जाना चाहिए। पद्मासन सिद्धासन में बैठकर मेरुदंड और गर्दन को सीधा एक लाइन मे रखे ।मन में किसी प्रकार का तनाव ना आये शुरू कर के धीरे-धीरे एक घंटा ज्यादा ध्यान करना चाहिए।और अपने पास में पानी जरूर रखें। ध्यान शुरू करने से पहले से स्वस्थ जल का आचमन तीन बार करके प्रणाम करने से मन शांत होता है।
प्रणायाम करने के बाद 3 बार गहरी सांस लेते समय पेट फूल जाए उसके बाद सांस धीरे-धीरे लेना शुरू कर के मन को शांत रखते हैं। प्रत्येक सांस लेते समय छोड़ते समय महसूस करे।
अंदर और बाहर निकलते हुए सांसो को महसूस करें। अंदर जाने वाले बाहर निकलने से मन चित्त शांत और स्वस्थ हो जाता है ।
Meditation benefit ( लाभ-)
ध्यान लग जाने पर शरीर के प्रत्येक कोशिका अध्यात्मिक शक्ति से परिपूर्ण हो जाती है। मन की कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो जाती हैं। और वह व्यक्ति किसी भी कार्य को कम समय में पूरा कर सकता है। शांति हमें ध्यान के द्वारा ही मिल सकती है। ध्यान के द्वारा हम मानसिक एवं शारीरिक शक्ति को भी भुला सकते हैं।
ध्यान के द्वारा हम हृदय रोगों से मानसिक रोगों, स्वास जैसे रोगों से, ध्यान से दुखों से छुटकारा पाकर सभी समस्याओं से आसनी से मुक्ति मिल सकती है। यदि हम पूर्ण विश्वास निष्ठा से प्रणायाम करते हो तो प्राण शक्ति का ज्ञान होता है।
यदि तुम विश्वास के साथ ध्यान करो तो चेतना का ज्ञान मिलता है। निष्ठा से अनपढ़ को भी गहन ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस प्रकार आप अपने मन को शांत करके ध्यान की शिक्षा ग्रहण खुद कर सकते हो। आपको कहीं जंगलों में या कहीं और भटकने की जरूरत नहीं है। ध्यान घर पर रहकर भी लग सकता है।
परमात्मा की अनुभूति कैसे अनुभव करें -
इस संसार को चलाने वाली एक ऐसी अदृश्य शक्ति है। जिसको सिर्फ हम अनुभव कर सकते हैं देख नहीं सकते यानी मेरे कहने का भाव है जिस प्रकार हमें सर्दी और गर्मी , हवा का अनुभव होता है ,उसी प्रकार हमें परमात्मा के होने का अनुभव होने लग जाता है।
इस पूरे ब्रह्मांड में एक ऐसी आवाज गूंज रही है जिसको हम नाद कहते हैं ,अनहद नाद ।
जब हम उस ब्रह्मा नाद ऊँ को सुनते हैं और उसका उच्चारण करते हैं तब हमारे अंदर एक ऊर्जा पैदा होने लगती है।
यह ध्वनि है ओम की जिसे किसी इंसान ने नहीं बनाया है। यह तो ब्रह्मांड में लगातार गूंज रही है ।इसका हम जितना उच्चारण करेंगे उतनी ही हमारे अंदर शांति ,शक्ति और समृद्धि और सकारात्मक सोच उत्पन्न होगी, और हमारे अंदर की नकारात्मक विचारों का खत्म होना शुरू हो जाता है।
ऊँ शब्द हमें ईश्वर का होने का अनुभूति करवाता है और जब इसको हम लगातार ध्यान और जप करते हैं तो हमारे अंदर एक अलग तरह की वृद्धि अवश्य होगी।
परमात्मा की अनुभूति का एहसास करने के लिए अपने मन को साधने की जरूरत है।
अपने आप को व्यर्थ की बातों में ना उलझाये । जिंदगी बहुत किमती है इसे व्यर्थ ना करें ।निराशा को मन में ना लाएं नहीं तो हमारी उर्जा का नाश होता है। जो भी चल रहा है उसे स्वीकार करें और ऐसा सोचे कि भगवान कभी किसी के बुरे में नहीं होता।
परमात्मा ने हम सब को किसी एक मकसद के लिए भेजा है, खुद को पहचानने का प्रयास करें ।आप स्वयं को पहचान कर ही भगवान को पा सकते हैं ।
अगर जरूरत है हमें बस एक कदम बढाये अपनी उर्जा को अंदर की तरफ मोड ले कयोंकि परमात्मा हमारे अंदर ही हैं
वह तीर्थ स्थानों पर नहीं है। इसके लिए हमें खुद के भीतर प्रवेश करना होगा ।जहां अमृत बह रहा है और उसको हमें पाना है ध्यान के द्वारा।
ध्यान की ओर चलना तभी संभव होगा जब हम अपना हर काम शांति के साथ करेंगे। एक अच्छे इंसान की सही पहचान होती है शांति से ,शांत स्वभाव ही इंसान का सबसे पहली पहचान है। जब आप बाहर की बातों में उलझना बंद कर देंगे तब आपके अंदर का आप अपने अंदर की आवाज सुनना शुरू हो जाएगी, और इसी आवाज को हम परमात्मा की अनुभूति कहते हैं।
यह हमें धीरे-धीरे एहसास होने लग जाता हैं। ध्यान की क्रियाओं का क्रम बनाकर यदि लगातार हम अभ्यास करेंगे और नेत्र बंद करके शांति से बैठ जाएंगे तो हमारे अंदर से एक परमात्मा की अनुभूति की आवाज आनी शुरू हो जाएगी। जिसको हम ऊँ की ध्वनि में सहज रूप से सुनाई देने लगेगी यही सबसे पहली अवस्था है परमात्मा की अनुभूति होने की।
जब हम मुख से बोलते हैं तब परमात्मा नहीं सुन पाते, पर जब हम दिल से बोलते हैं तो परमात्मा हमारी बात बहुत ध्यान से सुनता है। इसीलिए जब भी ध्यान में बैठो तो पुरा धयान ईश्वर में लगा दो, वह आपके मन की आवाज को अवश्य सुनेगा और आपको आपकी हर समस्या का समाधान भी देगा।
दिन में किसी भी समय 24 घंटे में से 20 मिनट तो अवश्य अपने लिए और परमात्मा को याद करने के लिए निकालो ।
एक कदम अगर आप उनकी तरफ बढाऔगै तो चार कदम परमात्मा आपकी तरफ बढ़ाएगा और वह आपका हाथ थाम लेगा फिर कभी नहीं छोड़ेगा। बाकी सब रिश्ते दुनिया के झूठे हैं असली रिश्ता तो हमारा सिरफ परमात्मा से है। परमात्मा ही हमारा सबका शिव परमपिता बाप है।
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Posted by-kiran
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