Tittle-फास्ट फूड खाने के नुकसान -आजकल का रहन सहन और खान पान की शैली में जो परिवर्तन हो रहे हैं जो खासतौर पर फास्ट फूड के बढ़ते प्रचलन के कारण बहुत सारे लोगों में पित्ताशय की पथरी की समस्या बढ़ रही है। एक डॉक्टर के अनुसार यदि जो बच्चे चिडचिड़े है और वो घर का खाना पसंद नहीं करते उनका मानना है कि फास्ट फूड भोजन उन्हें अधिक स्वस्थ रखता है। जबकि एक अध्ययन के अनुसार यह पता चला कि फास्ट फूड बच्चों को सिर्फ स्वास्थ्य पर ही नहीं उनके दिमाग पर भी बुरा असर डालता है। फास्ट फूड बच्चों के स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि आँखो पर भी विपरीत असर डाल रहे हैं, और उनकी आदतें और स्वभाव भी बदल रहे हैं। फास्ट फूड के कारण बच्चे अरुचि के लक्षण और कई तरह की
बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
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डिब्बा बदं जुस पिने के दुष्प्रभाव-
फास्ट फूड और बाजार से मिलने वाले डिब्ब बदं पेय पदार्थ बार-बार लिए जाने वाले फास्ट फूड अलसर को बढ़ावा देते हैं, जैसे पिज्जा, बर्गर और पास्ता आदि इन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और यह सब खाने हमारे मस्तिष्क में काम करने की क्षमता कम कर देते है। यह भुख को मारने और गैस और कब्ज जैसी बीमारी को बढ़ावा देते हैं। एनोरेक्सिया की शुरुआत आमतौर पर बच्चों में 10 से 12 वर्ष की उम्र में होती है आगे चलकर लगभग 85% बच्चे एनोरेक्सिया के शिकार हो जाते हैं, कयोंकि उनके खाने की अरुचि बढ़ जाती है। इंन्डौर खेल भी आज इन आदतों का मुख्य कारण है। खेलने के बाद बच्चे जंक फास्ट फूड इस्तेमाल करते हैं और स्टेडियम में बनी हुई दुकाने ने उन्हें प्राकृतिक भोजन नहीं देती, वैसे भी बच्चे समझते हैं फास्ट फूड उन्हें ताकत देते हैं, जबकि यह केवल भ्रम मात्र है। फास्ट फूड की बनी हुई वस्तुओं में कृत्रिम रंग शक्कर की जगह मीठापन बनायें रखने के लिए प्रिजर्वेटिव आदि का प्रयोग लंबे समय तक फास्ट फूड को प्रयोग करने वाले के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। एक रेस्टोरेंट के फास्ट फूड सेंटर में स्वच्छता की कमी, एक ही तेल में बार-बार तलना ,गंदे कपड़े बर्तनों के लिए इस्तेमाल करना, बासी पदार्थों से चीजों को बनाना आदि कारणों से स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है।
फास्ट फूड के प्रयोग से हो सके जितना भी बचा जाये तो बचाव ही करना चाहिए। अगर किसी कारण फास्ट फूड का प्रयोग करना भी पड़े तो सावधानी अवश्य बरते
।बढ़ते डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों की अपेक्षा ताजी वस्तुओं का ही सेवन करें, तली हुई वस्तुओं की अपेक्षा अंकुरित की हुई वस्तुओं को अधिक महत्व दे। जहां तक संभव हो फलाहार ही लेने की कोशिश करें।
फल और ताजे जुस के गुण-
कोल्ड ड्रिंक में अन्य ठंडे पदार्थों के बजाय फलों का जूस, गन्ने का रस या मिल्क शेक का ही इस्तेमाल करें ।नूडल्स, पिज्जा जैसी वस्तुओं की बजाय ब्राउन ब्रेड, या फिर ब्रेड के सैंडविच आदि वस्तुओं को ही खाने का अधिक महत्व दें क्योंकि खाने का हमारे शरीर पर बहुत अधिक महत्व माना गया है। जैसा भोजन करेंगे वैसा ही हमारा मन होगा एक कहावत के अनुसार जैसा खाएंगे अन वैसा हो जाएगा मन, इसलिए जो भी खाए सोच समझ कर खाएं क्योंकि शरीर आपका ही है लोगों का नहीं।
खाने से पहले साफ सफाई और किस जगह कहां खाना है इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए। खाना हमेशा ऐसी जगह खाना चाहिए जहां पर थोड़ी भीड़ हो क्योंकि जहां पर भीड़ होगी वहां पर यानी अच्छा खाना होगा और वहां ताजा ही खाना मिलेगा, बासी भोजन नहीं मिलेगा। इसलिए खाने के लिए किसी भी प्रकार का समझौता ना करें। खाना चाहे कम खाएं पर अच्छा ही भोजन खाएं।
कयोंकि सवास्थय के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहिए, हमारा सवास्थय ही सबसे बड़ा धन है।
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