Tittle- छोटी छोटी दुर्घटना के लिए घरेलू उपाय-अक्सर हमारी जिंदगी में कई बार अचानक से कुछ भी घटना घट जाती है ।इसलिए आज मैं आपके साथ कुछ ऐसे छोटे-छोटे उपाय शेयर कर रही हूं जिनको अपनाकर आप भी दुर्घटना होने पर अपने आप को संभाल सकते हो ।यह छोटे-छोटे उपाय बड़े काम के हैं आप इन्हें अपना कर अपना जीवन सुरक्षित कर सकते हो।
* दुर्घटना में चोट लगने पर यदि धमनी का रक्त निकल रहा हो तो घायल अंग को ऊपर करके रखना चाहिये । यदि शिरा से रक्तप्रवाह हो रहा हो तो उस अंग को नीचे करके रखें ऐसा करने से रक्तस्राव जल्दी बंद होगा ।
* घाव को ठंडे पानी से धोकर उस पर बर्फ रखें और ठंडे पानी से भीगे कपड़े की पट्टी बांधे । इससे रक्तस्राव जल्दी बंद होगा ।
* चोट के समीप ऊपर की ओर से दबाव रखने पर भी रक्त की कम मात्रा निकलेगी । पट्टी बंधने तक चोट को दबाकर रखने का प्रयास करें ।
* सामान्य कोशिकाओं से रक्तस्राव हो रहा हो तो अंगुली से कुछ देर तक दबाकर रखें और डेटॉल या जीवाणुनाशक धोल से साफ करके उस पर फिटकरी रखकर हल्की पट्टी बांध दें । सामान्य चोट पर फिटकरी छिड़ककर पट्टी बाध देने से रक्त बहने से रुक जाता है ।
*. यदि नाक से रक्तस्राव हो रहा हो तो स्वच्छ हवादार स्थान में रोगी को बैठा दें । सिर को पीछे की ओर लटकाकर रखें । हाथों की ऊपर की ओर कर दें । गले और वक्षःस्थल के कपड़ों को ढीला कर दें । नाक और गर्दन पर बर्फ का ठंडा पानी रखें । मुंह को खुला रखकर श्वास लें और पैरों को गर्म पानी में रख दें । इससे नासिका का रक्तस्राव शीघ रुक जायेगा ।
* सामान्य कोशिकाओं से रक्तस्राव हो रहा हो तो अंगुली से कुछ देर तक दबाकर रखें और डेटॉल या जीवाणुनाशक धोल से साफ करके उस पर फिटकरी रखकर हल्की पट्टी बांध दें । सामान्य चोट पर फिटकरी छिड़ककर पट्टी बाध देने से रक्त बहने से रुक जाता है ।
*. यदि नाक से रक्तस्राव हो रहा हो तो स्वच्छ हवादार स्थान में रोगी को बैठा दें । सिर को पीछे की ओर लटकाकर रखें । हाथों की ऊपर की ओर कर दें । गले और वक्षःस्थल के कपड़ों को ढीला कर दें । नाक और गर्दन पर बर्फ का ठंडा पानी रखें । मुंह को खुला रखकर श्वास लें और पैरों को गर्म पानी में रख दें । इससे नासिका का रक्तस्राव शीघ रुक जायेगा ।
* प्रायः दुर्घटानाओं में अत्यधिक चोट लग जाने से रक्तश्राव अधिक होने के साथ ही कभी - कभी हड्डी भी टूट जाया करती है । टूटी हड़ी के संदर्भ में कोशिश यह करनी चाहिये कि बिना देर किये यथास्थिति में घायल को शीघ्र चिकित्सालय पहुचायें । हिलने - जुलने से अधिक हानि पहुच सकती है । कभी - कभी टूटी हडी ही मांस को फाड़कर बाहर निकल आती है । ऐसी स्थिति में अत्यन्त सावधानी रखने की जरूरत पड़ती है ।
* हडी टूटने पर एक्स - रे करके सही स्थिति का आकलन कर प्लास्टर आदि करना पड़ता है । हड्डी टूटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार इस प्रकार करने चाहिये । यदि जाध , पर या हाथ की हड्डी टूटी हो तो बिना हिलाये - ढुलाये टूटे अंग पर स्केल या लकड़ी की खपच्ची दोनो ओर रखकर बांध दें और निकटवर्ती चिकित्सालय ले जाने की व्यवस्था करे । रक्त निकल रहा हो तो उसे रोकने का प्रयास करना चाहिये ।
* हड्डी का सिरा टूटकर बाहर निकल गया हो तो ऐसी स्थिति में बिना हिलाये - डुलाये रखें और चिकित्सक को बुलायें ।
* सिरकी हड्डी टूट गयी हो तो सिर ऊंचा करके लिटा दें , घाव पोछकर हल्की पट्टी बांध दें । सीने और गर्दन के वस्त्र ढीले कर दें । उसे शान्त और गर्म रखने का प्रयास करें तथा रोगी को सान्त्वना दें ।
* यदि रीढ़ या कमर की हड्डी टूटी हो तो पड़ा ही रहने दें , चिकित्सक को बुलायें , अन्यथा अधिक गम्भीर हानि पहुंच सकती है ।
* आंख , कान , नाक आदि में कोई वस्तु चले जाना पर कया करे -
अकसर हमारे कान , नाक , आंख व गले में किसी अवांछित वस्तु का जब प्रवेश हो जाता है तो हम परेशान हो उठते हैं । अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाये तो इन उपायों पर अमल किया जा सकता है।
* कान में किसी वस्तु का प्रवेश होने पर कया करे -
* हडी टूटने पर एक्स - रे करके सही स्थिति का आकलन कर प्लास्टर आदि करना पड़ता है । हड्डी टूटने की स्थिति में प्राथमिक उपचार इस प्रकार करने चाहिये । यदि जाध , पर या हाथ की हड्डी टूटी हो तो बिना हिलाये - ढुलाये टूटे अंग पर स्केल या लकड़ी की खपच्ची दोनो ओर रखकर बांध दें और निकटवर्ती चिकित्सालय ले जाने की व्यवस्था करे । रक्त निकल रहा हो तो उसे रोकने का प्रयास करना चाहिये ।
* हड्डी का सिरा टूटकर बाहर निकल गया हो तो ऐसी स्थिति में बिना हिलाये - डुलाये रखें और चिकित्सक को बुलायें ।
* सिरकी हड्डी टूट गयी हो तो सिर ऊंचा करके लिटा दें , घाव पोछकर हल्की पट्टी बांध दें । सीने और गर्दन के वस्त्र ढीले कर दें । उसे शान्त और गर्म रखने का प्रयास करें तथा रोगी को सान्त्वना दें ।
* यदि रीढ़ या कमर की हड्डी टूटी हो तो पड़ा ही रहने दें , चिकित्सक को बुलायें , अन्यथा अधिक गम्भीर हानि पहुंच सकती है ।
* आंख , कान , नाक आदि में कोई वस्तु चले जाना पर कया करे -
अकसर हमारे कान , नाक , आंख व गले में किसी अवांछित वस्तु का जब प्रवेश हो जाता है तो हम परेशान हो उठते हैं । अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाये तो इन उपायों पर अमल किया जा सकता है।
* कान में किसी वस्तु का प्रवेश होने पर कया करे -
अगर कान में कोई कीड़ा - मकोड़ा प्रवेश कर गया हो तो कान में टॉर्च की रोशनी दिखायें , कीड़ा - मकोड़ा रोशनी से आकृष्ट होकर बाहर निकल आयेगा । यह अनुभव किया हुआ प्रयोग है।
* कान में दो - तीन बूंद गुनगुना जल ड्रापर से डालें ।
* कान में ग्लिसरीन , सरसों या जैतून का तेल या स्प्रिट की कुछ बूंदें डालें । यदि यह उपाय कारगर न हो , कोई वस्तु फंस गयी हो तो वस्तु को निकालने का प्रयास करें ।
* यदि वस्तु फिर भी न निकले तो चिकित्सक को दिखायें । हाइड्रोजन परक्साइड आदि कान के अंदर न डालें । इससे कान के पर्दे को हानि पहुंच सकती है
* आंख में किसी वस्तु का प्रवेश कर जाना -
अगर आंख में कोई वस्तु पड़ जाये तो उसे पर बुरी तरह मलें नहीं । पलक को ऊपर उठाकर रूमाल के कोने से साफ रूई की बत्ती बनाकर या ब्लाटिंग पेपर के टुकड़े से निकाले ।
* ऊपरी पलक को थोड़ा ऊपर उठाकर नीचे की पलक को बालसहित ऊपरी पलक के नीचेकर धीरे - धीरे हाथ से मले ।
*आंख पर पानी की धार या पानी का छींटा डालें ।
* आंख में एक - दो बूंद गुलाबजल या जैतून का तेल डालें ।
* यदि चूना पड़ गया हो तो पानी का छींटा दें या सिरके का घोल डालें
* नाक में किसी वस्तु का प्रवेश -
* नाक के जिस छिद्र में वस्तु अटकी हो उसके बगलवाले छिद्र को बंद करके झटके से श्वास बाहर की ओर निकालें ताकि भीतर की हवा से दबाव से वस्तु बाहर निकल आयें । नौसादर या तंबाकू सुधाकर छींक लाने का प्रयास करे ।
* सख्ती से फसी वस्तु को छोटी चिमटी से निकालने का प्रयास करें ।
* गले में किसी वस्तु का फंसना - सिर आगे की ओर नीचे झुकाकर गर्दन पर पीछे की ओर से थपकी दें
* मुह को खोलकर अपनी दोनों उंगलियों से वस्तु को निकालने का प्रयास करें ।
* यदि खाद्य पदार्थ का छोटा टुकड़ा अटक गया हो तो मुंह से रोटी का पूरा कोर लेकर झटके से | निकलवायें ।
* यदि कोई नुकीली वस्तु अटक गयी हो तो रोगी को केला या खीर आदि खिलायें । इससे अटकी वस्तु पेट में चली जायेगी । अटकी वस्तु न निकले तो चिकित्सक को दिखायें ।
पानी में डूबने पर कया करे -
* कान में दो - तीन बूंद गुनगुना जल ड्रापर से डालें ।
* कान में ग्लिसरीन , सरसों या जैतून का तेल या स्प्रिट की कुछ बूंदें डालें । यदि यह उपाय कारगर न हो , कोई वस्तु फंस गयी हो तो वस्तु को निकालने का प्रयास करें ।
* यदि वस्तु फिर भी न निकले तो चिकित्सक को दिखायें । हाइड्रोजन परक्साइड आदि कान के अंदर न डालें । इससे कान के पर्दे को हानि पहुंच सकती है
* आंख में किसी वस्तु का प्रवेश कर जाना -
अगर आंख में कोई वस्तु पड़ जाये तो उसे पर बुरी तरह मलें नहीं । पलक को ऊपर उठाकर रूमाल के कोने से साफ रूई की बत्ती बनाकर या ब्लाटिंग पेपर के टुकड़े से निकाले ।
* ऊपरी पलक को थोड़ा ऊपर उठाकर नीचे की पलक को बालसहित ऊपरी पलक के नीचेकर धीरे - धीरे हाथ से मले ।
*आंख पर पानी की धार या पानी का छींटा डालें ।
* आंख में एक - दो बूंद गुलाबजल या जैतून का तेल डालें ।
* यदि चूना पड़ गया हो तो पानी का छींटा दें या सिरके का घोल डालें
* नाक में किसी वस्तु का प्रवेश -
* नाक के जिस छिद्र में वस्तु अटकी हो उसके बगलवाले छिद्र को बंद करके झटके से श्वास बाहर की ओर निकालें ताकि भीतर की हवा से दबाव से वस्तु बाहर निकल आयें । नौसादर या तंबाकू सुधाकर छींक लाने का प्रयास करे ।
* सख्ती से फसी वस्तु को छोटी चिमटी से निकालने का प्रयास करें ।
* गले में किसी वस्तु का फंसना - सिर आगे की ओर नीचे झुकाकर गर्दन पर पीछे की ओर से थपकी दें
* मुह को खोलकर अपनी दोनों उंगलियों से वस्तु को निकालने का प्रयास करें ।
* यदि खाद्य पदार्थ का छोटा टुकड़ा अटक गया हो तो मुंह से रोटी का पूरा कोर लेकर झटके से | निकलवायें ।
* यदि कोई नुकीली वस्तु अटक गयी हो तो रोगी को केला या खीर आदि खिलायें । इससे अटकी वस्तु पेट में चली जायेगी । अटकी वस्तु न निकले तो चिकित्सक को दिखायें ।
पानी में डूबने पर कया करे -
पानी में डूब जाना एक सामान्य दुर्घटना है । पानी में डूबा व्यक्ति बचने के लिये हाथ - पैर फेंकता है , छटपटाता है । जिससे नाक और मुंह के द्वारा पेट में पानी भर जाता है । पानी भर जाने से श्वास रुक जाती है और बेहोशी आ जाने के कारण मृत्यु भी हो जाती है ।
प्राथमिक उपचार-
डूबे व्यक्ति को सुरक्षित ढंग से पानी से बाहर निकालकर उसके पेट के अंदर भरा हुआ पानी निकालने का प्रयास करना चाहिये । नाक में कीचड़ आदि लगा हो तो कपड़े से साफ कर दें ।
डूबे व्यक्ति को सुरक्षित ढंग से पानी से बाहर निकालकर उसके पेट के अंदर भरा हुआ पानी निकालने का प्रयास करना चाहिये । नाक में कीचड़ आदि लगा हो तो कपड़े से साफ कर दें ।
दांतों के बीच कोई कड़ी वस्तु फंसा दें ताकि दांत पर दांत बैठकर मुंह बंद न हो जाये । रोगी को पेट के बल लिटाकर उसके कमर के नीचे दोनों हाथ डालकर बार - बार ऊपर उठायें । इससे फेफड़ों में जमा पानी बाहर निकल जायेगा । डूबे व्यक्ति को पेट के बल अपने सिर पर रखकर एक ही स्थान पर गोलाई में घूमने से भी पेट में गया पानी निकल जायेगा ।
देखें कि श्वास ठीक से चल रही है कि नहीं । नाड़ी की गति है कि नहीं , हृदय घड़क रहा है कि नहीं । श्वास रुक - रुककर चल रही हो तो सुंघनी आदि कोई वस्तु सुंघायें कि छींक आ जाये ।
देखें कि श्वास ठीक से चल रही है कि नहीं । नाड़ी की गति है कि नहीं , हृदय घड़क रहा है कि नहीं । श्वास रुक - रुककर चल रही हो तो सुंघनी आदि कोई वस्तु सुंघायें कि छींक आ जाये ।
* चूने में नौसादर मिलाकर सुंघा सकते हैं । छींक आने से श्वास ठीक से चलने लगेगा । सीने को बार - बार दवायें एवं छोड़ें । पेट के बल उल्टा लिटाकर पेट के नीचे गोल तकिया रख दें । पीठ को लगातार दबायें तथा छोड़ें । इससे फेफड़े की हवा बाहर निकलेगी , छोड़ने पर हवा भीतर जायेगी
* यदि इससे भी पूरी तरह से सांस ना चले तो मुंह से मुंह लगाकर कृत्रिम स्वसन देकर सांस चलाने का प्रयास करें या फिर नेट पे चेक करले कि रोगी को जल्द से जल्द पहुंचाना चाहिए निकट जो हस्पताल हो।
* आग की चपेट में आने पर कया करे और कया ना ...!!
* यदि इससे भी पूरी तरह से सांस ना चले तो मुंह से मुंह लगाकर कृत्रिम स्वसन देकर सांस चलाने का प्रयास करें या फिर नेट पे चेक करले कि रोगी को जल्द से जल्द पहुंचाना चाहिए निकट जो हस्पताल हो।
* आग की चपेट में आने पर कया करे और कया ना ...!!
आग की लपेट में आ जाने पर भाग दो भागदौड़ नहीं करनी चाहिए आपसे आपसे सुरक्षित स्थान पर पहुंच कर इधर-उधर लुढ़कना चाहिए इससे आग जल्दी बुझ जाती है जलते हुए कपड़ों को बड़ी सावधानी से ब्लेड या चाकू से काट कर अलग कर देना चाहिए।
जलते हुए व्यक्ति पर मिट्टी , कम्बल डालकर आग बुझाने का प्रयास करना चाहिये । कम्बल से इस प्रकार ढक किया जाये इससे आग तुरंत बुझ जायेगी । मगर कम्बल आदि डालकर आग बुझाने से गहराई बढ जाती है और तवचा अन्दर तक झुलस जाती है ।
पानी डालकर आग बुझाने से फफोले पड़ जाते है , पर धाव गहरे नहीं होते । जितनी जल्दी हो सके जो भी साधन उपलब्ध हो आग बुझाना चाहिये
जले हुए स्थान पर नारियल का तेल लगाना चाहिये । यदि गर्म घी - तेल आदि गिरने से फफोले पड़ गये हो तो यह उपचार पर्याप्त है ।
जले हुए स्थान को हल्के - हल्के रूई से साफ करके नारियल या जैतून का तेल आदि लगाना चाहिये ।
संक्रमण आदि से बचाने के लिये जीवाणुनाशक घोल - जैसे सोडा - बाई - कार्ब के घोल से धोना उचित । मलहम लगाने से घाव देरी से भरते है । फफोलों को फोड़े नही । इस पर नारियल का तेल या मक्खन लगाये । भूलकर भी मिट्टी का तेल , पेट्रोल या सिप्रट ना लगाये ।
* जल जाने पर तारपीन का तेल लगाने से फफोले नहीं पड़ते , जलन भी कम होती है । जले हुए स्थान पर प्रतिदिन नारियल का तेल लगाए जिससे जले निशान काफी फीकी पड़ जायेगे । जल जाने पर पके केले को मसलकर लगाने से फफोले नहीं पड़ते है और आराम मिलता है ।
* जले हुए अंग पर अरण्ड के पते लगाने से आराम मिलता है ।
* आग से जल जाने पर कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल ले , फिर जले हुए स्थान पर उस रस को लगाने से आराम हो जाता है । इसके अतिरिक्त इमली की मल जलाकर उसका महीन चूर्ण बना ले , उस चूर्ण को गो - घृत में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है ।
* हाथ जल जाता है तो उस पर सबसे पहले थोड़ा - सा सफेद नमक लगाएं , इससे फफोला नहीं पड़ेगा । जब कभी किसी को आप आग हो जलने या झुलसने से आक्रान्त देखें , तुरंत उसके जले - झुलसे अंग को ठंडे पानी में कम - से - कम एक घंटा डुबोकर रखें -
उससे जलन दूर होगी और घाव का फफोला नहीं होगा ।
* यदि पूरा शरीर जल जाये तो तुरत उसको बड़े पानी के होज में या तालाब में डुबो दें । सांस लेने के लिये नाक को पानी के बाहर रखें । यह याद रखें कि जला - झुलसा अंग पानी में लगातार एक या दो घंटे डुबा रहे और जले व्यकित पर पानी नहीं छिडकना चाहिये- इससे हानि होती है
* पानी में डूबोकर रखना ही कारगर इलाज है। हर हाल में पानी में डुबोकर रखना ही सही रहेगा वरना सारे शरीर पर फफोले पड़ जाएंगे और इसलिए जले हुए व्यक्ति को बिना देरी किए ठंडे पानी में ज्यादा देर तक डुबोकर रखें।
जलते हुए व्यक्ति पर मिट्टी , कम्बल डालकर आग बुझाने का प्रयास करना चाहिये । कम्बल से इस प्रकार ढक किया जाये इससे आग तुरंत बुझ जायेगी । मगर कम्बल आदि डालकर आग बुझाने से गहराई बढ जाती है और तवचा अन्दर तक झुलस जाती है ।
पानी डालकर आग बुझाने से फफोले पड़ जाते है , पर धाव गहरे नहीं होते । जितनी जल्दी हो सके जो भी साधन उपलब्ध हो आग बुझाना चाहिये
जले हुए स्थान पर नारियल का तेल लगाना चाहिये । यदि गर्म घी - तेल आदि गिरने से फफोले पड़ गये हो तो यह उपचार पर्याप्त है ।
जले हुए स्थान को हल्के - हल्के रूई से साफ करके नारियल या जैतून का तेल आदि लगाना चाहिये ।
संक्रमण आदि से बचाने के लिये जीवाणुनाशक घोल - जैसे सोडा - बाई - कार्ब के घोल से धोना उचित । मलहम लगाने से घाव देरी से भरते है । फफोलों को फोड़े नही । इस पर नारियल का तेल या मक्खन लगाये । भूलकर भी मिट्टी का तेल , पेट्रोल या सिप्रट ना लगाये ।
* जल जाने पर तारपीन का तेल लगाने से फफोले नहीं पड़ते , जलन भी कम होती है । जले हुए स्थान पर प्रतिदिन नारियल का तेल लगाए जिससे जले निशान काफी फीकी पड़ जायेगे । जल जाने पर पके केले को मसलकर लगाने से फफोले नहीं पड़ते है और आराम मिलता है ।
* जले हुए अंग पर अरण्ड के पते लगाने से आराम मिलता है ।
* आग से जल जाने पर कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल ले , फिर जले हुए स्थान पर उस रस को लगाने से आराम हो जाता है । इसके अतिरिक्त इमली की मल जलाकर उसका महीन चूर्ण बना ले , उस चूर्ण को गो - घृत में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है ।
* हाथ जल जाता है तो उस पर सबसे पहले थोड़ा - सा सफेद नमक लगाएं , इससे फफोला नहीं पड़ेगा । जब कभी किसी को आप आग हो जलने या झुलसने से आक्रान्त देखें , तुरंत उसके जले - झुलसे अंग को ठंडे पानी में कम - से - कम एक घंटा डुबोकर रखें -
उससे जलन दूर होगी और घाव का फफोला नहीं होगा ।
* यदि पूरा शरीर जल जाये तो तुरत उसको बड़े पानी के होज में या तालाब में डुबो दें । सांस लेने के लिये नाक को पानी के बाहर रखें । यह याद रखें कि जला - झुलसा अंग पानी में लगातार एक या दो घंटे डुबा रहे और जले व्यकित पर पानी नहीं छिडकना चाहिये- इससे हानि होती है
* पानी में डूबोकर रखना ही कारगर इलाज है। हर हाल में पानी में डुबोकर रखना ही सही रहेगा वरना सारे शरीर पर फफोले पड़ जाएंगे और इसलिए जले हुए व्यक्ति को बिना देरी किए ठंडे पानी में ज्यादा देर तक डुबोकर रखें।
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