सफेद दाग को कैसे ठीक करें-
हमारे शरीर में अचानक से विभिन्न स्थानों पर धीरे-धीरे सफेद दाग निकलने और पूरी तरह से फैलने लग जाते हैं जिसे हम सफेद दाग और फुलवारी के नाम से जानते हैं।
यदि शुरू में ही इसका उपचार नहीं किया जाता तो यह रोग शरीर के समस्त चमडी को श्वेत चिन्हों के रूप में परिवर्तित कर देता है। यह बहुत ही बुरा रोग है और जड़ पकड़ने पर इसे नियंत्रण करना बहुत कठिन हो जाता है। इसके लिए नियमित रूप से खानपान में पूरा नियंत्रण रखने से और कुछ दवाइयों का प्रयोग करने से धीरे-धीरे यह सफेद दाग समाप्त हो जाते हैं। सबसे पहले अपने खान-पान पर नियंत्रण करना होगा भोजन में साग, सब्जी, दालों ,फलों आदि का सेवन करने से सभी प्रकार के नमक का परित्याग करना अति आवश्यक है। जिस व्यक्ति या महिला को सफेद दाग की समस्या हो जाए तो वह तांबे के बर्तन में रात को पानी भरकर उसका सुबह उठकर सेवन करें।
गाजर, लौकी और दालें अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए, जिससे कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो। दिन मे दो से चार बादाम का प्रतिदिन सेवन करें।
सफेद दाग के होने पर कया खाये :-------
इस बिमारी से पीड़ित लोगों को सबसे ज्यादा अपने खानपान का धयान रखना सबसे जरूरी है। इसके लिये हमे करेला ,लौकी, तुरई से सोयाबीन पालक, मेथी, चौलाई, टमाटर, गाजर, परवल, मूली ,शलगम चुकंदर आदि को बिना नमक के ही प्रयोग करें। जिसके परिणाम बहुत ही जल्दी मिलते है।
चने की दाल:---
दालों में केवल चने की दाल का सबसे अधिक खाये वह भी नमक रहित प्रयोग करें। गाजर, पालक का रस में करेले का रस नमक रहित का प्रयोग करे।
बथुए का रस:-----
सफेद दाग के होने पर कया खाये :-------
इस बिमारी से पीड़ित लोगों को सबसे ज्यादा अपने खानपान का धयान रखना सबसे जरूरी है। इसके लिये हमे करेला ,लौकी, तुरई से सोयाबीन पालक, मेथी, चौलाई, टमाटर, गाजर, परवल, मूली ,शलगम चुकंदर आदि को बिना नमक के ही प्रयोग करें। जिसके परिणाम बहुत ही जल्दी मिलते है।
चने की दाल:---
दालों में केवल चने की दाल का सबसे अधिक खाये वह भी नमक रहित प्रयोग करें। गाजर, पालक का रस में करेले का रस नमक रहित का प्रयोग करे।
बथुए का रस:-----
बथुए का रस प्रतिदिन पिना इस रोग के लिए रामबाण औषधि का काम करता है।
चने की रोटी:----
इस रोग में चने की रोटी, देसी घी और बुरे के साथ खाने लाभदायक है और भुने हुए चने को नमक रहित प्रयोग करें ऐसा करने से बहुत जल्दी लाभ मिलेगा।
अनार का चूर्ण :--- --
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक करके पीस लें और 10 ग्राम रात को सोते समय प्रतिदिन ताजे पानी या गाय के दूध के साथ इस चूर्ण सेवन करने से यह रोग कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
बावची ------
बावची के बीजों को भिगोकर नियमित रूप से प्रात व रात को इसके पानी या दुध के
साथ सेवन करें और इन बीजों को घिस कर दागों पर लेप करे ऐसा करने से दाग कुछ कम हो जायेंगे।
मणिकय भस्म --------
माणिक्य भस्म आधा रती नियमित रूप से सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से इस रोग को कुछ हद तक कन्टोरल कर सकते हैं।
तिल और बथुआ -------
बथुआ का रस एक गिलास और आधा गिलास तिल का तेल कड़ाही में गर्म करें और बथुए का रस जलने पर तेल को शीशी में भरकर रखें और इस तेल को प्रतिदिन सुबह-शाम के दागों पर लगाने इस रोग को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
चने की रोटी:----
इस रोग में चने की रोटी, देसी घी और बुरे के साथ खाने लाभदायक है और भुने हुए चने को नमक रहित प्रयोग करें ऐसा करने से बहुत जल्दी लाभ मिलेगा।
अनार का चूर्ण :--- --
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक करके पीस लें और 10 ग्राम रात को सोते समय प्रतिदिन ताजे पानी या गाय के दूध के साथ इस चूर्ण सेवन करने से यह रोग कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
बावची ------
बावची के बीजों को भिगोकर नियमित रूप से प्रात व रात को इसके पानी या दुध के
साथ सेवन करें और इन बीजों को घिस कर दागों पर लेप करे ऐसा करने से दाग कुछ कम हो जायेंगे।
मणिकय भस्म --------
माणिक्य भस्म आधा रती नियमित रूप से सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से इस रोग को कुछ हद तक कन्टोरल कर सकते हैं।
तिल और बथुआ -------
बथुआ का रस एक गिलास और आधा गिलास तिल का तेल कड़ाही में गर्म करें और बथुए का रस जलने पर तेल को शीशी में भरकर रखें और इस तेल को प्रतिदिन सुबह-शाम के दागों पर लगाने इस रोग को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
हलदी ------
हल्दी 150 ग्राम, siprit 600 ग्राम इन दोनों को मिलाकर धूप में रखकर दिन में तीन बार सफेद चिन्हो पर लगाएं।
तुलसी के पौधे को जड़ से उखाड़ कर पानी से साफ कर सिल पर बारीक पीस लें इसे आधा किलो तिल के तेल में मिलाकर कड़ाही में डालकर धीमी आग पर गर्म करें जब यह पक जाए तब छान कर किसी बर्तन में रखें और दिन में तीन, चार बार दागों पर इसका लेप करें।
बेहया -------
बेहया के पौधे को उखाडने पर निकलते हुए दूध का लेप नियमित रूप से दिन में दो बार करें यह भी उपाय काफी कारगर है।
नीम की पत्ते :------
हल्दी 150 ग्राम, siprit 600 ग्राम इन दोनों को मिलाकर धूप में रखकर दिन में तीन बार सफेद चिन्हो पर लगाएं।
तुलसी के पौधे को जड़ से उखाड़ कर पानी से साफ कर सिल पर बारीक पीस लें इसे आधा किलो तिल के तेल में मिलाकर कड़ाही में डालकर धीमी आग पर गर्म करें जब यह पक जाए तब छान कर किसी बर्तन में रखें और दिन में तीन, चार बार दागों पर इसका लेप करें।
बेहया -------
बेहया के पौधे को उखाडने पर निकलते हुए दूध का लेप नियमित रूप से दिन में दो बार करें यह भी उपाय काफी कारगर है।
नीम की पत्ते :------
अनार तथा नीम के पत्तो को पीसकर सुबह-शाम सफेद दागों पर लेप करें 10 ग्राम शहद में 10 ग्राम तुलसी का रस मिलाकर रोजाना प्रात काल ले तथा तुलसी का रस सुबह-शाम दागो पर लगाएं।
गोमुत्र और हल्दी-------
गोमुत्र में हल्दी को पिसकर लगाने से सुबह शाम दाग पर लगाने से बहुत जल्दी लाभ मिलेगा।
बाकुची तेल ------
बाकूची का तेल सुबह-शाम दागों पर लगाएं 5 ग्राम चूर्ण प्रातः काल शाम को दूध या पानी के साथ ले।
हल्दी और सरसों का तेल------
हल्दी और सरसों के तेल को मिलाकर बनाया गया मिश्रण दाग वाली जगह लगाने से दाग कम होने लगता है। इसके लिए आप एक चम्मच हल्दी पाउडर लें। अब इसे दो चम्मच सरसों के तेल में मिलाए। अब इस पेस्ट को सफेद चकतों वाली जगह पर लगाएं और 12 मिनट तक रखने के बाद उस जगह को गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें। इससे आराम मिलेगा।
नीम और शहद ------
नीम और शहद ------
नीम की ताजी कोपल का पेस्ट बनाकर उसे छलनी में डालकर उसका रस निकाल लें। एक बड़ी चम्मच नीम के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इस मिश्रण का सेवन आप उम्रभर भी कर सकते हैं। इसके अलावा दो चम्मच अखरोट पाउडर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को दाग वाली जगह पर 20 मिनट तक लगाकर रखें। ऐसा दिन में तीन से चार बार करें।
नारियल तेल -------
इसके अलावा नीम के तेल में नारियल का तेल मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से लाभ मिलता है, इसे कई महिनों तक प्रतिदिन प्रयोग करने से परिणाम अच्छा मिलता है।
डाक्टर से सलाह कब करे:----
अगर आप इस रोग को जड से खत्म चाहते हैं तो हल्का-सा दाग होने पर डॉक्टर के पास जाएं। लोग अक्सर इसे कैल्शियम या आयरन की कमी से पैदा हुई समस्या मानकर इग्नोर कर देते हैं, लेकिन ऐसा मानना गलत है। एक्सपर्ट वुट लैंप (Wood Lamp) टेस्ट के जरिए यह परख कर लेनी चाहिए कि समस्या सफेद दाग की है या नहीं। इसके लिए अंधेरे कमरे में दाग पर किसी टोरच लाईट जलाकर चेक करे हैं।
इस रोग की शुरूआती अवस्था में इलाज करवाने से रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। इस रोग को पूरी तरह से निरोग करने वाले भ्रमित विज्ञापनों से बचना चाहिए। अपना पैसा और समय बरबाद होने से बचाएं।
इस रोग की शुरुआत होने पर अंडे, मिट ,मछली के साथ दुध का सेवन बिलकुल भी ना करे ।
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