Tittle- मनोकामना पूरी करने के लिए मंत्र जाप कैसे करे -
मंत्र जाप करने से पहले मंत्र जाप की विधि जानना बहुत जरूरी है। किस प्रकार और किस समय मंत्र को हमें जाप करना चाहिए तभी हमें किसी भी प्रकार के मंत्र जाप करने का पूरा फल मिलना संभव है ।
मंत्र जाप किसी भी समय किया जा सकता है इसके लिए कोई भी पाबंदी नहीं है।
यदि मन अनियंत्रित है, व्यग्र है तो मंत्र जाप उच्च स्वर में करना चाहिए। मन को शांत और नियंत्रित करने का यह एक प्रभावशाली साधन है। यदि मन साधारण शांत है तो मंत्र जाप को धीमे स्वर में करना चाहिए। और जब मन पूर्ण शांत, नियंत्रण है तो मानसिक रूप से मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्ठ बतलाया गया है।
मंत्र जाप करते समय समर्पण की भावना के साथ साथ गहन भक्ति भाव का भी होना बहुत जरूरी है।
मंत्र जाप से ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती हैं ,मन शुद्ध होता है, व्यक्तित्व में निखार आ जाता है ,चेहरे पर एक विशेष प्रकार का आभा ऊभर कर सामने आ जाती है। रोग या किसी भी समस्या के निवारण के लिए मंत्र जाप को लेकर मंत्र जाप किया जा सकता है। जो बहुत ही लाभकारी होता है।
मंत्र जाप निश्चित रूप से परिणाम दायक है।यह आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव कारी विधि है।
भगवान के दर्शन भगवान की प्राप्ति के अनेकों अनेक साधन हैं उनमें से सबसे सरल सीधा तत्काल फल देने वाला भगवान के नाम का राम नाम का जाप है। यह राम का नाम एक महामंत्र से भी ज्यादा ताकत वाला महाशक्तिशाली अद्भुत और तत्काल फल देने वाला महत्वपूर्ण और विलक्षण मंत्र है।
मंत्रों के जप करने की विधि का बंधन है- मगर राम नाम के जपने किसी भी विधि की आवश्यकता नहीं है, और राम नाम का मंत्र जप से ज्यादा और शीघ्र फल देने वाला है। राम नाम का जप करना भगवान को पकड़ना है। यानि भगवान को अपने घर में बुलाना है। राम नाम जाप में जो सत्य है, वह तप, दान, यज्ञ आदि में भी इतनी नहीं है।
राम नाम का जप का प्रभाव बड़ा ही विलक्षण होता है। भाव पूर्वक लगन पूर्वक राम नाम का जप करने से मनुष्य इस संसार रूपी समुद्र से पार हो सकता है। राम नाम जप किसी भी समय किसी भी स्थान पर किसी भी विधि विधान के साथ आप कर सकते हो। इस जप में स्थान, सुस्थान, कुस्थान, कुसमय, शूची ,असूची का विचार नहीं होता, मगर पूर्ण ध्यान को जप में लगाना जरूरी है जप के समय दूसरे किसी भी बात को सोच बातचीत करना हाथ पैर को बेमतलब हिलाना इधर-उधर देखना यह काम नहीं करने चाहिए।
राम नाम जप से बुद्धि शुद्ध हो जाती है राम नाम जप से मन की एकाग्रता होनी परम आवश्यक है।
राम नाम के जप से बिखरी हुई सारी मानसिक शक्तियां धनी भूत होकर सूक्ष्म शक्तियों के विकास की ओर ले जाती हैं, इससे जो मानसिक शांति और शांति मिलती है उसका अनुभव जप को करने वाला स्वयं कर सकता है। राम नाम का जप श्रद्धा, भक्ति, प्रेम भावना विश्वास के साथ अगर किया जाए तो हमें सारे पापों से छुटकारा मिल सकता है। महान से महान संकट को भी दूर किया जा सकता है। असाध्य रोग ठीक हो सकते हैं।
असंभव भी संभव हो जाएगा। दुर्भाग्य भाग्य में बदल जाएगा मृत्यु को टाला जा सकता है। भगवान के दर्शन भी प्राप्त हो सकते हैं।
जहां और जिस रोग में किसी भी प्रकार की दवाई काम ना करती हो कोई इलाज कोई काम ना कर रहा वहां पर राम नामोपैथी ( राम नाम का मंतर जाप ) अवश्य काम करती है।
इसके हजारों उदााहरण देखने और सुनने को मिल जाएंगे। राम नाम में भगवान स्वयं राम से भी ज्यादा ताकत है। महात्मा गांधी जी जिन्होंने सिर्फ भारतवर्ष को ही नहीं पूरे विश्व को जागृत किया अहिंसा की एक नई ताकत का परिचय करवाया।वह राम नाम में एवं राम नाम कीर्तन में बहुत ज्यादा विश्वास करते थे।
वह राम नाम की सबसे बड़ी और सबसे मजबूत शक्ति मानते थे, उनका कहना था कि उन्हें दैवीय शक्ति सिर्फ राम नाम से ही मिली है।
वह हर रोज राम नाम जाप को लिखा करते थे। महात्मा गांधी का मानना था कि जब जब मुझ पर मुसीबत आई और संकट का सामना करने का समय आया तब तब राम नाम ने मेरी रक्षा कि, मेरे पास एकमात्र राम नाम के सिवाय कोई और शक्ति नहीं थी,और यही राम नाम मेरा एकमात्र सहारा था। कोई भी व्याधि हो यह दिन उसे दिल से राम नाम को पुकारे तो हर प्रकार के व्याधि नष्ट होने संभवना है। राम नाम संपूर्ण बीमारियों का एक शर्तिया इलाज है, फिर वह चाहे शारीरिक हो या मानसिक या आध्यात्मिक राम नाम का प्रताप राम तेरे सामने जो भी झुका उसका तूने क्या-क्या नहीं दिया। तेरी कृपा ने क्या-क्या नहीं किया राम नाम का जप हृदय से किया जाए तो राम का रूप बदं आखों के सामने एक दिन आ ही जाएगा। और राम नाम आंखों के सामने आ जाए दिल में बस जाए तो और जीवन में फिर क्या चाहिए। अगर यह मिल गया तो मानो सब कुछ मिल गया।
ध्यान सहित राम नाम का जप हमसे जितना अधिक करेगा उसको उतनी ही अधिक सिद्धि प्राप्त होगी।
राम नाम महामन्त्र:-----
हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे, हरे कृष्णा ,हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे। यह कम से कम 16 या 8 माला नित्य प्रति जप करना उचित है। अपको अपनी आखों से प्रत्यक्ष ही अनुभव होगा। जिस व्यक्ति की प्रभु जिस भी नाम से प्रीति हो उसी के नाम को मंत्र का जप करना उचित है। मगर जप जब भी करो पूर्ण विश्वास और श्रद्धा की भावना के साथ करना चाहिए तभी उसका फल मिलना संभव है।
वाचिक जप:---
जिस प्रकार से ईश्वर का भजन-कीर्तन और आरती ऊंचे स्वर में की जाती है, उस तरह उच्च स्वरों में मंत्रों का जप निषेध माना गया है। शास्त्र कहते है कि मंत्र जप करते समय स्वर बाहर नहीं निकला चाहिए। जप करते समय मंत्रों का उच्चारण ऐसा होता रहे की ध्वनि जप करने वाले साधक के कानों में पड़ती रहे, उसे वाचिक जप कहते हैं।
उपांशु जप:------
मंत्र जप की इस विधि में मंत्र की ध्वनि मुख से बाहर नहीं निकलती, परन्तु जप करते समय साधक की जीभ और होंठ हिलते रहना चाहिए। उपांशु जप में किसी दुसरे व्यक्ति के देखने पर साधक होंठ हिलते हुए तो प्रतीत होते है, पर कोई भी शब्द उसे सुनाई नहीं देता।
मानस जप:--------
मन्त्र जप की इस विधि में जपकर्ता के होंठ और जीभ नहीं हिलते, केवल साधक मन ही मन मंत्र का मनन करता है, इस अवस्था में जपकर्ता को देखकर यह नहीं बताया जा सकता कि वह किसी मंत्र का जप भी कर रहा है।
उपरोक्त मंत्र जप विधि में से मानस जप को ही सर्वश्रेष्ठ जप बताया गया है और उपांशु जप को मध्यम जप और वाचिक जप को मानस जप की प्रथम सीढ़ी बताया गया है। मंत्र जप और मानसिक उपासना, आडम्बर और प्रदर्शन से रहित एकांत में की जाने वाली वे मानसिक प्रक्रियाएं है जिनमें मुख्यतः भावना और आराध्यदेव के प्रति समर्पण भाव का होना बहुत जरुरी होता है। इस विधि से अगर जप किया जाएं तो जिस देवता का मंत्र जप किया जाता है वह शीघ्र प्रसन्न होकर जपकर्ता की इच्छाएं पूरी करने लगते हैं।
अजपा जप :-----
यह सहज जप है और सावधान रहने वाले से ही बनता है। किसी भी तरह से यह जप किया जा सकता है। अनुभवी महात्माओं में यह जप देखने में आता है। इसके लिए माला का कुछ काम नहीं। श्वाछोच्छवास की क्रिया बराबर हो ही रही है, उसी के साथ मंत्रावृत्ति की जा सकती है। अभ्यास से मंत्रार्थ भावना दृढ़ हुई रहती है, सो उसका स्मरण होता है। इसी रीति से सहस्रों संख्या में जप होता रहता है।
कलयुग के इस दौर में तो केवल भगवान नाम जप तथा कीर्तन से ही मोक्ष मिल जाना संभव है। इस राम नाम में एक ऐसे अपार शक्ति हैं जो और किसी भी नाम में नहीं है।
मंत्र जाप के लिए आप जिस भी अपने इष्ट देव को मानते हो उसी के नाम का ही मंत्र जाप करना चाहिए। यह एक ऐसे अद्भुत शक्ति है जिसको जितना आप जपते जाएंगे उतना ही वह आपको अपने नजदीक लेकर जाता जाएगा। आपको हर तरह से संतुष्टि और मोक्ष प्राप्ति की होगी। बस इसके लिए मन में भावना और समय का सही समय का होना बहुत जरूरी है।
यहां पर हम एक बात अवश्य धयान रखना जरूरी है ,जो भी मंत्र करते हो उसके लिए एक ही समय सही रहता है।
हर रोज उसको उसी समय पर करें अगर आप शाम को 6:00 बजे करते हो तो हर रोज 6:00 बजे ही करें। एक आधा मिनट तो आगे पीछे हो सकता है पर यह नहीं होना चाहिए कि आज आपने 6:00 बजे किया तो कल सात बजे करे। समय निश्चित ही रखें ऐसा करने से आपको जल्दी लाभ मिलेगा।
मंत्रों में वह शक्ति है जो किसी और की में नहीं है।
मन्त्र जप करते हुए अपने मन में कभी ये भाव ना लाये कि मेरी मनोकामना पता नहीं पुरी होगी या होगी । हमेशा विशवास रखे कि भगवान् मेरी मनोकामना अवश्य पुरी करेंगे। यह भी एक रहस्य है पुजा करने का जो भी सोचो अच्छा सोचो।
राम नाम के लेखन और मन्तर को भगवान शिव ने खुद जपा है यह इतना बलशाली और प्रभावकारी मन्त्र है। इस बात का उल्लेख गुरड पुराण में भी किया गया है।
मंतर जाप करने कुछ नियम-
मंत्र जाप करने से पहले यह नियम जानना बहुत जरूरी है क्योंकि कोई भी मंत्र जाप पूरे विधि विधान के साथ करने से ही मनोकामना पूरी होती है।
* वैदिक मंत्रों का जाप सुबह और शाम को करना चाहिए। तंत्र से जुड़े मंत्रों का जाप रात के समय किया जा सकता है।
* मंत्र जाप का समय एक ही रखें, बार-बार बदले नहीं। ऐसी स्थिति में मंत्र जाप का पूरा फल नहीं मिल पाता।
* एक बार मंत्र जाप शुरू करने के बाद बार-बार स्थान न बदलें। मंत्र जाप के लिए एक स्थान तक कर लें।
* मंत्र जाप शुरू करने से पहले किसी विद्वान से माला के बारे में जानकारी अवश्य लें। गलत माला का उपयोग करने पर मंत्र जाप का पूरा फल नहीं मिल पाता।
* मंत्र जाप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है। सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जाप न करें।
* मंत्र जाप करते समय माला दूसरों को न दिखाएं। अपने सिर को भी कपड़े से ढंकना चाहिए।
* माला को घुमाने के लिए अंगूठे और बीच की उंगली का उपयोग करें।
* मंत्र जाप करने के लिए जिस भी माला का प्रयोग करते हैं उसको कपड़े की बनी पोटली में लेपट कर रखें कभी भी माला को खुला ना रखें।
*मंतर जाप करते कभी भी जमीन पर ना बैठे हमेशा किसी भी आसन लेकर बैठे क्योंकि जमीन पर बैठने से हमारे शरीर के सारी उर्जा जमीन अपनी तरफ खींच लेती हैं ,और हमें मंत्र जाप का लाभ ना मिलकर पूजा निष्फल हो जाती है।
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मंत्र शक्ति एक चमत्कार है, इसमें कोई भी शंका नहीं है। मंतर या मेडिटेशन इंसान कोई सा भी रास्ता चुन ले दोनों ही बहुत ही प्रभावशाली और इनसान को अनदर से बल इच्छा को पुर्ण करने की शक्ति मिलती है।
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