Tittle - मनोकामना पूर्ण के लिए रामचरितमानस के दोहे कैसे पढ़ें-
स्वामी गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस की चौपाइयां के केवल मन्त्र ही नहीं है बल्कि इन्सान भाग्य बदलने की ताकत रखते हैं अगर इन चौपाइयों को भाव और विघी विधान से किया जाए। इनके नित जीवन में प्रयोग से आपके कई कार्य सिद्ध हो सकते हैं। इनमें जातक की कुंडली में व्याप्त ग्रह दोष और पीड़ा निवारण में छिपा हुआ है। रामचरितमानस की चौपाइयों में मंत्र तुल्य शक्तियां विद्यमान हैं। इनका पठन, मनन और जप करके आप बड़ी से बड़ी समस्या को खत्म कर सकते हैं। आइए जानते है कि कौन से काम के लिए जानते हैं किस चौपाई का जप करना चाहिए….
रामचरित मानस जन-जन में लोकप्रिय एवं प्रामाणिक ग्रंथ हैं। इसमें वर्णित दोहा, सोरठा, चौपाई पाठक के मन पर अद्भुत प्रभाव छोड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें रचित कुछ पंक्तियाँ समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी सक्षम है।
अगर हम सही मायने में चमत्कारिक मंत्र भी कहा जा सकता है कि ये लोगों के लिए मानस मंत्र है। इनके लिए किसी विशेष विधि-विधान की जरूरत नहीं होती। इन्हें सिर्फ मन-कर्म-वचन की शुद्धि से श्रीराम का स्मरण करके मन ही मन श्रद्धा से जपा जा सकता है। इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी माला या संख्यात्मक जाप की आवश्यकता नहीं हैं बल्कि सच्चे मन से कभी भी इनका ध्यान किया जा सकता है।
विद्या प्राप्ति के लिए
गुरू गृह गए पढ़न रघुराई।
अल्प काल विद्या सब आई।।
* यात्रा की सफलता के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
*झगड़े में विजय प्राप्ति के लिए
कृपादृष्टि करि वृष्टि प्रभु अभय किए सुरवृन्द।
भालु कोल सब हरषे जय सुखधाम मुकुंद ।।
* ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए
लगे सवारन सकल सुर वाहन विविध विमान।
होई सगुन मंगल सुखद करहि अप्सरा गान।।
* दरिद्रता मिटाने के लिए
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के।
कामद धन दारिद दवारि के।।
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
* संकट नाश के लिए :----
* संकट नाश के लिए :----
दिन दयाल बिरिदु सम्भारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी।।
*जीविका (नौकरी) प्राप्ति के लिए
विस्व भरण पोषण कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।।
सभी प्रकार की विपत्ति
नाश के लिए :-------
राजीव नयन धरे धनु सायक।
भगत विपत्ति भंजक सुखदायक।।
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही।
राम सुकृपा बिलोकहि जेही।।
*आकर्षीत करने के लिए :----
*आकर्षीत करने के लिए :----
जेहि के जेहि पर सत्य सनेहू।
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
*परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए
*परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए
जेहि पर कृपा करहि जनु जानी।
कवि उर अजिर नचावहि बानी।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँति।
जासु कृपा नहि कृपा अघाति।।
*जीविका प्राप्ति के लिये
बिस्य भरन पोषन कर जोई । ताकार नाम मरत अस होई ।।
*दरिद्रता दूर करने के लिये
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि को । कामद घन दारिद दवारि के
*लक्ष्मी - प्राप्ति के लिये
जिमि सरिता सागर महुँ जाहीं । जद्यपि ताहि कामना नाहीं ।। तिमि सुख संपति बिनहिं योलाएँ । घरमसील पहि जाहिं सुभाएँ ।।
*पुत्र प्राप्ति (संतान) के लिये
*लक्ष्मी - प्राप्ति के लिये
जिमि सरिता सागर महुँ जाहीं । जद्यपि ताहि कामना नाहीं ।। तिमि सुख संपति बिनहिं योलाएँ । घरमसील पहि जाहिं सुभाएँ ।।
*पुत्र प्राप्ति (संतान) के लिये
प्रेमगमन कौसल्या निसि दिन जात न जान । सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान ।।
*सम्पत्ति की प्राप्ति के लिये
जे सकाम नर सुनहि जे गवाहिं । सुख संपति नाना विधि पावहिं ।।
*ऋद्धि - सिद्धि के लिये
साधक नाम जपहिं लय लाएँ । होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएँ ।।
*सब सुख - प्राप्ति के लिये
सनिहि बिमक्त बिरत अरु विषई । लहहिं भगति गति संपत्ति नई ।।
*मनोरथ - सिद्धि के लिये
भव भेष रघुनाथ जासू सूनहिं जे नर अरु नारि। तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहीं त्रिपुरारि। ।
*कुशल - क्षेम के लिये
भुवन चारि दस भरा उछाहू । जनकसुता रघुबीर बिआहू ।।
*मुकदमा जीतने के लिये
पवन तनय बल पवन समाना । बुधि बिबेक विग्यान निधाना ।
*शत्रु के सामने जाना हो
कर सारंग साजि कटि माथा
। अरि दल दलन चले रघुनाथा ।।
*शत्रु को मित्र बनाने के लिये
*शत्रु को मित्र बनाने के लिये
बयरु न कर काहू सन कोई । राम प्रताप विषमता खोई ।।
*शास्त्रार्थ में विजय पाने के लिये
तेहिं अवसर सुनि सिवधनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा ।।
*विवाह के लिये:-----
तब जनक पाई बसिष्ठ आयसु ब्याज साज सँवारि के । मांडवी श्रुतकीरति उरमिला कुॲरि लई हकारि कै ।।
*यात्रा की सफलता के लिये
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा । हृदयँ राखि कोसलपुर राजा ।।
*आकर्षण के लिये
जेहिं के जेहि पर सत्य सनेहू । सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू ।।
*स्नान से पुण्य - लाभ के लिये
सुनि समुझहिं जन मुदित मन मज्जहिं अति अनुराग । लहहिं चारि फल अछत तनु साधु समाज प्रयाग ।।
*निन्दा की निवृत्ति के लिये
राम कृपाँ अवरेब सुधारी । विबुध धारि भइ गुनद गोहारी ।।
मन्त्र जाप के लिए विधि विधान-----
जिस उद्देश्य के लिए रामचरितमानस का जो चौपाई दोहा सिद्ध करना है 1 दिन अष्टांग हवन की सामग्री से उस दोहे को 108 बार हवन कर लेना चाहिए। यह हवन रात्रि को 10:00 बजे के बाद ही करना चाहिए। प्रत्येक आहुति लगभग पौने तोले की होनी चाहिए। इस तरह 108 आहुति के लिए सब मिलाकर लगभग 1 किलो सामग्री होनी चाहिए।
मंत्र सिद्ध करने के लिए यदि लंका कांड से संबंधित चौपाई आदि हैं तो शनिवार का दिन सबसे उत्तम है। शेष किसी भी दिन किया जा सकता है। 1 दिन हवन करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है इसके बाद जब तक कार्य सिद्ध ना हो जाए तब तक प्रातः और शाम को 108 या उससे अधिक जितना आपकी श्रद्धा के अनुसार हो सके नित्य जप करते रहना चाहिए। जप इस विश्वास के साथ करना चाहिए भगवान श्री राम की कृपा से मेरा हर कार्य अवश्य सफल हो रहा है। काशी में भगवान शंकर ने मानस की चौपाइयों को मंत्र शक्ति प्रदान की है इसलिए काशी की ओर मुख करके उन्हें साक्षी बनाकर श्रद्धा से जप करना चाहिए।
मंत्र सिद्ध करने के लिए या तो किसी शांत और भयरहित जगह का चयन करना चाहिए। इन मंत्रों में इतनी शक्ति है कि हम अपने लिए एक तरह से लक्ष्मण रेखा या मान लीजिए रक्षा मंत्र बना लेते हैं।
मंत्र सिद्ध करने के लिए या तो किसी शांत और भयरहित जगह का चयन करना चाहिए। इन मंत्रों में इतनी शक्ति है कि हम अपने लिए एक तरह से लक्ष्मण रेखा या मान लीजिए रक्षा मंत्र बना लेते हैं।
रामचरितमानस के दोहो में ऐसी शक्ति सुनवाई हुई है जो हमारी सोच से भी परे है ,मेरे कहने का भाव है यानी राम का पूरा चरित्र इसके अंदर समाया हुआ है। अगर आप भी किसी प्रकार की समस्या है, वह किसी भी उपाय या पूजा पाठ से नहीं हो रहा है तो एक बार रामचरितमानस के दोहे
के पाठ को अपनाकर जरूर देखें।
के पाठ को अपनाकर जरूर देखें।
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