Tittle- तनाव के कारण और लक्षण-
डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में हमें आसानी से पता नहीं चलता। जब तक पता चलता है रोगी की समस्या बहुत गम्भीर हो जाती है। अगर आपको अपने किसी करीबी को इस बिमारी की शंका नजर आती हो तो आईये जानते है इसके लक्षण क्या है और किन कारणों से इन्सान इस बिमारी की चपेट में आ जाता है। इस बिमारी के बारे कोई ऐसा भ्रम ना पाले की यह कभी ठीक नहीं हो सकती। यह बिमारी योग और दवाईयों की मदद से रोगी को बहुत जल्दी ठीक कर सकते है । ऐसे मरीज के लिए सबसे जयादा परिवार का सहयोग और प्यार मिलना बहुत जरूरी है।
* Depression के लक्षण----
दुःख, आलस्य, खुशी प्रतित ना होना, बुरा महसूस करना, काम में रुचि या खुशी ना रखना, बार बार रोने का मन करना। हम इन सभी बातों से परिचित हैं। लेकिन जब यही सारे लक्षण हमारे जीवन में अधिक समय तक रहते हैं और हमें बहुत अधिक प्रभावित करते हैं, तो इसे डिप्रेशन कहते हैं....।
डिप्रेशन एक तरह का मानसिक स्वास्थ्य विकार है। विशेष रूप से यह एक मूड विकार है। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के अनुभव अलग-अलग होते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि मूड का उतार-चढ़ाव depression से अलग है। मूड का उतार-चढ़ाव तो हम अपने सामान्य और स्वस्थ जीवन में भी अनुभव करते हैं।
हमारे जीवन के प्रति हमारी अस्थायी और भावुक प्रतिक्रियाएं अवसाद को जन्म नहीं देती हैं। अगर हम लम्बे समय तक दुखी और आशाहीन रहते हैं तो यह आपकी अवसाद की समस्या को पैदा कर सकती है।
Depression को हम एक गंभीर चिकित्सा स्थिति माना जाता है। जो उचित उपचार के बिना बदतर हो सकती है। जो लोग उपचार करवाते हैं, उनमें अक्सर कुछ हफ्तों में लक्षणों में सुधार दिखने लगता है।इसलिए इस बिमारी का लक्षण आते ही किसी जादू टोने की तरफ ना भागे । इसका सही इलाज आयुर्वेद , ऐलोपैथ, और प्राणायम से सम्भव है।
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर
मेजर डिप्रेशन में व्यक्ति गहरी निराशा और आशाहीन में चला जाता है। मेजर डिप्रेशन का मुख्य चिन्ह है लक्षणों का संयोजन - काम करने, पढ़ने, सोने, खाने में बाधा उत्पन होना। मेजर डिप्रेशन में व्यक्ति गहरी निराशा और आशाहीन्ता में चला जाता है। मेजर डिप्रेशन केवल एक बार हो सकता है, लेकिन अकसर यह जीवन भर में कई बार होता है।
सायकोटिक डिप्रेशन-------
जो लोग मानसिक अवसाद के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं, उनमें से लगभग 25% लोग सायकोटिक डिप्रेशन से पीड़ित होते हैं। अवसाद के लक्षणों के अतिरिक्त सायकोटिक डिप्रेशन वाले लोगों में मतिभ्रम, तर्कहीन विचार और भय और भुत दिखाई देने जैसे भी लक्षण भी दिखाई देते हैं।
डिस्थीमिया और क्रोनिक डिप्रेशन ----
डिस्थीमिया को लंबे समय से चल रहे अवसाद के रूप में संदर्भित किया जाता है। डिस्थीमिया की पहचान करने के लिए वयस्कों में यह कम से कम दो साल और बच्चों या किशोरों में एक वर्ष तक यह रहना चाहिए।
यह depression का गंभीर रूप नहीं है, लेकिन इसके लक्षण कई वर्षों तक रह सकते हैं। जो लोग डिस्थीमिया से पीड़ित होते हैं, वे आमतौर पर सामान्य रूप से कार्य करने में सक्षम होते हैं पर हमेशा नाखुश लगते हैं। डिस्थीमिया और मेजर डिप्रेशन भिन्न हैं। डिस्थीमिया के लक्षण मेजर डिप्रेशन से कम होते हैं।
सीजनल effective डिसऑर्डर:------
सीजनल effective डिसऑर्डर हर साल एक ही समय में आता है। आम तौर पर यह सर्दियों में शुरू होता है और वसंत या गर्मियों की शुरुआत में समाप्त होता है। सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर का एक दुर्लभ रूप "समर डिप्रेशन है। यह बसंत या गर्मियों की शुरुआत में शुरू होता है और वसंत के अंत में समाप्त होता है।
जो लोग सीजनल इफेक्टिव डिप्रेशन से पीड़ित हैं, उनमें प्रमुख अवसाद के लक्षण होते हैं जैसे उदासी, चिड़चिड़ापन सामान्य गतिविधियों में रूचि ना होता, सामाजिक गतिविधियों से भागना और ध्यान केंद्रित करने में कमी आदि। यह सबसे जयादा मार्च और सितम्बर के महीने में जयादा होता है इस समय नोरमल इन्सान भी उदासी महसूस करता है।
बाइपोलर डिप्रेशन ---------
इस डिप्रेशन में मन लगातार कई हफ़्तो तक या महिनों तक बहुत उदास या फिर बहुत अत्यधिक खुश रहता है। उदासी में नकारात्मक विचार तथा मैनिक डिप्रेशन में ऊंचे-ऊंचे विचार आते हैं। इसमें पीड़ित व्यक्ति का मन बारी-बारी से दो अलग और विपरीत अवस्थाओं में जाता रहता है। इस बीमारी में इंसान के व्यवहार में अचानक बदलाव देखने को मिलता है। कभी मरीज बहुत खुश तो कभी बहुत उदास रहता है। यह बाइपोलर depression डिसऑर्डर से अलग है।
डिप्रेशन के लक्षण ----
डिप्रेशन किस प्रकार का है, उसके अनुसार डिप्रेशन के लक्षण भिन्न हो सकते हैं। डिप्रेशन न केवल आपके विचारों और भावनाओं को प्रभावित करता है, यह आपके कार्य और दूसरों के साथ आपके संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकता है। तो चलिए जानते हैं ।
depression के लक्षणों की पहचान कैसे करें -
रोने का मन करना
रोने का मन करना
उदासी
थकान
काम करने में परेशानी
दुख
गुस्सा आना
चिड़चिड़ापन
हताशा
आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग न लेना
बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना
एनर्जी में कमी
अस्वस्थ भोजन की लालसा करना
चिंतित रहना
दूसरों से अलग रहना
बेचैनी
स्पष्ट रूप से निर्णय लेने में परेशानी
काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन
अपराधबोध होना
मन में आत्मघाती विचार लाना
सिर या मांसपेशियों में दर्द रहना
शराब या नशे की लत का होना
जिद्दी पन होना।
डिप्रेशन के कारण-----
अगर आप के परिवार में डिप्रेशन का इतिहास - यदि आपके परिवार में किसी अन्य मानसिक विकार का इतिहास है, तो आपको depression होने का अधिक सम्भावना है।
बचपन में मानसिक चोट कई बार में बचपन में हुई कुछ घटनाओं से आपके शरीर का डर और तनावपूर्ण स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया करने का तरीका भी प्रभावित करता है।
मस्तिष्क की संरचना -
थकान
काम करने में परेशानी
दुख
गुस्सा आना
चिड़चिड़ापन
हताशा
आनंददायक या मजेदार गतिविधियों में भाग न लेना
बहुत अधिक नींद या बहुत कम नींद आना
एनर्जी में कमी
अस्वस्थ भोजन की लालसा करना
चिंतित रहना
दूसरों से अलग रहना
बेचैनी
स्पष्ट रूप से निर्णय लेने में परेशानी
काम या स्कूल में खराब प्रदर्शन
अपराधबोध होना
मन में आत्मघाती विचार लाना
सिर या मांसपेशियों में दर्द रहना
शराब या नशे की लत का होना
जिद्दी पन होना।
डिप्रेशन के कारण-----
अगर आप के परिवार में डिप्रेशन का इतिहास - यदि आपके परिवार में किसी अन्य मानसिक विकार का इतिहास है, तो आपको depression होने का अधिक सम्भावना है।
बचपन में मानसिक चोट कई बार में बचपन में हुई कुछ घटनाओं से आपके शरीर का डर और तनावपूर्ण स्थितियों के प्रति प्रतिक्रिया करने का तरीका भी प्रभावित करता है।
मस्तिष्क की संरचना -
यदि आपके मस्तिष्क का "फ्रंटल लोब" (आगे का हिस्सा) कम सक्रिय है तो अवसाद का जोखिम अधिक होता है।
अन्य बीमारियां -
अन्य बीमारियां -
कुछ बीमारियां आपको डिप्रेशन होना का जोखिम बढ़ा सकती हैं जैसे कि क्रोनिक बीमारियां, अनिद्रा, क्रोनिक दर्द, या एडीएचडी।
ड्रग्स लेना - शराब या ड्रग्स के दुरुपयोग का इतिहास आपको डिप्रेशन होने का जोखिम बढ़ा सकता है। जिन लोगों को कभी नशीले पदार्थ की लत रही हो, उनमें से लगभग 20% को depression के शिकार हो जाते है।
आत्म-सम्मान कम होना या आत्म-आलोचनात्मक होना
मानसिक बीमारी
व्यक्तिगत इतिहास
कुछ दवाईयों का दुष्प्रभाव
तनावपूर्ण घटनाएं, जैसे कि किसी प्रियजन की मृत्यु, आर्थिक समस्याएं।
तलाक
फ्रैंडशिप का टुटना आदि।
डिप्रेशन की समस्या शुरू होने या बार-बार डिप्रेशन होने से रोकने के लिए कई असरदार तरीके मौजूद हैं। इन उपायों में शामिल हैं -
अपना ध्यान रखें - अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा न करें
नियमित दिनचर्या का पालन करें
अपने खान-पान पर ध्यान दें और सुनिश्चित करें कि यह स्वस्थ और संतुलित आहार है
अपने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर काम करें। यह आपको कठिनाइयों से निपटने में अधिक सक्षम बना देगा।
दोस्तों और परिवार की मदद लें - उनसे दूरी न बनायें
तनाव से निपटने के तरीके अपनाएं। उदाहरण के तौर पर अपनी रूचि के अनुसार काम शुरू करे।
प्रेरणादायक किताबें पढ़ सकते हैं। प्रेरक फिल्म या वीडियो देख सकते हैं।
संगीत सुन सकते हैं।
Meditation कर सकते हैं।
डांस कर सकते हैं।
ड्रग्स लेना - शराब या ड्रग्स के दुरुपयोग का इतिहास आपको डिप्रेशन होने का जोखिम बढ़ा सकता है। जिन लोगों को कभी नशीले पदार्थ की लत रही हो, उनमें से लगभग 20% को depression के शिकार हो जाते है।
आत्म-सम्मान कम होना या आत्म-आलोचनात्मक होना
मानसिक बीमारी
व्यक्तिगत इतिहास
कुछ दवाईयों का दुष्प्रभाव
तनावपूर्ण घटनाएं, जैसे कि किसी प्रियजन की मृत्यु, आर्थिक समस्याएं।
तलाक
फ्रैंडशिप का टुटना आदि।
डिप्रेशन की समस्या शुरू होने या बार-बार डिप्रेशन होने से रोकने के लिए कई असरदार तरीके मौजूद हैं। इन उपायों में शामिल हैं -
अपना ध्यान रखें - अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अनदेखा न करें
नियमित दिनचर्या का पालन करें
अपने खान-पान पर ध्यान दें और सुनिश्चित करें कि यह स्वस्थ और संतुलित आहार है
अपने आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर काम करें। यह आपको कठिनाइयों से निपटने में अधिक सक्षम बना देगा।
दोस्तों और परिवार की मदद लें - उनसे दूरी न बनायें
तनाव से निपटने के तरीके अपनाएं। उदाहरण के तौर पर अपनी रूचि के अनुसार काम शुरू करे।
प्रेरणादायक किताबें पढ़ सकते हैं। प्रेरक फिल्म या वीडियो देख सकते हैं।
संगीत सुन सकते हैं।
Meditation कर सकते हैं।
डांस कर सकते हैं।
योग व व्यायाम कर सकते हैं।
सही समय पर मदद मिलने से डिप्रेशन होने से रोका जा सकता है
उदासी महसूस होने पर खुद दवा लेना शुरू न करें।
जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को विकसित करने का प्रयास करें।
डिप्रेशन कितने समय तक रहता है, यह हमारी जीवनशैली पर आधारित है। अगर आप चाहें तो इस बीमारी को आप 1 महीने में भी ठीक कर सकते हैं और अगर आप ना चाहो तो आप जिंदगी भर के लिए भी इसका शिकार हो सकते हैं। यह बीमारी आपके अपने और अपनों के हाथ में है। इसे ठीक करना नामुमकिन नहीं है। यह हर संभव प्रयास से ठीक हो सकती है।
डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है, और डिप्रेशन के कई मरीजों को डिप्रेशन के एपिसोड बार-बार होते रहते हैं। पर इससे बाहर निकलने के लिए हमारे आस-पास और घर पर ही इलाज सम्भव है।
आशा की किरण ही इस बिमारी की पहली सिढी है । सकारात्मक सोच अपनाये और इस बिमारी को जड से भगाये।
आज के इस युग में कई ऐसे ट्रीटमेंट और टूल्स हैं जिनका उपयोग की मदद करने और लक्षणों को कम करने के साथ-साथ डिप्रेशन के एपिसोड के होने और उनकी गंभीरता को कम कर सकती हैं।
डिप्रेशन क्रोनिक हो सकता है, लेकिन इसको मैनेज करना बिलकुल संभव है। क्योंकि यह बीमारी कोई गंभीर बीमारी नहीं है। यह सिर्फ हमारे मन से संबंधित बीमारी है। अगर मन ठीक है तो इस बीमारी को हम अपने आप भी ठीक कर सकते हैं।
इसलिए अगर आप अपने किसी की इस बीमारी की वजह से परेशान हैं तो सबसे पहले इस तरह के मरीज को प्यार और सहयोग भरपूर दें। उसकी किसी भी बात का बुरा ना माने, क्योंकि वह बीमारी का शिकार है हम नहीं ।जिस तरह से हम कैंसर जैसी बिमारी से पीड़ित पेशेंट की देखभाल करते हैं उसी तरह डिप्रेशन के शिकार की भी देखभाल करने की जरूरत है। उसे हमारे पयार और सहानुभूति की जरूरत है, इसलिए ऐसे मरीज के साथ कभी भी गुस्से से पेश ना आए। अगर आप उसको ठीक करना चाहते हो तो ध्यान रखें ऐसे मरीज को कभी भी अकेला ना छोड़े क्योंकि उसके मन में दुनिया को छोड़ने के विचार आते रहते हैं। इसलिए दवाइयों के साथ उसे प्यार प्यार और सहयोग दोनों का साथ दें।
सही समय पर मदद मिलने से डिप्रेशन होने से रोका जा सकता है
उदासी महसूस होने पर खुद दवा लेना शुरू न करें।
जीवन के प्रति सकारात्मक सोच को विकसित करने का प्रयास करें।
डिप्रेशन कितने समय तक रहता है, यह हमारी जीवनशैली पर आधारित है। अगर आप चाहें तो इस बीमारी को आप 1 महीने में भी ठीक कर सकते हैं और अगर आप ना चाहो तो आप जिंदगी भर के लिए भी इसका शिकार हो सकते हैं। यह बीमारी आपके अपने और अपनों के हाथ में है। इसे ठीक करना नामुमकिन नहीं है। यह हर संभव प्रयास से ठीक हो सकती है।
डिप्रेशन एक गंभीर बीमारी है, और डिप्रेशन के कई मरीजों को डिप्रेशन के एपिसोड बार-बार होते रहते हैं। पर इससे बाहर निकलने के लिए हमारे आस-पास और घर पर ही इलाज सम्भव है।
आशा की किरण ही इस बिमारी की पहली सिढी है । सकारात्मक सोच अपनाये और इस बिमारी को जड से भगाये।
आज के इस युग में कई ऐसे ट्रीटमेंट और टूल्स हैं जिनका उपयोग की मदद करने और लक्षणों को कम करने के साथ-साथ डिप्रेशन के एपिसोड के होने और उनकी गंभीरता को कम कर सकती हैं।
डिप्रेशन क्रोनिक हो सकता है, लेकिन इसको मैनेज करना बिलकुल संभव है। क्योंकि यह बीमारी कोई गंभीर बीमारी नहीं है। यह सिर्फ हमारे मन से संबंधित बीमारी है। अगर मन ठीक है तो इस बीमारी को हम अपने आप भी ठीक कर सकते हैं।
इसलिए अगर आप अपने किसी की इस बीमारी की वजह से परेशान हैं तो सबसे पहले इस तरह के मरीज को प्यार और सहयोग भरपूर दें। उसकी किसी भी बात का बुरा ना माने, क्योंकि वह बीमारी का शिकार है हम नहीं ।जिस तरह से हम कैंसर जैसी बिमारी से पीड़ित पेशेंट की देखभाल करते हैं उसी तरह डिप्रेशन के शिकार की भी देखभाल करने की जरूरत है। उसे हमारे पयार और सहानुभूति की जरूरत है, इसलिए ऐसे मरीज के साथ कभी भी गुस्से से पेश ना आए। अगर आप उसको ठीक करना चाहते हो तो ध्यान रखें ऐसे मरीज को कभी भी अकेला ना छोड़े क्योंकि उसके मन में दुनिया को छोड़ने के विचार आते रहते हैं। इसलिए दवाइयों के साथ उसे प्यार प्यार और सहयोग दोनों का साथ दें।
अगर आप यह आपका कोई अपना डिप्रेशन की वजह से बहुत परेशान है तो उनको यह श्री कृष्ण की जीवन लीला जरूर शेयर करें। इससे एक सीख ले कि श्री कृष्ण ने जन्म लेते ही कितना कुछ खोया है फिर भी वह अपनी जिंदगी में हमेशा खुश रहे। क्योंकि उनकी सकारात्मक सोच ही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी।
डिप्रेशन क्यो .....?
श्रीकृष्ण से कितना कुछ छूटा .. ! पहले माँ छूटी , फिर पिता छूटे .. ! फिर जो नंद - यशोदा मिले ,
वो भी छूटे ।
संगी - साथी छूटे..
राधा भी छूटी .। गोकुल छूटा ,
फिर मथुरा छूटी .। श्रीकृष्ण से जीवन भर , कुछ न कुछ छूटता ही रहा . ! नहीं छूटा तो देवत्व , मुस्कान और सकारात्मकता सोच नही छूटी .।
श्रीकृष्ण म सबक लिए दुःख के नहीं , उत्सव के प्रतीक हैं ।
सब कुछ छूटने पर भी , कैसे खुश रहा जा सकता है यह , श्री कृष्ण से अच्छा कोई नहीं सिखा सकता ...!! इसलिए हमेशा खुश रहें ,सदा मुस्कुराते रहें.. और प्रभू की रज़ा में राजी रहे। वह जो भी कर रहा है वह हमारे लिए अच्छा ही कर रहा है। कयोंकि भगवान् हमारे लिए हमेशा अच्छा ही करते है बुरा नहीं।
डिप्रेशन क्यो .....?
श्रीकृष्ण से कितना कुछ छूटा .. ! पहले माँ छूटी , फिर पिता छूटे .. ! फिर जो नंद - यशोदा मिले ,
वो भी छूटे ।
संगी - साथी छूटे..
राधा भी छूटी .। गोकुल छूटा ,
फिर मथुरा छूटी .। श्रीकृष्ण से जीवन भर , कुछ न कुछ छूटता ही रहा . ! नहीं छूटा तो देवत्व , मुस्कान और सकारात्मकता सोच नही छूटी .।
श्रीकृष्ण म सबक लिए दुःख के नहीं , उत्सव के प्रतीक हैं ।
सब कुछ छूटने पर भी , कैसे खुश रहा जा सकता है यह , श्री कृष्ण से अच्छा कोई नहीं सिखा सकता ...!! इसलिए हमेशा खुश रहें ,सदा मुस्कुराते रहें.. और प्रभू की रज़ा में राजी रहे। वह जो भी कर रहा है वह हमारे लिए अच्छा ही कर रहा है। कयोंकि भगवान् हमारे लिए हमेशा अच्छा ही करते है बुरा नहीं।
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