सूर्य को अर्घ कैसे दे-
इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवो का सूर्य के साथ बहुत गहरा संबंध है । सूर्य का भोजन सूर्य देवता की कृपा से आंखों में ज्योति आती है, बुद्धि में प्रकाश आता है, बिना सूर्य की शक्ति के आखे कुछ नहीं कर सकती।
अतः भगवान सूर्य को अर्घ देना अपने अंतकरण और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ही आवश्यक है। अर्घ देने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं।
सूर्य को जल देने का समय और लाभ-
प्रातः काल की बेला में सूर्य के प्रतिबिंब को तालाब और नदियों में देखना पश्चिमी देशों में बहुत लाभदायक माना गया है।
वहां के वैज्ञानिक कहते हैं कि ऐसा करने से हमारे नेत्रो को मोतियाबिंद आदि रोगों से बचाया जा सकता है। भारतीय संस्कृति में सूर्य को जल देने का विधान आदिकाल से चलता आ रहा है। इसका क्रम इस प्रकार है सूर्योदय के समय लोटे को जल से भरकर सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं लौटे की स्थिति छाती के बीच में रखनी चाहिए, अब धीरे-धीरे जल की धारा छोड़ने शुरू करें लौटे के उभरे किनारे पर दृष्टिपात करने से आप सूर्य के प्रतिबंध को बिंदु रूप में देखेंगे उस बिंदु प्रतिबिंब में ध्यान पूर्वक देखने से आपको सपत्वरण वल्ले देखने को मिलेगा। जल पात्र तांबे का ही उत्तम रहता है। उसके उत्तर किनारे पर सबसे अधिक सूरज दिखाई देगा।
इस प्रकार तेज वधर्क तथा नेत्रों को लाभ देने वाली शीतल शोम्य रशिम्यो को सेवन करने का शास्त्रों में बेहतर समय बताया है।
सूर्य की सप्त किरणें और स्वास्थय लाभ-
सूर्य की अल्ट्रावायलेट और अल्ट्रावायलेट किरणें स्वास्थ्य के लिए बहुत ही बड़ी उपयोगी साबित हुई हैं।
जल के साथ अपना मुख पहले पूर्व की ओर कर लीजिए और भावना करे की सुर्य तेजस्वी किरणें आपके शरीर में चारों ओर से प्रवेश कर रही हैं ।
रविवार को व्रत रखना सूर्य की
बलिदानी शक्ति का आह्वान है।
आपका चित्त जब बहुत व्याकुल हो, घबराहट हो किसी भी प्रकार की परेशानियां संकट होता आप ये मंत्र 108 बार पढ़ लें।
मंत्र का जाप इस प्रकार करें ओम सूर्याय नमः
सूर्य व्रत का महत्व -
यदि आपके लिए संभव हो तो आप रविवार को एक समय भोजन करके व्रत रख सकते हैं। और भोजन में नमक का सेवन ना करें या एक विशेष ही लाभदायक व्रत है। इस दिन सनान करने के बाद सुगंधित अगरबत्ती जलाकर सूर्य भगवान का पाठ करें और आप अनुभव करेंगे कि आप कई बाधाओं से मुक्त हो रहे हैं, और बीमारियां आपसे दूर भाग रही हैं।
नेत्र संबंधी रोग का विनाश रोकने के लिए आप आदित्य हृदय स्तोत्र के साथ नेत्रोंपनिषद स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करे। आपके नेत्रों की खोई हुई ज्योति पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा गया है।
हृदय रोग के निवारण हेतु आदित्य हृदय स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करें तथा अंबर की माला धारण करें प्रत्येक रविवार को उपवास करें तथा तामसिक भोजन ग्रहण ना करें केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।
इसमें नमक का प्रयोग ना हो तो और भी ज्यादा अच्छा है। रविवार का व्रत रखने से आप स्वयं आपका परिवार सभी प्रकार से साधन संपन्न होगा और समय-समय पर धन की प्राप्ति होती रहेगी । सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए नित्य उन्हें लाल चंदन लाल फूल केसर युक्त जल समर्पण करें यह उनको बेहद प्यारा है। भगवान सूर्य लाल रंग को बेहद पसंद करते हैं।
सूर्य की पूजा का महत्व -
सूर्य की पूजा एवं वंदना यह नित्य कर्म में आती है शास्त्र में इसका बहुत बड़ा महत्व बताया गया है।
दूध देने वाली एक लाख गायों के दान का जो फल प्राप्त होता है उससे भी बढ़कर फल 1 दिन की सूर्य पूजा से होता है।
सूर्य नमस्कार कैसे करें -
पूजा की तरह सूर्य के 12 नम्सकारो का विशेष महत्व है। इसमें शारीरिक व्यायाम भी हो जाता है और भगवान सूर्य के नाम का उच्चारण कर दणडवत प्रमाण करें फिर उठकर दूसरा नाम बोल कर दंडवत करें इस प्रकार 12 नामों को प्रणाम करना से शीघ्र भक्ति भाव से करें। इस काम को जल्दी जल्दी ना करें इस प्रकार हमें भगवान नारायण का ध्यान करना चाहिए। भावना से दोनों हाथ भगवान के श्री कोमल चरणों का स्पर्श करते ललाट भी उसी पर केंद्रित हो और आंखें भी दर्शन मत हो।
सक्लप कैसे करें -
संकल्प लेने के लिए हाथ में जल अंजली मे या तांबे के पात्र में ले ले और लाल चंदन ,अक्षत ,फूल डाल कर हाथों को हृदय के पास लाकर निम्नलिखित मंत्र से सुर्य को अरघ दे और इस मन्त्र का उच्चारण करेने के बाद जल को धरती पर छोड दे ।
मन्तर इस प्रकार है
सूर्य मंत्र-
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं नमोस्तुते।
अगर आप नारद पुराण के अनुसार सामग्री को इक्ट्ठा करने में आप असमर्थ हैं तो नारद मुनि ने एक संक्षिप्त विधि भी अर्घ्य देने की बताई है जोकि बहुत ही सरल है। इस विधि के अनुसार आपको सिर्फ जल में चंदन या कुमकुम, पुष्प, अक्षत डालना है।
वेदों के अनुसार सूर्य भगवान को हमारी आत्मा की संज्ञा भी दी गई है सूर्य भगवान को की पूजा और अर्घ देने से हमारी हर तरह की शारीरिक और मानसिक कष्टि दूर हो जाती है। इसलिए प्रतिदिन सूर्य भगवान की पूजा करें और स एक जल का लोटा देकर अपने घर में सुख शांति और समृद्धि लाए।
सूर्य प्रतिदिन दर्शन देने वाले देवता है-
सूर्य और चंद्रमा हमारे जीवन के प्रत्यक्ष देवता हैं। मन का स्वामी चंद्रमा को माना गया है और बुद्धि का स्वामी सूर्य देवता हैं। दोनों ही हमारे लिए इस धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं और सभी धर्म और जातियों को लाभ पहुंचाने वाले हैं। अगर व्यक्ति अशांत, असंतुष्ट है और बुद्धि से कमजोर है तो सूर्य भगवान की पूजा करना अति लाभदायक है, क्योंकि श्री कृष्ण और श्रीराम दोनों ने ही श्री सूर्य की पूजा की है वह सूर्यवंशी कहलाते हैं।
सूर्य की पूजा का फल-
अगर आप भी सूर्य की तरह दुनिया में अपना नाम चमकाना चाहते हो तो हर रोज सूर्य भगवान को जल जरूर दें ,बिना नियम तोड़े, फिर 1 दिन देखना सूर्य भगवान आपको ऐसा आशीर्वाद देगा कि आपका नाम भी दुनिया में सूर्य की तरह ही चमकेगा।
यह एक कहावत भी है चढ़ते सूरज को दुनिया सलाम करती है इसलिए अगर आप भी चाहते हो दुनिया आपको सलाम करें तो सूर्य की पूजा से बढ़कर कोई पूजा नहीं है। सूर्य की पूजा के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक जल लोटा और कुछ फूल और मीठा डालकर सूर्य भगवान को जल देना ही सबसे बड़ी पूजा है। इसमें किसी प्रकार की शंका नहीं है जिसमें सूर्य भगवान की पूजा की उसकी सुर्य भगवान ने नैया पार लगाई।
इस पृथ्वी के हर जीव का जीवन सूर्य पर ही निर्भर है इसलिए सूर्य को विश्व की आत्मा भी कहा गया है।
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