नवरात्रो में माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें |नवरात्रि पर विशेष मन्त्र |

Tittle- नवरात्रि विशेष माँ दुर्गा की पूजा कैसे करें-
 नवरात्रि में हिन्दू धर्म में सभी घरों में विशेष पुजा की जाती है। माँ दुर्गा की पूजा करने से पहले इसकी विधि विधान के बारे में पुरी जानकारी होना बहुत जरूरी है। तभी माँ दुर्गा की पूजा सफल हो सकती है। आइये जानते है विस्तार से कैसे माँ दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। 
 दुर्गा पुजा का विधी विधान
 वेद पुराण,उपनिषद ,महाभारत, रामायण,  भगवदगीता की तुलना में यदि नवरात्रों को सामने रखा जाए तो नव दुर्गा पूजन के सामने ऐसा कोई ग्रंथ या शक्ति नहीं जो आपकी मनोकामना पूर्ण करती हो।
 दुर्गा सप्तशती जहां महामाया, भगवती दुर्गा के प्रति आराधना तथा अर्चना का सर्वोत्तम साधन है। वही नव दुर्गा पूजन का मंत्र शक्ति एवं तंत्र दोनों दृष्टिकोण से अचूक उपाय है।
नवरात्रो में मां दुर्गा की पूजा ना केवल मनोकामना पूर्ण करता है बल्कि पुरानी भूल चूक भी मां भगवती क्षमा कर देती है।
 सबसे पहले मां दुर्गा की पूजा करने के लिए नवरात्रों में सर्वप्रथम पहले अर्गला स्तोत्र फिर क्लिक स्तोत्रं का पाठ करना चाहिए यही एक सही और उत्तम विधि है।
भगवान शिव भी कहते हैं की मेरी पुजा तभी सफल होगी जब माँ दुर्गा की पूजा पहले होगी।
 अर्थात उपरोक्त कर्म से मां दुर्गा का पाठ करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है भगवान शिव आगे कहते हैं कि अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से हमें मनचाहा फल प्राप्त होता है। यह पाठ करने से हमारी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।  दुर्गा कवच अर्गला स्तोत्र एवं क्लिक स्तोत्र के बाद पढ़ना चाहिए। जब दुर्गा सप्तशती का पाठ जब समाप्त हो जाए तो सामने गंगाजल रखकर सारे घर में छिड़काव करना चाहिए। 
 इस प्रकार से नवरात्रों के 9 दिनों में हर रोज पाठ करना चाहिए एक समय में सात्विक भोजन करना चाहिए। 9 दिन के पश्चात किसी छोटे से हवन कुंड में बीज मंत्र के साथ 108 आहुतियां देकर हवन करना चाहिए। उसके बाद नौ कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए। पूजन में फूल, चावल, सुपारी इत्यादि सभी समान को बाद में  जल में विसर्जित कर देना चाहिए।

भगवती के सवरूप- 
मातेश्वरी भगवती के अनेक अद्भुत और अलौकिक रूप और अवतार हैं। जहां शिव जी की शक्ति पार्वती है, वही धन की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी,  विद्या दायिनी सरस्वती भी माँ भगवती के ही रूप हैं ।
दानवो के दलन और देवताओं की रक्षा के लिए मां कभी कभी चंडी का, कभी दुर्गा का रूप धारण कर लेती है।
 भारतीय दर्शन में शक्ति का स्वरुप बहुत ही दिव्य एवं व्यापक है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी,
 चंद्रघटा , कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी एवं सिद्धिदात्री नामों से प्रसिद्ध नौ देवियों की शक्ति का केंद्र बिंदु मां भवानी की विशेष आराधना नवरात्रों में होती है।
 नवरात्रों का आगमन 1 वर्ष में 4 बार होता है किंतु वर्ष में दो बार चैत्र और शुक्ल पक्ष एवं अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक माने  जाने वाले नवरात्रों का विशेष महत्व है। 

 नवरात्रि पूजा के लिए विशेष  सामग्री- 
नवरात्रों में पुजा करने से पहले सामग्री  के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है, क्योंकि कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो मां भगवती को बहुत ही प्रिय हैं। जिनमें से लाल रंग की वस्तुएं बहुत ही ज्यादा मां भगवती को पसंद है।
 देवी पूजन हवन, धूप, दीप आदि से घर का वातावरण आत्मा को एक अलौकिक शुद्धि एवं शक्ति की प्राप्ति होती हैं। इन दिनों देवी के निमित्त व्रत रखने का विधान है। कुछ व्यक्ति केवल पुरे नवरात्रि व्रत रखते हैं।और कुछ लोग पहला और आखिरी व्रत का जोड़ा भी रखते हैं। व्रत रखते समय जबकि अधिकांश व्यक्ति फलाहार व्रत रखते हैं। लगातार 9 दिन का व्रत यदि संभव ना हो तो पहले और अंतिम नवरात्रि का व्रत तो करना ही चाहिए।
 पूजा स्थान को गोबर से लिप कर अगर पक्का है तो जल से धोकर शुद्ध करने के ले  । उस स्थान पर अब वहां लकड़ी का एक पटरी रखी जाती है और घड़े या लोटे में जल का भरकर कलश की स्थापना भी की जाती है। फिर उसके बाद  भगवती दुर्गा का चित्र पटरी पर रखा जाता है।  गणेश की मूर्ति, मोली, पीला कपड़ा लपेटकर पटरी पर रखा जाता है। उसके पश्चात मां की मूर्ति की स्थापना कर उस पर लाल वस्त्र या चुनरी चढाये जिसे आप मां का आशीर्वाद समझ कर बाद में इस्तेमाल कर सकते है।  माता का सिंगार करके उन्हें धूप दीप   दिखाकर  और फल ,फूल आदि का भोग लगाकर मां का पूजा का आरंभ करें। सारी पुजा करने के में मां दुर्गा चालीसा का पाठ और आरती  भी जरूर करें।  आरती के बिना पुजा अधुरी मानी जाती है। 
 कलश स्थापना- 
 इसके बाद स्वच्छ जल से भरे मिट्टी के कलश पर धुले हुए आम के पत्तों कलश पर नारियल रखकर  लाल वस्त्र लपेटकर उसे ढक कर रखें ।नारियल के चारों और मौली लेपट कर  सिंदूर से तिलक करें। 

 नवरात्रि के विशेष फल - 
मां भगवती को फलो में अनार  बेहद पसन्द है, इसलिए अगर हो सके तो मां के चरणों में हर रोज एक अनार का फल जरूर समर्पित करें । अगर यह संभव ना हो तो कोई और लाल रंग का  फल जरुर चढ़ाएं।

भोग लगाएं-  नवरात्रि में देवी मां को हर दिन सात इलायची और मिश्री का भोग लगाएं.  मां को ताजा पान के पत्ते में लोंग और बतासा रखकर अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं और सुख, वैभव का वरदान देती हैं और आपकी मनोकामना जल्दी पुरी करती है।

जौ बोने का महत्व -
मां के चरणों में मिट्टी का बर्तन रखकर मिट्टी और रेत के मिश्रण मे जौ जरूर बीज दे। यह जौ अगर बहुत अच्छे से उगे तो यह हमारे लिए सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अगर कोई भी जौ आपको पीले रंग का नजर आए तो आप उसे संभाल कर अपनी तिजोरी में रख ले।  यह बहुत ही कम लोगों के घरों में देखने को मिलता है। अगर आपके घर में  ऐसा संभव हो तो उसे संभाल कर जरूर रखें ।
  
विशेष मन्तर जाप करे - 
नवरात्रि के दिनों में रुद्राक्ष या लाल चंदन की माला लेकर प्रतिदिन ॐ दुर्गाये नम: मंत्र का जाप करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और हर इच्छा को  पूरा करती हैं. 
अखण्ड जोत जलाये- 
एक कटोरी मे घी डालकर मां की ज्योति प्रज्वलित ही करें। अगर सम्भव  हो तो अखंड ज्योति जलाये, लेकिन एक बात का ध्यान रखें कभी भी अखडं जोत  को सुना नहीं छोड़ते। अखंड जोत तभी जलाएं जब कोई भी मैबरं घर में रह सकता हो। ध्यान रखें कि ये ज्योति बुझनी नहीं चाहिए. जो भी संकल्प हो, उसे हाथ में पानी लेकर लें और दीपक के पास छोड़ दें.
 
कन्या पुजन- 
नवरात्री में कन्या पूजन का बहुत विशेष महत्व बताया गया है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार 9 दिन तक एक ही कन्या का पूजन का विधान है। इस प्रकार 9 दिन तक  पूजा के साथ कन्या का पूजन भी किया जाता है। कुंवारी कन्या कम से कम 2 वर्ष की अवस्था हो और 11 वर्ष से अधिक की ना हो,  क्योंकि इसे छोटी कन्या स्वाद, गंध आदी से अनजान होती है। कुंवारी पूजन के लिए नौ कन्याओं को बुलाकर भक्ति भाव से उनके चरण धोकर ,उनको  टीका लगाकर उनके हाथ में मौली बांधी जाती है, और फिर स्वच्छ वस्त्र, वैष्णो भोजन का भोग लगाया जाता है ।
हलवा पूरी और काले चने की सूखी सब्जी का भोजन करवाकर उन्हें खिलौने वस्त्र आदि रुपए आदि भेंट के रूप में देने चाहिए। इस प्रकार नवरात्र में अपने आप को शुद्ध निस्वार्थ भाव से मां जगदंबा के चरणों में अर्पित करते हुए, उनसे बल, बुद्धि, सत्कर्म परोपकार की भावना, आशीर्वाद मांगते हुए बीज मंत्रो का पाठ करें।
नवरात्रि पर विशेष मन्त्र - 
नवरात्रि ही एक ऐसा पर्व है जिसमें माता दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और सरस्वती की साधना कर जीवन को सार्थक किया जा सकता है। अगर आप जीवन में भय एवं मुश्किलो से परेशान है, तो यह मंत्र आपके लिए सबसे उत्तम हैं। 
 
इन मंत्रो के उच्चारण से जीवन भय एवं बाधारहित होकर समस्त सुखों को प्राप्त‍ करता है। मां दुर्गा के स्वरूपों का स्मरण करते हुए निम्न मंत्रों का जप नवरा‍त्रि के अलावा प्रतिदिन किया जाए तो अधिक से अधिक सफलता प्राप्त होती है। अत: प्रत्येक मनुष्य को इन प्रभावी मंत्रों का जप अवश्य करना चाहिए। 

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। 
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
3.  या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
* या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
* या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
* या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 
* या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, 
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

 4. नवार्ण मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' का जाप अधिक से अधिक अवश्‍य करें।

हनुमान जी की पुजा- 
अगर आपके पास समय है तो हो सके हनुमान जी की पूजा भी साथ साथ जरूर करें। ऐसा करने से मां देवी प्रसन्न होती है और आपकी मनोकामना जल्दी पुर्ण  होती है अगर ज्यादा ना हो सके तो हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। पहले  मां दुर्गा की पूजा फिर  बाद में हनुमान जी पुजा करे।
इस प्रकार आप मां दुर्गा की पूजा पूरे तन मन धन से करें और ऐसा भाव  मन में रखे कि इन  नवरात्रि के दिनों में माता मेरे घर पर विराजमान है। जो हम भोजन बना रहे है या  खा रहे थे वह सब माता का आशीर्वाद था।
किसी भी काम को करते समय मन में शंका ना पैदा होने दें क्योंकि आशंका होने से किसी भी पूजा को कोई लाभ नहीं मिलता।




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