Tittle पुजा करने के लिए किन वस्तुओं को निषेध माना गया है।
भगवान् की पुजा पाठ के बारे में कुछ ऐसी बातें जो शायद कुछ लोग जानते भी है और कुछ नही भी जानते।अगर आप भगवान में विश्वास रखते हैं और पूजा करते हैं तो इन बातों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है। आज हम आपके साथ कुछ ऐसी बातें शेयर कर रहे हो जो पूजा पाठ करने के लिए और तीर्थ स्थानों पर जाने से पहले जानना बहुत जरूरी है।
भगवान की पुजा कैसे करें -
* भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल चढ़ाना वर्जित है क्योंकि इस फुल को चढाने वाले को दोष लगता है और पूजा निष्फल हो जाती हैं, इसके पीछे कारण है कि केतकी पुष्प ने भगवान शिव के सामने झूठी गवाही दी थी ।
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* शिवजी की पूजा करते समय ध्यान रखें कि कभी भी सिंदूर न चढ़ाएं। हालांकि सिंदूर अन्य देवी-देवताओं को अत्यंत प्रिय है। सिंदूर को लेकर कहा जाता है कि हिंदू महिलाएं इसे अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगाती हैं। वहीं, भगवान शिव संहारक के रूप में जाने जाते हैं इसलिए शिवलिंग पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी को सिंदूर चढ़ाना अशुभ होता है।
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* शिवलिंग पर भूलकर भी शंख से जल न चढ़ाएं। जबा प्रत्येक पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है। देवी-देवताओं को इससे जल भी चढ़ाया जाता है। लेकिन भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है। शिवपुराण के अनुसार शंखचूड़ एक महापराक्रमी दैत्य था। उसका वध शिवजी ने किया था तो इसलिए शंख का जल शिव पूजा में निषेध है। यही वजह है कि भोलेनाथ को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।
* शिवलिंग पर कभी भी तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जालंधर नाम के असुर को अपनी पत्नी की पवित्रता और विष्णु जी के कवच की वजह से अमर होने का वरदान मिला हुआ था। अमर होने की वजह से वह पूरी दुनिया में आतंक मचा रहा था। ऐसे में उसके वध के लिए भगवान विष्णु और भगवान शिव ने उसे मारने की योजना बनाई। जब वृंदा को अपने पति जालंधर की मृत्यु का पता चला तो वह बहुत दुखी और क्रोधित हो गई। इसी क्रोध में उसने भगवान शिव को शाप दिया कि उनके पूजन में तुलसी की पत्तियां हमेशा वर्जित रहेंगी।
* शिवलिंग पर कभी भी नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए। हालांकि यहां यह स्पष्ट कर दें कि शिवजी की पूजा तो नारियल से होती है लेकिन नारियल वर्जित है। शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाहिए। यानी कि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाने के बाद ग्रहण किया जाता है इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है। लेकिन शिवजी की प्रतिमा पर नारियल चढ़ाया जा सकता है।
* शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। मान्यता है कि इन वस्तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा अपराजिता का नीला या फिर सफेद जो भी पुष्प हो उसे जरूर चढ़ाएं। मान्यता है कि यह अपराजिता शिवजी को अत्यंत प्रिय है। इसे चढ़ाने से वह अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं।
* शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। मान्यता है कि इन वस्तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा अपराजिता का नीला या फिर सफेद जो भी पुष्प हो उसे जरूर चढ़ाएं। मान्यता है कि यह अपराजिता शिवजी को अत्यंत प्रिय है। इसे चढ़ाने से वह अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं।
* पूजा को नित्यकर्म में शामिल किया गया है। पूजा करने के पुराणिकों ने अनेक मनमाने तरीके विकसित किए हैं। पूजा किसी देवता या देवी की मूर्ति के समक्ष की जाती है जिसमें गुड़ और घी की धूप दी जाती है, फिर हल्दी, कंकू, धूप, दीप और अगरबत्ती से पूजा करके उक्त देवता की आरती उतारी जाती है। पूजा में सभी देवों की स्तुति की जाती है। अत: पूजा-आरती के भी नियम हैं। नियम से की गई पूजा के लाभ मिलते हैं।
* 12 बजे से पहले पूजा और आरती समाप्त हो जानी चाहिए। दिन के 12 से 4 बजे के बीच पूजा या आरती नहीं की जाती है। रात्रि के सभी कर्म वेदों द्वारा निषेध माने गए हैं, जो लोग रात्रि को पूजा या यज्ञ करते हैं उनके उद्देश्य अलग रहते हैं। पूजा और यज्ञ का सात्विक रूप ही मान्य है।
* मंदिर में शिवलिंग की पूजा के बाद लोग प्रसाद चढ़ाते हैं. और पंडित जी उसी प्रसाद को लोगों में बांट देते हैं. उस प्रसाद को लोग भगवान का आशीर्वाद समझ कर ग्रहण कर लेते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव जी का प्रतीक शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना निषेध माना जाता है. इसके पीछे पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव के मुख से चण्डेश्वर नामक गण प्रकट हुआ था। चण्डेश्वर भूत-प्रेतों का प्रधान है. कहते हैं कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद चण्डेश्वर का भाग होता है. चण्डेश्वर का अंश यानी शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण करना भूत-प्रेतों का अंश ग्रहण करना माना जाता है, इसलिए कहा जाता है कि शिवलिंग पर चढ़ा हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।
* तुलसी के पौधे को दैवीय औषधि माना जाता है।
इसलिए इस पौधे को सदैव उत्तर दिशा या पूर्व दिशा या फिर उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। इन दिशाओं में रखने पर तुलसी सदैव हरी-भरी रहती हैं। इस पौधे को दिन में लगभग छह से आठ घंटे धूप की आवश्यकता होती है। इसलिए इसे ऐसे स्थान पर रखें जहां पर पर्याप्त धूप मिल सके।
* भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते समय उनके भोग में तुलसी दल रखना बहुत जरूरी माना जाता है अगर आप भगवान श्री कृष्ण की भोग में तुलसी दल नहीं रखते तो वह उस भोग को स्वीकार नहीं करते।
* रविवार और मंगलवार को तुलसी को ना तो जल देते हैं और ना ही उसके पत्तों को तोड़ते हैं।ऐसा करना अशुश माना जाता है।
* हिंदू धर्म को मानने वाले लोग एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल खाने से कीड़े की योनि प्राप्त होती है। इसलिए जितना ज्यादा संभव हो सके तो एकादशी के दिन चावल ना बनाएं।
* सभी अनाजों में भगवान को अक्षत चढाना सबसे ज्यादा शुभ माना गया है क्योंकि यह ऐसा अनाज है जो किसी भी पशु पक्षी द्वारा झूठा नहीं किया जाता इसके ऊपर एक कवर चढ़ा होता है, इसलिए इस को सबसे अति शुभ माना गया है।
*बृहस्पति वार को मां तुलसी दूध चढाने से धन की वृद्धि होती है घर में।
* जिस गमले में तुलसी का पौधा लगा हो उसमें कोई अन्य पौधा नहीं लगाना चाहिए।
* तुलसी के आस पास कांटेदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में दुर्भाग्य बढ़ता है और तुलसी की पूजा का सही फल नहीं मिल पाता।
* तुलसी को दूध मिला हुआ जल अर्पित करना चाहिए। इससे तुलसी हरी भरी रहती है औऱ तेजी से बढ़ती है।
* अक्सर सांझ के वक्त तुलसी के नीचे दिया जलाया जाता है। लेकिन इतना ध्यान रखना चाहिए कि दिया जलाने के बाद जब वो बुझ जाए तो उसे तुलसी के नीचे से हटा देना चाहिए।
* तुलसी के पौधे को हमेशा आंगन में लगाना चाहिए। अगर आंगन नहीं है तो बालकनी में लगा सकते हैं। लेकिन इसे छत पर नहीं रखना चाहिए
* हमारे शास्त्रों में देवी देवताओं की संख्या 33 करोड़ बताई है और जीव प्राणियों की संख्या 8300000 योनियों बताई गई हैं।। इन 8400000 योनियों को भोगने के बाद ही मनुष्य योनि प्राप्त होती है।
* अयोध्या में सरयू स्थान, जगन्नाथपुरी में भगवान को प्रसाद लेना, बद्रीनाथ तीर्थ में नर तथा नारायण पर्वत का दर्शन करना, वृंदावन में ग्रहण तथा रामेश्वर में गंगाजल शिव स्नान करना, बालाजी में केस उतारना,यह सब इन तीर्थो के महत्वपूर्ण कार्य हैं।
* भगवान ब्रह्मा जी का समय 2 सेकंड हमारे 1 वर्ष के बराबर होता है।
* खिला हुआ कमल का फूल सूर्य भगवान के अस्त हो जाने के बाद साथ ही बंद हो जाता है और दूसरे दिन सूर्य भगवान के उदय होने के साथ-साथ फिर से खिल जाता है यह एक बहुत बड़ा चमत्कार है।
* माता लक्ष्मी को कमल का फूल बेहद पसंद है और भोले बाबा भगवान शंकर को कमल का फूल अति प्रिय है।
* लालची भंवरा कमल के फूल का रस चूसते रहने का आनंद नहीं छोड़ पाने के कारण कमल के फूल में ही बंद हो जाता है, जहां उसकी जीवन की लीला समाप्त हो जाती है इसीलिए कहते हैं कि लालच बहुत बुरी बला होती है।
* अन्याय से कमाया हुआ धन 10 वर्ष तक ठहरता है और 11 वर्ष शुरू होने पर वह मूल सहित नष्ट हो जाता है।
* मां-बाप की तुलना सर्वोच्च तीर्थ तुल्य से की गई है। माता की संतान के लिए प्रथम संस्कार देने वाली और कष्ट सहन करने वाली होने से मां का इतना ऊंचा पवित्र स्थान माना गया है कि उसके आगे कोई भी तीर्थ स्थान तुलना नहीं कर सकता।
* मां की आंखों में दो बार अवश्य आंसू आते हैं जब एक लड़की घर छोड़े जब दूसरा लड़का मुंह मोड़े।
* जैसे मनुष्य शरीर बार-बार नहीं मिलता, ऐसे ही मनुष्य शरीर मिलने पर सत्संग भी बार-बार नहीं मिलता हर हाल में खुश रहने की विद्या सत्संग से ही मिलती हैं। सच्ची बात को मान ले यह सत्संग है , जैसे भीतर अग्नि कमजोर हो तो भोजन पचता नहीं ऐसी भीतर भीतर लगन ना हो तो सत्संग की बातें पचती नहीं।
* दुनिया में 3 मित्र सबसे सच्चे हैं पत्नी दोस्त और बुद्धि।
* याद रखें कि कभी-कभी चुप रहना भी अपने आप में एक बहुत बड़ा उत्तर है।
* मारने वाले के दो दो हाथ है ही होते हैं मगर बचाने वाले के पास करोड़ो हाथ हैं ,उस पर पूर्ण विश्वास रखें तो कोई भी आपको कुछ नहीं बिगाड़ नही सकता।
* एक सुगंधित फूलो वाले वृक्ष से सारा वन सुगंधित हो जाता है जैसे अच्छे पुत्र से पूरा कुल का उद्धार हो जाता है।
* अधिक घमंड के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान से राजा बलि को बांधा गया, अतः सदा याद रखे अति हर चीज की हर हाल में बुरी होती है।
* तुलसी के आस पास कांटेदार पौधों को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में दुर्भाग्य बढ़ता है और तुलसी की पूजा का सही फल नहीं मिल पाता।
* तुलसी को दूध मिला हुआ जल अर्पित करना चाहिए। इससे तुलसी हरी भरी रहती है औऱ तेजी से बढ़ती है।
* अक्सर सांझ के वक्त तुलसी के नीचे दिया जलाया जाता है। लेकिन इतना ध्यान रखना चाहिए कि दिया जलाने के बाद जब वो बुझ जाए तो उसे तुलसी के नीचे से हटा देना चाहिए।
* तुलसी के पौधे को हमेशा आंगन में लगाना चाहिए। अगर आंगन नहीं है तो बालकनी में लगा सकते हैं। लेकिन इसे छत पर नहीं रखना चाहिए
* हमारे शास्त्रों में देवी देवताओं की संख्या 33 करोड़ बताई है और जीव प्राणियों की संख्या 8300000 योनियों बताई गई हैं।। इन 8400000 योनियों को भोगने के बाद ही मनुष्य योनि प्राप्त होती है।
* अयोध्या में सरयू स्थान, जगन्नाथपुरी में भगवान को प्रसाद लेना, बद्रीनाथ तीर्थ में नर तथा नारायण पर्वत का दर्शन करना, वृंदावन में ग्रहण तथा रामेश्वर में गंगाजल शिव स्नान करना, बालाजी में केस उतारना,यह सब इन तीर्थो के महत्वपूर्ण कार्य हैं।
* भगवान ब्रह्मा जी का समय 2 सेकंड हमारे 1 वर्ष के बराबर होता है।
* खिला हुआ कमल का फूल सूर्य भगवान के अस्त हो जाने के बाद साथ ही बंद हो जाता है और दूसरे दिन सूर्य भगवान के उदय होने के साथ-साथ फिर से खिल जाता है यह एक बहुत बड़ा चमत्कार है।
* माता लक्ष्मी को कमल का फूल बेहद पसंद है और भोले बाबा भगवान शंकर को कमल का फूल अति प्रिय है।
* लालची भंवरा कमल के फूल का रस चूसते रहने का आनंद नहीं छोड़ पाने के कारण कमल के फूल में ही बंद हो जाता है, जहां उसकी जीवन की लीला समाप्त हो जाती है इसीलिए कहते हैं कि लालच बहुत बुरी बला होती है।
* अन्याय से कमाया हुआ धन 10 वर्ष तक ठहरता है और 11 वर्ष शुरू होने पर वह मूल सहित नष्ट हो जाता है।
* मां-बाप की तुलना सर्वोच्च तीर्थ तुल्य से की गई है। माता की संतान के लिए प्रथम संस्कार देने वाली और कष्ट सहन करने वाली होने से मां का इतना ऊंचा पवित्र स्थान माना गया है कि उसके आगे कोई भी तीर्थ स्थान तुलना नहीं कर सकता।
* मां की आंखों में दो बार अवश्य आंसू आते हैं जब एक लड़की घर छोड़े जब दूसरा लड़का मुंह मोड़े।
* जैसे मनुष्य शरीर बार-बार नहीं मिलता, ऐसे ही मनुष्य शरीर मिलने पर सत्संग भी बार-बार नहीं मिलता हर हाल में खुश रहने की विद्या सत्संग से ही मिलती हैं। सच्ची बात को मान ले यह सत्संग है , जैसे भीतर अग्नि कमजोर हो तो भोजन पचता नहीं ऐसी भीतर भीतर लगन ना हो तो सत्संग की बातें पचती नहीं।
* दुनिया में 3 मित्र सबसे सच्चे हैं पत्नी दोस्त और बुद्धि।
* याद रखें कि कभी-कभी चुप रहना भी अपने आप में एक बहुत बड़ा उत्तर है।
* मारने वाले के दो दो हाथ है ही होते हैं मगर बचाने वाले के पास करोड़ो हाथ हैं ,उस पर पूर्ण विश्वास रखें तो कोई भी आपको कुछ नहीं बिगाड़ नही सकता।
* एक सुगंधित फूलो वाले वृक्ष से सारा वन सुगंधित हो जाता है जैसे अच्छे पुत्र से पूरा कुल का उद्धार हो जाता है।
* अधिक घमंड के कारण रावण मारा गया, अत्यधिक दान से राजा बलि को बांधा गया, अतः सदा याद रखे अति हर चीज की हर हाल में बुरी होती है।
* अगर आप प्रभु की कृपा चाहते हो तो अपने से छोटे और गरीबों पर दया करना सीखो।
* प्रातः काल नाश्ते से पहले घर में झाड़ू पहुंचा अवश्य लगा ले और शाम के समय ज्योति जलाने के बाद घर में झाड़ू पोछा का कार्य ना करें।
* कभी भी घर से खाली पेट ना निकले यदि दही घर में उपलब्ध ना हो तो एक चम्मच गुड़ के साथ खाकर निकले उससे कार्य में सौभाग्य योग बनता है।
* अपने घर के उत्तर-पूर्व के कोने में एक साफ हवादार स्थान अपने भगवान नारायण पूजा कर बनाना अति आवश्यक है सुख शांति धन और यश की प्राप्ति के लिए जब तक मनुष्य भगवान का सहारा नहीं लेगा तब तक कोई भी सहारा टिकेगा नहीं वह तो पता ही रहेगा इसलिए अपने घर में एक कोना भगवान के लिए अवश्य बनाएं।
* मनुष्य की सबसे बड़ी भूल है क्या दुनिया को तो सुधारना चाहता है परंतु खुद को सुधारना नहीं जाता मनुष्य को अपनी गलतियों को सुधारना चाहिए दूसरों के नहीं जब आपको अपनी गलती का एहसास हो उसी से मैं उसे दूर करने की कोशिश करें इसी चीज में भलाई है।
* धन कभी किसी को अपना गुलाम नहीं बनाता मनुष्य खुद ही धन का गुलाम बन कर अपना पतन कर लेता है।
* आज तुम जिसे सुख समझ रहे हो , हो सकता है वो कल दुख बन जाएगा और आज से तुम दुख समझ रहे हो "वो कल तुम्हें चरम सुख और आनंद की प्राप्ति करवाएगा। बातें तो सभी सुनते हैं पर जो अमल करता है उसी को सुनना सार्थक होता है। अकेले चलना सीखो, किसी का पथ मत ढूंढो, ईश्वर को हमेशा याद रखो वह हर पल तुम्हारे साथ है, उसका तो जन्मों युगों का साथ है।
* जीवन के लिए सिख-
बनना है तो नदी की लहर के जैसे बनो देखो यह कैसे लगातार कर्मशील है, कभी तुमने इन्हें स्थिर देखा है क्या? नदी कभी रुकती ना ही कभी पीछे मुड़कर देखती है, लहरों के मार्ग में कितनी भी बाधा हो यह आगे ही बढ़ती रहती है, जिसने अपने आपको नदी की लहरों के समान बना लिया वह कभी असफल नहीं हो सकता। वह सत्य के मार्ग पर बढ़ता चला जाता है और 1 दिन सफलता की ऊंचाइयों को छू ही लेता है।
Last alfaaz-
इतना अपने जीवन में कुछ चीजों को अपना कर आप अपना उद्धार
खुद कर सकते हो अगर मेरा यह लेख अच्छा लगा हो तो प्लीज अपने चाहने वाले दोस्तों में जरूर शेयर करें
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