हर इंसान की कोई ना कोई मनोकामना होती है उनका पूरा करने के लिए वह भक्ति मार्ग की तरफ आकर्षित होता है।
हमारे धर्म के अनुसार हमारे शास्त्रों में बहुत सारे टोटके, उपाय और मंत्र जाप हैं। उनमें से एक है राम स्तुति..
जिन्हे हम अपनी मनोकामना पूरा करने के लिए करते रहते हैं।
अगर आपका भी कोई काम है जो नहीं बन रहा हो और निराशा ही हाथ लग रही है, तो इस समय हम हनुमान जी का चित्र रखकर या उनके मंदिर में जाकर राम स्तुति का जाप करें। जो इस प्रकार हैं। राम स्तुति करने से आपका परिवार रिद्धि सिद्धि से भरपूर हो जाएगा।
श्री रामचन्द्र की स्तुति कैसे करें-( हिन्दी अनुवाद)
हे भक्तवत्सल ! हे कृपालु हे कोमल स्वभाववाले ! मैं आपको नमस्कार करता हूँ निष्काम पुरुषों को अपना परमधाम देने वाले आपके चरण कमलों को मैं भजता हूँ।।
आप नितान्त सुन्दर , श्याम , संसार ( आवागमन रूपी ) समुद्र को मथने के लिये मन्दराचलरूप , खिले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं। हे प्रभू आपकी लंबी भुजाओं का पराक्रम और आपका तरकस और धनुष -बाण धारण करने वाले तीनों लोकों के स्वामी।। सूर्यवंश के भूषण , महादेवजी के धनुष को तोड़ने वाले मुनिराजों और संतो को आनन्द देने वाले तथा देवताओं के शत्रु असुरों के समूह का नाश करने वाले हैं। आप कामदेव के शत्रु महादेवजी के द्वारा वन्दित , ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं।। हे लक्ष्मीपते ! हे सुखों की खान और सत्पुरूषों की एकमात्र गति !मैं आपको नमस्कार करता हूँ। जो मनुष्य मत्सर रहित होकर आपके चरण कमलों का सेवन करते हैं , वे तर्क - वितर्क (अनेक प्रकार के संदेह ) रूपी तरंगो से पूर्ण संसाररूप समुद्र में नहीं गिरते । आवागमन के चक्कर में नहीं पड़ते। जो एकान्तवासी पुरूष मुक्ति से लिये , इन्द्रियादिका निग्रह करके उन्हें विषयों से हटाकर प्रसन्नतापूर्वक आपको भजते हैं , अपने स्वरूप को प्राप्त होते हैं।।
उन को जो एक ( अद्वितीय ) , अद्भुत ( मायिक जगत् से विलक्षण ) , प्रभु ( सर्व - समर्थ ) इच्छा रहित , ईश्वर सर्वव्यापक , जगतगुरू सतातन , तुरीय ( तीनों गुणों से सर्वथा परे ) और केवल अपने स्वरूप में स्थित है ।
जो भावप्रिय , कुयोगियों ( विषयी पुरूषों के लिये अत्यन्त दुर्लभ , अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष ( अर्थात् उनकी समस्त कामनाओं को पूर्ण निरन्तर भजता हूँ ।
सम और सदा सुखपूर्वक सेवन करने योग्य हैं , हे अनुपम सुन्दर ! मुझपर प्रसन्न होइये । मैं आपको नमस्कार करता हूँ । मुझे अपने चरणकमलों की भक्ति दीजिये। जो मनुष्य इस स्तुति को आदरपूर्वक पढ़ते हैं , वे आपकी भक्ति से युक्त होकर आपके परमपद को प्राप्त होते हैं , इसमें किसी भी प्रकार का सन्देह नहीं है।।
श्री राम स्तुति अनुवाद संस्कृत में- नमामि भक्तवत्सलं। कृपालु शील कोमल भजामि ते पदाबुजम् अकामिना स्वधमदं ।। निष्काम श्याम सुंदर भवांबुनाथ मंदर । प्रुफल्ल श्याम सुंदररा भवांबुनाथ मंदर । प्रलंब बाहु विक्रम प्रमोऽप्रमेय वैभवं निषंग बाप सायक । धरं त्रिलोक नायकं । दिनेशवं वंश मंडन । महेश चाप शंडन । मुनीद्र संत रजंन।। मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवित।। विशुद्ध बोध विग्रह। समस्त दूषणापहं I नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।। भजे सशक्ति सानुजं। शचि पति प्रियानुजं ॥ त्वदधरि मूल ये नश: भजति हीन मत्सराः ।। पतति नो भवाणैवे । वितर्क वीचि संकुले । विविक्त साविनः सदा । भजति मुक्तये मुदा।। निरस्य इंद्रियादिक। प्रयांति से गतिं स्वकं ॥ त्वमेकदभुतं प्रभु।। निरीहमीश्वर विभुं।। जगदृरू च शाशवतं।। तुरीयमेव केवलं ॥ भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।। स्वभक्त कल्प पादप।
समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।। प्रसीद में नमामि ते। पदाब्ज भक्ति हेहि मे।। पठति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।। व्रजंति नात्र संशय। त्वदीय भक्ति संयुत्ताः
आप नितान्त सुन्दर , श्याम , संसार ( आवागमन रूपी ) समुद्र को मथने के लिये मन्दराचलरूप , खिले हुए कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं। हे प्रभू आपकी लंबी भुजाओं का पराक्रम और आपका तरकस और धनुष -बाण धारण करने वाले तीनों लोकों के स्वामी।। सूर्यवंश के भूषण , महादेवजी के धनुष को तोड़ने वाले मुनिराजों और संतो को आनन्द देने वाले तथा देवताओं के शत्रु असुरों के समूह का नाश करने वाले हैं। आप कामदेव के शत्रु महादेवजी के द्वारा वन्दित , ब्रह्मा आदि देवताओं से सेवित विशुद्ध ज्ञानमय विग्रह और समस्त दोषों को नष्ट करने वाले हैं।। हे लक्ष्मीपते ! हे सुखों की खान और सत्पुरूषों की एकमात्र गति !मैं आपको नमस्कार करता हूँ। जो मनुष्य मत्सर रहित होकर आपके चरण कमलों का सेवन करते हैं , वे तर्क - वितर्क (अनेक प्रकार के संदेह ) रूपी तरंगो से पूर्ण संसाररूप समुद्र में नहीं गिरते । आवागमन के चक्कर में नहीं पड़ते। जो एकान्तवासी पुरूष मुक्ति से लिये , इन्द्रियादिका निग्रह करके उन्हें विषयों से हटाकर प्रसन्नतापूर्वक आपको भजते हैं , अपने स्वरूप को प्राप्त होते हैं।।
उन को जो एक ( अद्वितीय ) , अद्भुत ( मायिक जगत् से विलक्षण ) , प्रभु ( सर्व - समर्थ ) इच्छा रहित , ईश्वर सर्वव्यापक , जगतगुरू सतातन , तुरीय ( तीनों गुणों से सर्वथा परे ) और केवल अपने स्वरूप में स्थित है ।
जो भावप्रिय , कुयोगियों ( विषयी पुरूषों के लिये अत्यन्त दुर्लभ , अपने भक्तों के लिये कल्पवृक्ष ( अर्थात् उनकी समस्त कामनाओं को पूर्ण निरन्तर भजता हूँ ।
सम और सदा सुखपूर्वक सेवन करने योग्य हैं , हे अनुपम सुन्दर ! मुझपर प्रसन्न होइये । मैं आपको नमस्कार करता हूँ । मुझे अपने चरणकमलों की भक्ति दीजिये। जो मनुष्य इस स्तुति को आदरपूर्वक पढ़ते हैं , वे आपकी भक्ति से युक्त होकर आपके परमपद को प्राप्त होते हैं , इसमें किसी भी प्रकार का सन्देह नहीं है।।
श्री राम स्तुति अनुवाद संस्कृत में- नमामि भक्तवत्सलं। कृपालु शील कोमल भजामि ते पदाबुजम् अकामिना स्वधमदं ।। निष्काम श्याम सुंदर भवांबुनाथ मंदर । प्रुफल्ल श्याम सुंदररा भवांबुनाथ मंदर । प्रलंब बाहु विक्रम प्रमोऽप्रमेय वैभवं निषंग बाप सायक । धरं त्रिलोक नायकं । दिनेशवं वंश मंडन । महेश चाप शंडन । मुनीद्र संत रजंन।। मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवित।। विशुद्ध बोध विग्रह। समस्त दूषणापहं I नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।। भजे सशक्ति सानुजं। शचि पति प्रियानुजं ॥ त्वदधरि मूल ये नश: भजति हीन मत्सराः ।। पतति नो भवाणैवे । वितर्क वीचि संकुले । विविक्त साविनः सदा । भजति मुक्तये मुदा।। निरस्य इंद्रियादिक। प्रयांति से गतिं स्वकं ॥ त्वमेकदभुतं प्रभु।। निरीहमीश्वर विभुं।। जगदृरू च शाशवतं।। तुरीयमेव केवलं ॥ भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।। स्वभक्त कल्प पादप।
समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।। प्रसीद में नमामि ते। पदाब्ज भक्ति हेहि मे।। पठति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।। व्रजंति नात्र संशय। त्वदीय भक्ति संयुत्ताः
राम की पुुजा कैसे करें -
श्री राम कीर्तन स्तुति हिंदी में - (भजन गंगा)
श्री राम कीर्तन स्तुति हिंदी में - (भजन गंगा)
श्री राम जय राम जय जय राम
श्री राम जय राम, जय जय राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
रघुपति राघव, राजा राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
दुःख भरे जहाँन में, दीन बंधु राम हैं,
दे के सब को आसरा, करुणा सिंध राम हैं l
दुर्बल को जो, लेते थाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
रोम रोम में सुधा, राम जी की बोलिए,
कष्ट कोई जो घेर ले, राम राम बोलिए l
सिद्ध करेंगे, सारे काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
डोर देखो सौंप के, राम जी के हाथ में,
वोह करेंगे रोशनी, गम की काली रात में l
साथ तेरे वोह, सुबह शाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
हर्ष शोक राम के, धूप छाँव राम की,
फूलों संग जो कांटे हैं, सब है माया राम की l
माटी चँदन, उसके धाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी के प्रेम में, जो भी प्राणी रोएगा,
आग की नदी में भी, वाल न बाँका होएगा l
रक्षक उसके, संवय हैं राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी का नाम ले, मोक्ष छवरी पा गई,
फिर तुम्हारे चेहरे पे, क्यों उदासी छा गई l
तूँ भी भज ले, राम का नाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी के प्रेम में, तूँ भी खो के देख ले,
आस्था से तूँ कभी, उनका हो के देख ले l
दुःख हर लेंगे, तेरे तमाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी वसें तेरी, आत्मा की प्यास में,
राम भजन की धुन में है, राम हैं विश्वास में l
लाखों रूप, अनगिन नाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी की तार से, तारें अपनी जोड़ दे,
उसके बाद होगा क्या, राम जी पे छोड़ दे l
उनसे अर्चन, कर निष्काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" ।।
घिरे वासी अव्ध के, जब थे माया जल में,
दिल दिखाया चीर के, अंजलि के लाल ने l
बैठे वहाँ थे, सिया संग राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
जिन पे राम था लिखा, वोह पाशान तर गए,
भक्त हो के राम के, कष्ट से क्यों डर गए l
राम रटन तूँ, कर अविराम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम से तुम मांग ले, औषधि आराम की,
दुःख निवारती दवा, राम जी के नाम की l
बिन मोल है यह, लगता ना दाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
वोह निराश होते ना, राम जिनके साथ हैं,
तूँ अनाथ तो नहीं, राम तेरे नाथ हैं l
उनके भरोसे, कर हर काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" ।।
श्री राम जय राम, जय जय राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
रघुपति राघव, राजा राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
दुःख भरे जहाँन में, दीन बंधु राम हैं,
दे के सब को आसरा, करुणा सिंध राम हैं l
दुर्बल को जो, लेते थाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
रोम रोम में सुधा, राम जी की बोलिए,
कष्ट कोई जो घेर ले, राम राम बोलिए l
सिद्ध करेंगे, सारे काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
डोर देखो सौंप के, राम जी के हाथ में,
वोह करेंगे रोशनी, गम की काली रात में l
साथ तेरे वोह, सुबह शाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
हर्ष शोक राम के, धूप छाँव राम की,
फूलों संग जो कांटे हैं, सब है माया राम की l
माटी चँदन, उसके धाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी के प्रेम में, जो भी प्राणी रोएगा,
आग की नदी में भी, वाल न बाँका होएगा l
रक्षक उसके, संवय हैं राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी का नाम ले, मोक्ष छवरी पा गई,
फिर तुम्हारे चेहरे पे, क्यों उदासी छा गई l
तूँ भी भज ले, राम का नाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी के प्रेम में, तूँ भी खो के देख ले,
आस्था से तूँ कभी, उनका हो के देख ले l
दुःख हर लेंगे, तेरे तमाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी वसें तेरी, आत्मा की प्यास में,
राम भजन की धुन में है, राम हैं विश्वास में l
लाखों रूप, अनगिन नाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम जी की तार से, तारें अपनी जोड़ दे,
उसके बाद होगा क्या, राम जी पे छोड़ दे l
उनसे अर्चन, कर निष्काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" ।।
घिरे वासी अव्ध के, जब थे माया जल में,
दिल दिखाया चीर के, अंजलि के लाल ने l
बैठे वहाँ थे, सिया संग राम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
जिन पे राम था लिखा, वोह पाशान तर गए,
भक्त हो के राम के, कष्ट से क्यों डर गए l
राम रटन तूँ, कर अविराम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
राम से तुम मांग ले, औषधि आराम की,
दुःख निवारती दवा, राम जी के नाम की l
बिन मोल है यह, लगता ना दाम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" l
वोह निराश होते ना, राम जिनके साथ हैं,
तूँ अनाथ तो नहीं, राम तेरे नाथ हैं l
उनके भरोसे, कर हर काम,
"श्री राम जय राम, जय जय राम" ।।
यदि कोई भी काम नहीं बन रहा हो तो आप प्रतिदिन श्री रामचंद्र स्तुति का पाठ करें । यह आप किसी भी समय कर सकते हैं। रामचंद्र की स्तुति करने के लिए भगवान हनुमान की पूजा करना भी बहुत जरूरी है। अगर संभव हो तो आप हनुमान जी के शरण में जाकर राम राम की स्तुति का गुणगान करें क्योंकि हनुमान जी राम के बहुत बड़े भक्त थे और साथ में हनुमान जी के बीज मंत्र का जाप करें। जो इस प्रकार हैं ओम हनुमते: रामदूताय नमः"
राम नाम में एक बहुत बड़ी शक्ति है जिसने भी राम नाम को जाप किया है, उसकी नैया पार लगी हैं इसमें किसी भी प्रकार की शंका नहीं है।Thankyou.
राम नाम में एक बहुत बड़ी शक्ति है जिसने भी राम नाम को जाप किया है, उसकी नैया पार लगी हैं इसमें किसी भी प्रकार की शंका नहीं है।Thankyou.
posted by kiran
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