लिंगाष्टक स्तोत्र का पाठ कैसे करें-
हमारे धर्म ग्रंथ शिव की पूजा के लिए अनेक तरीके बताते हैं, पर सबसे ज्यादा शिव की पूजा के लिए सावन के महत्व महीने का महत्व बताया जाता है। वैसे तो सारे साल ही शिव की पूजा की जाती है क्योंकि उनकी पूजा का वर्णन करना एक इंसान के वश से बाहर है क्योंकि वह अनंत जिनके बारे में कुछ शब्दों में लिखना इंसान के लिए संभव नही है।
आज हम इस लेख के माध्यम से आपको कुछ विशेष ऐसी पूजा विधि और स्तोत्र पाठ बताने की कोशिश करेंगे जिनको भकतजन सावन महीने में करके भगवान शिव से मनोवांछित आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। शिव की पूजा जल से लेकर अनेक तरह के स्त्रोतों के साथ की जाती है अगर आप भी अपनी मनोकामना को लेकर किसी भी तरह से पूजा करना चाहते हैं तो उसमें बहुत सारी शिव की पूजा विधियां बताई जाती हैं। जिनमें शिव स्तुति, सोमवार के व्रत, लिंगाष्टक स्तोत्रम, दारिद्र्य दहन स्तोत्र का पाठ, शिव रुद्राभिषेक, 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, शिवाअष्टकम,
शिव तांडव स्तोत्रम, शिव चालीसा, पारद शिवलिंग की पूजा, मानस पूजा, शिवा स्तुति आदि ।
आपको हम इस लेख के माध्यम से लिंगाष्टकम स्तोत्र के बारे में बता रहे हैं जिसको आप अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रतिदिन सावन के महीने में स्तोत्र का पाठ करके अपना मनवांछित वरदान प्राप्त कर सकते हो भगवान शिव से।
read also- दरिद्रता को दुर करने के लिए कौन से स्तोत्र का पाठ करें
लिंगाष्टकम स्तोत्र हिन्दी में-
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्
निर्मलभासित शोभित लिंगम्।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥
देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम्
कामदहन करुणाकर लिंगम्।
रावणदर्प विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥
सर्वसुगन्धि सुलेपित लिंगम्
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।
सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥
कनक महामणि भूषित लिंगम्
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥4॥
कुंकुम चन्दन लेपित लिंगम्
पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
सञ्चित पाप विनाशन लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥5॥
देवगणार्चित सेवित लिंगम्
भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम्।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥6॥
अष्टदलो परिवेष्टित लिंगम्
सर्व समुद्भव कारण लिंगम्।
अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥7॥
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम्
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम्।
परात्परं परमात्मक लिंगम्
तत् प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥8॥
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥
निष्कर्ष-
इस पाठ के बारे में ऐसा कहा जाता है की इस स्तोत्र का पाठ खुद देवी देवताओं ने भी किया था। जो व्यक्ति सावन महीने में इस स्तोत्र का पाठ करता है वह सभी प्रकार के कषटो से मुक्त हो जाता है और शिव से मनोवांछित वरदान प्राप्त कर सकता है। लिंगाष्टक स्तोत्र के कुल 8 श्लोक हैं यह भगवान शिव को खुश करने का सबसे आसान और सरल तरीका है। लिंगाष्टम स्तोत्र की तीनों लोकों में महिमा का वर्णन मिलता है।
0 टिप्पणियाँ