शिव को बेलपत्र कैसे चढाये | सावन में शिव की पुजा कैसे करें |

शिव को बेलपत्र क्यो चढाया जाता है-

शिव भगवान को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है और उनका सबसे प्रिय पत्र क्यों है?आइए जानते हैं इसके बारे में थोड़ा विस्तार से 

शिव भगवान को बेलपत्र क्यों पसंद है-

हम सभी जानते हैं कि सदियों से बेलपत्र को शिव भगवान् के ऊपर चढ़ाया जाता है क्योंकि यह शिव का सबसे प्रिय है। यह सावन के महीने में सबसे ज्यादा शिव को अर्पित किया जाता है। बेलपत्र  के पत्तों के बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। बेलपत्र  के साथ कई तरह के प्रतीक जुड़े हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि यह त्रिकोणीय पत्ता या तीन पत्तों वाले त्रिमूर्ति को दर्शाते हैं जो  तीन गुणों सत्व,  रज और तम को दर्शाते है। बेलपत्र को यानी त्रिदेव ( सृजन, पालन और विनाश)  का रूप  भी माना जाता है। 


• इसे औम की ध्वनि का सार भी माना जाता है । इसकी तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखों या त्रिशूल और उनके साथ त्रिशुल का का प्रतीक माना जाता है।

• बेलपत्र को  ठंडक प्रदान करने वाला पौधा माना जाता है और यह भी माना जाता है कि सावन महीने में बेलपत्र से पूजा करने वाले भक्तों को अध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती हैं। 

•  बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने से भक्तजन को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से शिव  बहुत ही खुश होते हैं। 

 •बेल वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। वृक्ष के नीचे गरीबों को भोजन कराने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

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बेलपत्र चढ़ाने  के  नियम-

भगवान शिव को हमेशा उल्टी तरफ से मुख करके  बेलपत्र चढाया जाता है।

 याद रखें बेलपत्र चढ़ाते हुए ओम नमः शिवाय का मंत्र का जाप जरूर करें। 

बेलपत्र को हमेशा अंगूठे और मध्यमा उंगली की मदद से चढाएं और बेलपत्र को चढाने  से पहले शुद्ध पानी से अवश्य धोएं। 

 बेलपत्र केवल अकेला अर्पित ना करें साथ में जल की धारा भी जरूर छोडे । शिवलिंग को दुध और जल की धारा से उनको संचित करते रहें।

बेलपत्र को चढाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पत्ते का कोई भी भाग कटा, फटा ना हो और न ही कीड़ा  लगा हो।

 वह साफ-सुथरे और मध्यम आकार का होना चाहिए ।बहुत छोटी पतियों को तोडना वर्जित मानी जाती हैं इसलिए मध्यम आकार का  बेलपत्र ही शिव को समर्पित करें।

बेलपत्र के तोडने के वर्जित दिन -

कुछ विशेष दिनों में बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है, जैसे चतुर्थी, अष्टमी ,नवमी तिथि और अमावस को सक्रांति के समय और सोमवार को बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए । ऐसे में पूजा से 1 दिन पहले ही बेलपत्र तोड़ कर रख लेना चाहिए क्योंकि बेलपत्र को बासी नहीं माना जाता।

ऐसा माना जाता है कि शिव पर सावन के महीने में प्रतिदिन बेलपत्र चढ़ाने से सभी तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं और घर में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं रहती ।

शिव के ऊपर चढ़ाए हुए बेलपत्र को घर में रखने से घर में बरकत आती है।

शिव को बेलपत्र चढाने का महत्व -बेलपत्र चढ़ाने की विशेष धारणा हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के बाद विष को निगल लिया था तो भगवान शिव ने पूरी सृष्टि को बचाने के लिए अपने बिष को कंठ में धारण कर लिया और विष के प्रभाव से उनका कंठ का रंग नीला पड़ गया था और उनका पूरा शरीर गरम होकर तप रहा  था जिसकी वजह से आसपास का वातावरण गर्म होने लगा फिर  सभी देवी देवताओं ने बेलपत्र को पिसकर उसका रसपान करवाया गया तब जाकर शिव के अन्दर शीतलता आई। तभी से बेलपत्र के प्रभाव से भोलेनाथ को जिगर में उत्पन्न होने  वाली गर्मी शांत हूई तभी से बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा चली आ रही है क्योंकि यह पौधा शीतलता प्रदान करता है। 


सावन के महीने में विशेष पुजा -

सावन के महीने में शिव को चंदन का तिलक अवश्य लगाएं और फिर थोड़ा सा तिलक अपने  माथे पर भी लगाएं।

 इसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि शिव को अर्पित करें।

 बेलपत्र अर्पित करने के बाद जल से अवश्य अभिषेक करें उसके बाद भगवान शिव के सामने एक देसी घी का दीपक जलाएं और साथ में अगरबत्ती भी दिखाएं।

अगर आप शिव  को भोग लगाना चाहते हैं तो भोग में केसर की खीर बना सकते हैं जो उनको बेहद पसंद  है,वैसे तो भगवान शिव भाव के भूखे हैं वह एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं।

आपकी कोई विशेष मनोकामना है तो इसके लिए सावन के महीने में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया जाता है तो अगर आप रुद्राभिषेक करवा सकते हैं तो सावन के महीने में किसी भी दिन आप पंडित से पुछकर रुद्राभिषेक जरूर कराएं।

निष्कर्ष - भगवान शिव जी को हम भोलेनाथ के नाम से भी जानते हैं वैसे तो वह अपने  भगतो की किसी भी तरह से उल्टी-सीधी पूजा को कबूल कर लेते हैं क्योंकि भगवान शिव को भाव को देखते हैं और यह भी  माना जाता है कि एक लोटा जल से भी खुश हो जाते हैं। जिन लोगों के पास भगवान को समर्पित करने के लिए कुछ भी नहीं है वह लोग मानस पूजा करके ही भगवान को खुश कर सकते हैं मनास पूजा उसे कहा जाता है जो मन के द्वारा की जाती है।

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