होली हम सबके लिए बहुत ही मस्ती से मनाए जाने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार को फूलों और रंगों के साथ मनाया जाता है। यह उत्तर भारत में सबसे लोकप्रिय त्यौहार हैं। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च यानी 2024 को है। अगर आप भी होली खेलने के शौकीन हैं तो आप घरेलू सामग्री से रंगों को बनाकर अपनी होली की त्यौहार को सेलिब्रेट कर सकते हो।
होली पर निबंध कैसे लिखें - readmore
होली का महत्व-
होली का महत्व-
शरीर की तंदुरुस्ती हमारे बड़ ने स्वास्थ्य को सूक्ष्मता से हर दृष्टिकोण से समझा और परखा है । इसीलिए हर ऋतु के अनुकूल कुछ व्रत , पर्व , उत्सव आदि निर्धारित किए हैं । बसन्त ऋतु आगमन पर सभी प्राणी , यहाँ तक कि प्रकृति भी आनन्द और उमंग से झुम उठते है ।
इसी आनन्द और उमंग को शरीर मे भरने हेतू बसन्त ऋतु के आरम्भ में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली का त्योहार मनाया जाता है । पूर्णिमा को होली का दहन होता है तथा दूसरे दिन रंग ( फाग ) खेला जाता है । जिसे दुल्हण्डी भी कहते है । यह त्योहार सर्दी के समाप्त होने तथा गर्मी के आने की सूचना देता है । जहाँ यह त्योहार एकता , मिलन और पवित्र प्रेम के लिए मनाया जाता है । वहाँ यह मानसिक तनाव को दूर कर मानसिक स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है ।
ऐतिहासिक कथा के अनुसार भगवान भक्त प्रहलाद के बच जाने और होलिका के जल जाने पर , अन्याय पर न्याय की विजय को देख कर लोग गद्गद् हो उठे और खुशी से नाचने लगे । उसी दिन से यह दिन होली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है ।
इसी के साथ - साथ किसान नए अनाज के स्वागत में भी इसे मनाते है प्राचीन काल में इस दिन यज्ञ में कच्चे धान की आहुति डाल कर उसे खाना आरम्भ करते थे । अग्नि में भुने , गीले और ताजे अनाज को होलक या होला कहा जाता है । आज के युग में होली मेलमिलाप के स्थान पर लड़ाई झगड़े का कारण बन जाती है । लोग होली को खुशियों से भरने के स्थान पर कालिख , कीचड़ , तारकोल आदि का प्रयोग करते है । जो कि सभी तरह से गलत है ।
● होली पर घेरेलू सामग्री से रगं कैसे बनायें- इस बार होली पर स्वयं रंग तैयार करें और त्यौहार का मज़ा लें ।
ऐसे बनाए घेरेलू रंग : -
मुल्तानी मिट्टी , टैल्कम पाऊडर और पिसी हल्दी को मिलाकर पीला रंग तैयार किया जा सकता है । मेंहदी पाऊडर , मुल्तानी मिट्टी और टैल्कम पाऊडर को मिलाकर हरा रंग बनता है ।
* टेसू के सूखे फूलों को पीस कर लाल रंग बनाया जाता बनाया जा सकाता है । पानी में लाल दवाई ( KMnO4 ) पोन चुकन्दर , काली गाजर आदि से गीला लाल रंग भी कर भी लाल रंग हेतू प्रयोग किया जा सकता है ।
इसी प्रकार नीले रंग हेतू नीली दवाई ( G.V. paint ) को पानी में घोला जा सकता है । चन्दन की पेस्ट बनाकर उस से तिलक करें ।
विभिन्न रंगों के फूलों से भी होली खेली जा सकती है । इस प्रकार बनाए रंग त्वचा के हितकारी होते हैं । इन्हें त्वचा से धोना भी आसान होता है । लेकिन आजकल बाजार में मिलने वाले रंगों का प्रचलन है जिन में कैमिकल होते हैं जो कि त्वचा के नुकसान पहुंचाने वाले हो सकते हैं । इसलिए फाग खेलने से पूर्व स्वयं को तैयार करें ।
होली से पूर्व की तैयारी : - होली से एक दिन पूर्व जैतून का तेल त्वचा पर लगाएं , यह एक तरह का प्राकृतिक मोश्चराइजर होता है । रोम छिद्रों में तेल लग जाने पर रंगो का असर कम होता है । अगर त्वचा चिकनी हो तो ग्लिसरीन और गुलाब जल का मिश्रण त्वचा पर लगाए ।
* इसी तरह बालों में इच्छानुसार कोई भी तेल लगाए और बालों को खुला न छोड़ कर बांधकर रखें । पुराने व सूती कपड़े पहन कर होली खेलें । मेकअप नहीं करें । हाथों और पैरों के नाखुन कटे होने चाहिए ।
*पानी खूब पीए - होली के दिन अधिक मिर्च मसाले वाला भोजन आदि न लें । होली के दौरान दूसरों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए , प्रसन्नचित , खुले विचारों से और मर्यादा में रहते हुए फाग का आनन्द लें ।
* होली खेलने के बाद कया करे-
जिससे सारी त्वचा को साफ करें । दूध , बेसन और थोड़ा सा तेल डालकर उबटन बनाए। रंग उतर जाने के बाद तेल की मालिश करें ।
रंग उतारने के लिए शहद , ग्लिसरीन व गुलाब जल को मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है ।
बालों में अक्सर गुलाल आदि लगा दिया जाता है । अतः बालों को दही और बेसन या दही आंवला आदि से धोना चाहिए ।
कई बार चेहरे पर कुछ ऐसे रंग पुते होते हैं जिन्हें छुड़ाना मुश्किल होता है ( जैसे पेंट , चिकनी कालिख या वार्निश ) जहाँ तक हो सके , ऐसी चीजों से दूर रहना चाहिए । इन्हें छुड़ाने के लिए मिट्टी के तेल का प्रयोग करना पड़ता है जो कि नुकसान दायक हो सकता है ।
रंग छुड़ाने हेतू साबुन या शैम्पू के प्रयोग के साथ नींबू का प्रयोग भी किया जा सकता है । रंगों को उतारने हेतू ज्यादा गर्म पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए । रंग उतारने हेतू जल्दबाजी से त्वचा को ज्यादा जोर से न रगड़े इससे त्वचा छिल सकती है । स्नान के पश्चात कोई माश्चाराइजर लगाए और थकान उतारने हेतू आराम करें ।
इस प्रकार दूसरों की भावनाओं की कद्र करते और सब भेदभाव और मनमुटाव को भुलाकर , जो होली सो होली , मान कर भरपूर रंग खेलें और मज़ा लें । इस से आप को मानसिक स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होगी।
निष्कर्ष-
होली के त्योहार पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से सभी तरह के गिले शिकवे दूर करके ही होली के त्यौहार को मनाना चाहिए। होली के त्योहार पर किसी भी तरह की कोई मन बैर नही रखना चाहिए। अगर आपको किसी के साथ नहीं बनती फिर भी जाने अनजाने में कोई किसी को नुकसान पहुंचाने का कोशिश ना करें क्योंकि यह त्यौहार भगवान कृष्ण को समर्पित है।
जितना हो सके होली के त्यौहार को धूमधाम और मस्ती से मानए। कोई भी त्यौहार है चाहे साल में एक बार ही आता है। इसलिए किसी भी तरह की मन में रंजिश न रखे।
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