सोमवती अमावस्या का महत्व - खासकर हिन्दू धर्म में। यह पितृ पक्ष का प्रारंभ होता है, जिसे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित किया जाता है। कई मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पितृगणों की आत्माओं का श्राद्ध और तर्पण करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
सोमवती अमावस्या पर, लोग अपने पितृगणों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, तर्पण देते हैं, दान देते हैं और पितृ तीर्थ यात्रा का आयोजन करते हैं। इस दिन को पितृ पक्ष का प्रारंभ माना जाता है और यह पितृगणों की प्रत्येक सम्मान करने का अवसर है। इससे उन्हें शांति, प्रसन्नता और मुक्ति प्राप्त होती है।
● सोमवती अमावस्या किसे कहते हैं -
सोमवार को पढ़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है यह साल में लगभग एक या दो बार ही आती ।है इस अमावस्या को हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। लोग इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए और अपने बच्चों के सुख शांति और समृद्धि के लिए मौन व्रत करने का विधान बताया जाता है हमारे हिंदू धर्म के शास्त्रों के अनुसार।
इस दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति और बच्चों की आयु और सुख शांति के लिए पीपल के वृक्ष की दूध ,जल और अक्षत आदि सामग्री से पूजा करके और वृक्ष के चारों ओर 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा का विधान बताया गया है और कुछ अन्य परंपराओं में भंवरी देने का भी विधान है। इस दिन खास करके पवित्र नदियों पर लोग स्नान को बहुत अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदी पर स्नान करने से हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। अबकी बार सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को पड़ रही है।
● सोमवती अमावस्या के कुछ खास उपाय-
1. पितृ तर्पण: सोमवती अमावस्या को पितृ तर्पण करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए पंडित या ब्राह्मण से संपर्क करें और उन्हें तर्पण करने का निर्देश लें।
2. दान:
इस दिन गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करने से पितृगण को आनंद मिलता है।
3. तीर्थ यात्रा:
सोमवती अमावस्या को तीर्थ यात्रा करने से भी पितृगण को पुण्य मिलता है।
4. तुलसी पूजन:
तुलसी का पूजन करने से भी पितृगण को संतुष्टि मिलती है।
5. ब्राह्मण भोज:
ब्राह्मणों को भोजन कराने से भी पितृगण को आनंद मिलता है।
6. धार्मिक पाठ:
सोमवती अमावस्या को धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने से भी पितृगण को शांति मिलती है।
7. दानशीलता:
इस दिन अलग-अलग प्रकार के दान करके भी पितृगण को आनंद मिलता है।
8. श्राद्ध कार्य:
सोमवती अमावस्या को अपने पितृगणों के श्राद्ध कार्य करना भी महत्वपूर्ण होता है।
Disclaimer-
यदि आपके पास समाज या परिवार के परंपरागत उपाय हैं, तो आप उन्हें भी अपना सकते हैं। ध्यान दें कि पितृ पक्ष के उपायों को सही तरीके से करने के लिए धार्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करें। यह सब उपाय हमने धर्म ग्रंथो के अनुसार लिखे हैं।
इसमें हमारा खुद को कोई योगदान नहीं है। वैसे तो हर परिवार का अलग-अलग नियम होता है जो आपके बड़े बूजर्ग करते आए हैं उनका ही पालन करना सबसे ज्यादा उचित माना जाता है या फिर किसी योग्य पंडित से पूछ कर ही उपाय करना चाहिए।
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