शिव स्तुति कैसे करें | सावन में कैसे करें शिव के आराधना| सावन में शिव पूजा के नियम और निषेध

 शिव स्तुति कैसे करें -

सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पवित्र माह में शिव भक्त पूरे उत्साह और श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान शिव स्तुति, रुद्राभिषेक, व्रत और भक्ति गीतों का आयोजन होता है। शिव की स्तुति करने के कई तरीके हैं, जिनमें से एक है "गिरिजा शंकर स्तुति"। इस स्तुति का पाठ विशेष रूप से सावन में करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शिव स्तुति का महत्व

शिव स्तुति का पाठ भक्तों के लिए मानसिक और आत्मिक शांति लाता है। यह भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। शिव स्तुति के माध्यम से भक्त भगवान शिव से सुख, शांति, समृद्धि और मुक्ति की कामना करते हैं।


* शिव स्तुति हिन्दी-

जय शिव शंकर जय गंगाधर करुणाकर करतार हरे। जय कैलासी जय अविनाशी, सुखरासी सुखसार हरे।। जय शशि शेखर जय डमरुधर, जय जय प्रेमागार हरे। जय त्रिपुरारी जय मवहारी, अमित अनन्त अपार हरे ।। निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार साकार हरे। पार्वती पति हर हर शम्भी, पाहि पाहि दातार हरे।।।।।


 जय रामेश्वर जय घुश्मेश्वर, भीमेश्वर जगतार हरे। मल्लिकार्जुन सोमनाथ जय महाकाल ओंकार हरे।। त्र्यम्बकेश्वर जय घुश्वेश्वर, भीमेश्वर जगतार हरे। काशीपति श्री विश्वनाथ, जय मंगलमय करतार हरे।। नीलकण्ठ जय भूतनाथ, जय मृत्युजय अविकार हरे। पार्वती पति हर हर शम्मो, पाहि पाहि दातार हरे।।


2।। जय मनभावन जय अति पावन, शोक नशावन शिव शम्भो। विपत विदरण अधम उधारन, सत्यसनातन शिव शम्भो ।। सहजबचनहर जलजनयनवर, चरणमनन धन शिव शम्भो। मदन कदन कर पाप हरण हर, धवन वरन तन शिव शम्मो।। विवसन विश्वरूप प्रलयकर, जग के मूलाधार हरे। पार्वती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।


3।। जय महेश जय जय मवेश. जय अदिदेव महादेव विभो। किस मुख से हे गुणातित प्रभो, तव अपार गुण वर्णन हो।। जय भवकारक तारक हारक, पातक दारक, शिव शम्भो। दीन दुःखहर सर्व सुखकर, प्रेम सुध्कर की जय हो। पार लगादो भवसागर से, बनकर करुणाधर हरे। पार्वतीपति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे।।


4।। भोलानाथ कृपालु दयामय, औदर दानी शिव योगी।। निमिष मात्र में देते हैं, नवनिधि मनमानी शिव योगी। सरह हृदय अति करुणासागर, अकथ कहानी शिव योगी। भक्तो पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी। स्वयं अकिंचन जन रंजन, पर शिव परम उदार हरे। पार्वती पति हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ।।


5।। आसुतोष इस मोहमयी निद्रा से मुझे जगादेना। विषम वेदना से विषयों की मायाधीश छुडा देना।। रुप सुध की एक बुंद से जीवन मुक्त बना देना। दिव्यदान भण्डार युगल, चरणों की लगन लगा देना।। एकबार इस मन मन्दिर में, करिये पद संचार हरे। पार्वती पति हर हर शम्मो, पाहि पाहि दातार हरे ।।


6।। दानी हो दो भिक्षा में, अपनी अनुपायिनी भक्ति प्रभो। शक्तिमान हो दो अविचल, निष्काम प्रेम की शक्ति प्रभो।। त्यागी हो दो इस असार संसार से, पूर्ण विरक्ति प्रभो। परम पिता हो दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ती प्रमो। स्वामी हो निज सेवक की सुन लेना करुण पुकार हरे। पार्वती पति हर हर पाही पाहि वातार हरे।।


7।। तुम बिन निकल हू प्राणेश्वर, आजाओ भगवन्त हरे।। चरण शरण की बाह गयी है, उमा रमण प्रिय कान्त हरे।। विरह व्यथित हूँ दीन दुखी हू दीनदयालु अनन्त हरे। आयो तुम मेरे हो आयो, आजाओ श्रीमन्त हरे।। मेरी इस दयनीय दशा पर कुछ तो करो विचार हरे।। पार्वती पति हर हर शम्भो पाहि पाहि दातार हरे।। 811


* गिरिजा शंकर स्तुति -

गई भवानी भवन बहोरी बन्दिचारण बोली कर जोरी। जय-जय गिरिवरराज किशोरी, जयमहेश मुख चन्द-चकोरी।। 

जय गजबदन षडानन माता जगतजननि दामिनि दुति गाता। नहि तब आदि मध्य अवसाना, अमित प्रभाउ बेद नहिं जाना।। भव-भव विभव पराभव कारिणी विश्वविमोहिनि स्ववस विहारीनि। 

सुन्दर सहज सुशील सयानी, नाम उमा अम्बिका भवानी।।

 अजा अनादि शक्ति अविनाशिनी, सदाशम्भु अर्द्धअंग निवासिनि ।

 जय संभव पालन लय कारिनि, निजईच्छा लीला बहु धारिनी। सेवत तोहि सुलम फल चारी वरदायिनी त्रिपुरारि पिआरी।

 देवी पूजिपद कमल तुम्हारे, सुर नर मुनि सब होंहि सुखारे। मोर मनोरथु जानहु नीके, बसहु सदा उर पुर सबही के।

 कीन्हेउँ प्रगट न कारण तेहीं अस कहि चरन गहे वैदेही ।। विनय प्रेम बस भई भवानी, रक्सी माल मूरती मुसुकानी।

 सादर सिंय प्रसादु सिर धारेउ वोली गोरी हरऊ हिंयमरेउ ।। सुनु सियें सत्य असीस हमारी पुजिहि मन कामना तुम्हारी।

 नारद बचन सदा सुचि साचा. 

सो बुरु मिलिहि जाहि मनु राचा।


सावन में किन बातों का निषेध माना जाता है -

  1. इस महीने में मांसाहार से दूर रहना चाहिए क्योंकि यह समय भगवान शिव की पूजा और व्रत का होता है, जिसमें शुद्धता का विशेष महत्व है।

  2. नशे से दूरी: शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक दृष्टि से अशुद्ध माना जाता है।

  3. लहसुन-प्याज का सेवन न करें: सावन में सात्विक भोजन का महत्व है, इसलिए लहसुन और प्याज जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए।

निष्कर्ष-

सावन का महीना शिव भक्तों के लिए एक उत्सव की तरह होता है, जिसमें भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव स्तुति के माध्यम से भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। इस पवित्र माह में भगवान शिव की कृपा से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।




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