डाइट कंट्रोल से डायबिटीज को कैसे कंट्रोल करे-
भोजन सभी के जीवन की एक अनिवार्य आवश्यकता है। यह शरीर में ऊतकों के पुनर्निर्माण, शारीरिक विकास, आंतरिक और बाह्य अंगों की गतिविधियों और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है। डाइट ऊर्जा और आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करती है, जो अंगों के संचालन और जैविक प्रक्रियाओं के लिए जरूरी है।
आहार के प्रमुख तत्व-
हमारे भोजन में सात प्रमुख तत्व शामिल होते हैं:
प्रोटीन
कार्बोहाइड्रेट
वसा
खनिज लवण
विटामिन
रेशा (फाइबर)
जल
ये तत्व हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इनमें से किसी एक के भी अभाव में हम बीमार पड़ सकते हैं। पहले तीन तत्व ऊर्जा प्रदान करते हैं, चौथा और पांचवां जैव रासायनिक क्रियाओं में मदद करते हैं, और अंतिम दो (रेशा और जल) पाचन में सहायक होते हैं।
यदि आहार संतुलित है, अर्थात् इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में हैं और शरीर उन्हें अच्छी तरह ग्रहण कर रहा है, तो यह स्वास्थ्यवर्धक होता है। लेकिन यदि आहार में किसी पोषक तत्व का अभाव हो या उसे अत्यधिक मात्रा में लिया जाए, तो यह हानिकारक हो सकता है। कम पोषक तत्वों वाला आहार लेने से शरीर में उनकी कमी होने लगती है, जबकि अत्यधिक सेवन से पाचन तंत्र पर दबाव बढ़ता है, जिससे विभिन्न रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
डायबिटिक पेशेंट का आहार
मधुमेह में आहार पर नियंत्रण का अर्थ है कि रोगी को अपने भोजन को संतुलित और उचित मात्रा में समय पर लेना चाहिए। मधुमेह रोगियों को अपने आहार में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
आहार से पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त होते रहें, लेकिन रक्त में ग्लूकोज का स्तर भोजन के बाद तेजी से न बढ़े।
ऐसा भोजन न लें जो वजन और वसा में वृद्धि करे और खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी तेजी से न बढ़ाए।
मोटापे से ग्रस्त डायबिटिक रोगियों के लिए आहार का नियंत्रण महत्वपूर्ण है।
मधुमेह रोगियों के लिए बैलेंस्ड डाइट-
एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन अपने वजन के आधार पर 25 से 30 गुना कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यही आवश्यकता डायबिटिक पेशेंट्स की भी होती है, लेकिन मोटापे से ग्रस्त रोगियों की आवश्यकता थोड़ी कम रहती है।
मधुमेह एक उपापचय संबंधी विकार है, इसलिए इस रोग के उपचार में आहार की किस्म और मात्रा पर ध्यान देना आवश्यक है। रोगी की आयु, शारीरिक भार, ऊंचाई, लिंग, मनोदशा और दैनिक गतिविधियों के अनुसार आहार का निर्धारण किया जाना चाहिए।
आहार का वितरण-
नाश्ता: कुल आहार का 18% (चाय, कॉफी, दूध, फल आदि)
दोपहर का भोजन: कुल आहार का 33%
दोपहर बाद का नाश्ता: कुल आहार का 8% (चाय, फल, सब्जियों के रस)
रात का खाना: कुल आहार का 33%
रात का हल्का नाश्ता: कुल आहार का 8% (दूध आदि)
भोजन में रखें ये खाद्य पदार्थ-
बिना चोकर निकाले मोटे आटे की रोटियाँ खाएँ।
अनाजों (जैसे गेहूँ, ज्वार, बाजरा) से बने दलिया और रोटियाँ खाएँ।
अंकुरित अनाज को अपने आहार में शामिल करें, जैसे हरी मटर, हरी मूँग आदि।
ओट्स का दलिया नाश्ते में लें, यह कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करने में मदद करेगा।
हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाएँ, क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है।
फलों का सेवन करें, जैसे पपीता, अमरूद, जामुन, सेब आदि। केला, चीकू और आम से बचें।
दूध, छाछ, पनीर का सेवन 250-300 ग्राम तक करें, लेकिन मलाई और क्रीम से बचें।
इस प्रकार, एक डायबिटिक रोगी अपने आहार को संतुलित और स्वास्थ्यवर्धक बनाकर अपनी स्थिति को नियंत्रित कर सकता है।
निष्कर्ष-
डायबिटीज नियंत्रण के लिए संतुलित आहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ और संतुलित डाइट न केवल ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करती है, बल्कि रक्त शर्करा के स्तर को भी नियंत्रित करती है। मधुमेह रोगियों को अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और फाइबर का संतुलन बनाए रखना चाहिए, साथ ही उन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को स्थिर रखते हैं।
स्वस्थ जीवनशैली, नियमित शारीरिक गतिविधि और सही आहार का संयोजन मधुमेह के नियंत्रण में सहायक है। रोगियों को चाहिए कि वे अपने शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार आहार को निर्धारित करें और किसी भी प्रकार के संशोधित या अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थों से बचें।
इस प्रकार, एक उचित डाइट और जीवनशैली के विकल्पों के साथ, डायबिटीज के प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है और एक स्वस्थ जीवन जीने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है
डिस्क्लेमर-
यह जानकारी केवल शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान की गई है। यह किसी भी चिकित्सीय सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं है। मधुमेह या किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या के संबंध में हमेशा एक योग्य चिकित्सा पेशेवर से परामर्श करें। आपके व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति, उपचार की आवश्यकता और आहार संबंधी सुझावों के लिए किसी भी बदलाव को लागू करने से पहले अपने चिकित्सक या डायटिशियन से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
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