संपुटित श्री सूक्तम (बीज मंत्र) का महत्व-
श्री सूक्त पाठ -यह एक श्री सूक्त पाठ -यह एक देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करने वाला एक पवित्र वैदिक मंत्र है, जो धन, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका उल्लेख प्राचीन वेदों में मिलता है और इसे देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का एक प्रभावशाली साधन माना जाता है। जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस पाठ का नियमित उच्चारण करता है, उसे जीवन में धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही आर्थिक समस्याओं का समाधान भी होता है। आप यहाँ से श्री लक्ष्मी चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।
श्री सूक्त पाठ में देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों और उनके गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसे सुनने और गाने से मन की शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसी कारण, भारत के कई घरों में इस पाठ का नियमित रूप से पाठ किया जाता है, विशेषकर दीपावली अगर शुक्रवार के
के दिन मनाई जा रही हो रही है और भी अच्छे रिज़ल्ट देते हैं लेकिन अब की बार अमावस वीरवार की रात को आकर और शुक्रवार दोपहर तक रहेगी दिवाली का महत्व अमावस की रात को दिया जाता है ।
श्री सूक्त पाठ में देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों और उनके गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसे सुनने और गाने से मन की शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि तथा सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसी कारण, भारत के कई घरों में इस पाठ का नियमित रूप से पाठ किया जाता है, विशेषकर दीपावली अगर शुक्रवार के
के दिन मनाई जा रही हो रही है और भी अच्छे रिज़ल्ट देते हैं लेकिन अब की बार अमावस वीरवार की रात को आकर और शुक्रवार दोपहर तक रहेगी दिवाली का महत्व अमावस की रात को दिया जाता है ।
दिवाली पर बीज मंत्र का पाठ कैसे करें |
बीज मंत्र का पाठ कैसे करें-
ॐ श्री ह्वी श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः सम्पुटः ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ हिरण्यवर्णा हरिणीं सुवर्णरजतस्त्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।
1। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ ता मऽआ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देय विन्देयं गमश्वं पुरुषनहम्।
2। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदाड्डर्द्रचिता। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ अश्वपूर्वा रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम्। श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मो देवी जुषताम्।
3। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदाड्दर्द्रचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ कास्यस्मितां हिरण्यप्रकारामाद्राँ ज्वलन्तीं तृप्ता तर्पयन्तीम्। पोस्थितां पह्मवर्णा तामिहोप ह्वये
4। दारिद्रयदुःख ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचिता। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि मतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभा दहासि। ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसों ज्वजन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामृदाराम्। ता पद्मिनीमी शरण प्रपद्ये अलक्ष्मीमें लशयतां त्वां वृणेमी।
5। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय दार्द्रचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ आदित्यवर्णे वृक्षेडथ बिल्वः। तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मी।
6। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्व मणिनासह। प्रादुर्भूतोडस्मि राष्ट्रस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे।
7। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अमूतिमसमृद्धिं च सवाँ निर्गुद में गृहात्।
8। दारिद्रय दुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ गन्धद्रारां दुरार्धा नित्यपुष्टां करीषिणीम्। ईश्वरी सर्वमूताना तामिहोप ह्वये श्रियम्।
9। दारिद्रय दुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ मनस काममाकृति बाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमत्रस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः।
10। दारिद्रय दुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ कर्दमेन प्रजा भूत मयि सम्भव कर्दम। श्रियं वासय मे कुले मातरं मह्ममालिनीम्।
11। दारिद्रय दुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ आपः सृजन्तु स्तिग्धानि चिक्लीत वस में गृहे। नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले।
12। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगला पह्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह।
13। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ आर्द्रा यः करिर्णी यष्टिं सुवर्णा हेममालिनीम्। यूर्या हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म मा वह।
14। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः। स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। ॐ ताम आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रमुत गावो दास्योडश्चान् विदेयम्। पुरुषपानहम्।
15। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः। ॐ यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत्। 16। दारिद्रयदुःख भयहारिणि कात्वदन्या। सर्वोपकारकरणाय सदार्दचिता। इति रुद्रयामले शिवपार्वतीसंवादे श्रीं सूक्तस्य पुरश्चरण्विधः।
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