सास और बहू के झगड़े: एक गहरी समझ और समाधान
सास और बहू के झगड़े आमतौर पर छोटी-छोटी गलतफहमियों से शुरू होते हैं। ये गलतफहमियाँ धीरे-धीरे विकराल रूप ले लेती हैं और घर में अशांति का माहौल बना देती हैं। कई बार ये झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि घर का विभाजन तक हो जाता है। यह स्थिति दुखद होती है, क्योंकि जिस मां ने अपने बेटे को नौ महीने गर्भ में रखा, उसे बड़े प्यार से पाला-पोसा और उसकी शादी के समय अनेक सपने संजोए, वही मां अपने बेटे से दूर होने लगती है। शादी के बाद जब बहू घर में आती है, तो सास को उससे बड़ी उम्मीदें होती हैं, लेकिन जब उनके विचार मेल नहीं खाते, तो टकराव शुरू हो जाता है।

झगड़े की मूल जड़: आपसी नासमझी
झगड़े के पीछे दोनों पक्षों की कुछ न कुछ भूल होती ही है। अगर सास और बहू दोनों ही थोड़ी समझदारी और धैर्य रखें, तो झगड़ा होने की संभावना न के बराबर होगी। अक्सर, सहनशीलता की कमी ही झगड़े को जन्म देती है। यदि सास और बहू दोनों में धैर्य हो, तो कोई तीसरी औरत भी झगड़ा नहीं करवा सकती। कई बार देखने में आता है कि घर के बाहर या अंदर की कोई अन्य महिला, जिसे दूसरों के घर की शांति पसंद नहीं होती, वह झगड़ा करवाने की कोशिश करती है। वह बहू या सास को गलत बातें सिखाकर उनके बीच मनमुटाव बढ़ाने का काम करती है। ऐसी स्त्रियों की पहचान करके उनके बहकावे में न आना ही सबसे अच्छा समाधान है।
मायके और ससुराल के बीच संतुलन
कई बहुएँ अपने मायके की परंपराओं और रहन-सहन को ससुराल में लागू करने की कोशिश करती हैं, जिससे टकराव बढ़ सकता है। यह स्वाभाविक है कि बहू अपने मायके से जुड़ी होती है, लेकिन शादी के बाद उसे ससुराल को भी उतना ही अपना मानना चाहिए। ससुराल को अपनाने में जितनी जल्दी बहू कदम बढ़ाएगी, उतनी ही जल्दी घर में प्रेम और सौहार्द बना रहेगा।
सास को भी चाहिए कि वह बहू को अपनी बेटी से भी अधिक स्नेह दे, क्योंकि बहू ही घर की रौनक होती है। बहू यदि कोई गलती कर भी दे, तो सास को उस पर गुस्सा करने के बजाय प्यार से समझाना चाहिए। हर व्यक्ति की सोच और समझ अलग-अलग होती है, इसलिए आपसी प्रेम और समझदारी से रिश्ते निभाने चाहिए।
समझदारी से निभाएं सास-बहू का रिश्ता
बहू के लिए दो महत्वपूर्ण बातें -
सास यदि कुछ कहे, तो बहस न करें। अगर बहू कोई बात चुपचाप सुन ले और बिना तर्क-वितर्क किए स्वीकार कर ले, तो सास को भी महसूस होगा कि बहू उसे आदर देती है। इससे रिश्ते मजबूत होते हैं।
सास जो भी काम कहे, उसे तुरंत कर दें। जब बहू बिना टालमटोल किए काम करती है, तो सास को भी यह लगने लगता है कि वह उनकी बातों को महत्व देती है। यह तरीका अगर बहू बारह महीने तक अपनाए, तो घर में कभी झगड़ा नहीं होगा। पर यदि बीच में कोई मनमुटाव हो गया, तो फिर से बारह महीने गिनने होंगे। यह तरीका अपनाने से धीरे-धीरे आपसी प्रेम बढ़ने लगता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
आपसी सम्मान और प्रेम से रिश्ते बनते हैं
अक्सर सास को यह शिकायत होती है कि बहू उसे मां जैसा सम्मान नहीं देती, जबकि बहू चाहती है कि सास उसे अपनी बेटी माने। यदि सास खुद को मां के रूप में देखती है, तो बहू को भी चाहिए कि वह सास को मां के समान सम्मान दे। इसी तरह, सास को बहू की कमियों को छिपाना चाहिए और परिवार में उसके गुणों की सराहना करनी चाहिए। इससे बहू के मन में भी सास के प्रति प्रेम और सम्मान बढ़ेगा। दूसरी ओर, बहू को भी चाहिए कि वह सास की कमियों को नजरअंदाज करे और परिवार में उनके अच्छे गुणों की चर्चा करे।
जब सास और बहू एक-दूसरे की अच्छाइयों को देखेंगी और उनकी सराहना करेंगी, तो झगड़े की गुंजाइश ही नहीं रहेगी। रिश्तों में मिठास बनाए रखने के लिए सहनशीलता, समझदारी और आपसी सम्मान सबसे जरूरी हैं। अगर सास-बहू इन बातों को समझ लें, तो न केवल उनके आपसी रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि पूरा परिवार प्रेम और शांति के साथ आगे बढ़ेगा।
निष्कर्ष
सास और बहू के झगड़े अक्सर छोटी-छोटी गलतफहमियों और नासमझी के कारण शुरू होते हैं, लेकिन अगर दोनों पक्ष सहनशीलता, प्रेम और आपसी सम्मान का भाव रखें, तो इन झगड़ों से बचा जा सकता है। सास को चाहिए कि वह बहू को बेटी की तरह अपनाए, उसकी गलतियों को प्यार से सुधारने की कोशिश करे और परिवार में उसकी तारीफ करे। वहीं, बहू को भी सास को मां की तरह मानकर उनका आदर करना चाहिए और उनके बताए कार्यों को बिना तर्क-वितर्क के पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके अलावा, किसी तीसरे व्यक्ति के बहकावे में आने से बचना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि कई बार बाहरी लोग ही घर में अशांति फैलाने का काम करते हैं। ससुराल को अपनाने और मायके व ससुराल के बीच संतुलन बनाए रखने से बहू का सम्मान बढ़ता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
अगर सास और बहू एक-दूसरे की अच्छाइयों को देखें, उनकी सराहना करें और रिश्ते को प्रेम व समझदारी से निभाएं, तो घर स्वर्ग के समान बन सकता है। आपसी प्रेम, धैर्य और समझदारी ही एक खुशहाल परिवार की बुनियाद होते हैं।
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