अलसी (Flaxseed) क्या है?| अलसी के औषधीय गुण – जोड़ों का दर्द, कब्ज और मोटापे का इलाज

औषधीय पौधा – अलसी (Flaxseed / Linseed) का परिचय, गुण, और उपयोग

परिचय:

अलसी एक अत्यंत उपयोगी और बहुगुणी औषधीय पौधा है, जिसे भारत सहित विश्व के अनेक देशों में उगाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Linum usitatissimum है, जिसका अर्थ होता है – “सबसे अधिक उपयोग में आने वाला पौधा।” यह नाम ही यह सिद्ध कर देता है कि यह पौधा कितने औषधीय और व्यावसायिक उपयोगों से भरपूर है।

भारत में अलसी की खेती हर प्रदेश में होती है, लेकिन उष्ण प्रदेशों में उत्पन्न अलसी अधिक श्रेष्ठ मानी जाती है। अलसी के बीज कई रंगों के हो सकते हैं — सफेद, पीले, लाल और काले। इसके बीजों से पौष्टिक तेल निकाला जाता है, और पौधे के तनों से रेशा (फाइबर) प्राप्त किया जाता है, जिसका प्रयोग कपड़ा बुनने में किया जाता है।


भाषागत नाम:

  • वैज्ञानिक नाम: Linum usitatissimum

  • कुल नाम: Linaceae

  • अंग्रेजी नाम: Linseed / Flaxseed

  • संस्कृत नाम: अलसी, नीलपुष्पी, क्षुमा, उमा, पिच्छला, अतसी

  • हिन्दी: अलसी, तीसी

  • गुजराती: अलसी

  • मराठी: जावसु

  • बंगाली: मर्शिना

  • तेलुगु: बिट्टू, अलसी

  • अरबी: कत्तान

  • फारसी: तुख्मे कत्तान, जागिरा


वनस्पति स्वरूप:

अलसी को शीत ऋतु की फसल माना जाता है। इसे अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है और फरवरी-मार्च तक यह पककर तैयार हो जाती है। इसका पौधा लगभग 2 से 4 फुट ऊँचा होता है, जो सीधा और कोमल होता है। इसकी पत्तियाँ पतली और लंबी होती हैं और फूल सुंदर आसमानी रंग के होते हैं।
फूल आने के बाद उसमें फल लगते हैं जो छोटे, गोल और कठोर होते हैं। फरवरी-मार्च में फल पककर सूख जाते हैं और बीज निकालने योग्य हो जाते हैं।


रासायनिक संघटन (Chemical Composition):

अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड, लिगनेन, घुलनशील व अघुलनशील फाइबर, प्रोटीन, और कई प्रकार के विटामिन (B1, B6), मिनरल्स (मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, फॉस्फोरस) पाए जाते हैं।
इसमें एंटीऑक्सिडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को रोगों से लड़ने की शक्ति देते हैं।


गुणधर्म (Medicinal Properties):

1. बीज के गुण:
अलसी के बीज मधुर, स्निग्ध, उष्ण प्रकृति के, बलकारक, कफ-पित्त शामक, वातहर, मूत्रल (मूत्र साफ करने वाले), रेचक (पेट साफ करने वाले), और वातरक्त व कुष्ठ रोग नाशक होते हैं।

2. तेल के गुण:
अलसी का तेल मधुर, पिच्छिल (चिपचिपा), भारी, वातहर, त्वचा रोग निवारक, कब्ज नाशक और मल को ढीला करने वाला होता है। यह शीत ऋतु में शरीर को पोषण देता है।

3. पत्तों के गुण:
अलसी के हरे पत्ते विशेष रूप से वातनाशक और कफहर होते हैं। इनकी सब्जी वात रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होती है।

4. फूल के गुण:
अलसी के फूल रक्तपित्त नाशक होते हैं, जो खून की गर्मी और शरीर की जलन को कम करने में सहायक हैं।


औषधीय उपयोग (Medicinal Uses):

1. पुलटिस (लेप):

अलसी के आटे को पानी में गर्म कर के एक गाढ़ा लेप तैयार किया जाता है जिसे सूजन, फोड़े, दर्द वाली जगह पर लगाया जाता है। इसे लगाने से पहले त्वचा पर तेल लगा लेना चाहिए, ताकि यह अच्छी तरह से काम करे।

2. जोड़ों का दर्द व गठिया:

अलसी के बीजों को इसबगोल के साथ पीसकर प्रभावित जोड़ पर लगाने से गठिया और आर्थराइटिस में बहुत लाभ होता है। यह सूजन कम करता है और दर्द को दूर करता है।

3. फोड़े का उपचार:

अलसी को पानी में पीसकर, उसमें जौ का सत और खट्टी दही मिलाकर लेप तैयार किया जाता है। यह फोड़े को जल्दी पकाकर उसे बाहर निकालने में मदद करता है।

4. आँखों की लालिमा:

भीगे हुए अलसी के बीजों को पीसकर आँखों पर लगाने से आँखों की लालिमा, जलन और सूजन में राहत मिलती है।

5. कान दर्द:

अलसी को प्याज के रस में पका कर कान में टपकाने से कान के दर्द में तुरंत आराम मिलता है।

6. प्लीहा वृद्धि (स्प्लीन बढ़ना):

1 चम्मच भुनी हुई अलसी को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर लेने से तिल्ली की वृद्धि में लाभ होता है।

7. कब्ज का इलाज:

रात को सोने से पहले 2 चम्मच अलसी का तेल लेने से सुबह मल साफ होता है और पुरानी कब्ज में भी राहत मिलती है।

8. वीर्यवृद्धि और प्रजनन क्षमता:

अलसी का चूर्ण, काली मिर्च और शहद मिलाकर नियमित सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है और प्रजनन क्षमता बढ़ती है।

9. जलने पर मलहम:

शुद्ध अलसी का तेल और चूने के पानी को मिलाकर एक सफेद मलहम तैयार करें। यह मलहम जलने, घाव और छाले में लगाने से दर्द कम होता है और घाव जल्दी भरता है।

10. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल:

अलसी के बीजों का नियमित सेवन हृदय को स्वस्थ रखता है, कोलेस्ट्रॉल कम करता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।

11. सिरदर्द:

अलसी को पानी में भिगोकर पीसें और माथे पर लगाएँ। यह सिरदर्द, विशेषकर तनाव या गर्मी से होने वाले सिरदर्द में लाभ देता है।

12. मोटापा:

भोजन से पहले 1 चम्मच अलसी लेने से भूख कम लगती है और पेट भरा-भरा महसूस होता है। यह वजन घटाने में सहायक है।

13. मासिक धर्म की अनियमितता:

1 चम्मच भुनी हुई अलसी का नियमित सेवन करने से मासिक चक्र नियमित होता है और मासिक संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है।


विशेष सावधानियाँ (Precautions):

  • कच्चे बीजों का सेवन न करें, क्योंकि वे विषैले हो सकते हैं। हमेशा पके हुए बीज या चूर्ण का उपयोग करें।

  • अलसी में प्राकृतिक फाइटो-ईस्ट्रोजेन होता है, इसलिए गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ इसका सेवन न करें।

  • अलसी ब्लड शुगर को कम करती है, अतः डायबिटिक मरीजों को सेवन करते समय सावधानी रखनी चाहिए और शुगर की नियमित जांच करते रहना चाहिए।


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